Teacher Retirement Program: समाज में कुछ ऐसे लोग होते हैं, जो अपनी कार्यशैली और ईमानदारी से हमेशा के लिए अपनी एक अलग पहचान बना लेते हैं. ऐसी ही एक बानगी देखने मिली बैतूल (Betul) के दुर्गम क्षेत्र में बसे आदिवासी बाहुल्य वन धाराखोह गांव में, जहां माध्यमिक स्कूल (Middle School) के एक शिक्षक को ग्रामीणों ने ऐसी विदाई दी जो खुद शिक्षा विभाग ने अब तक नहीं देखी थी. स्कूल में 28 साल तक सेवाएं देने के बाद प्रधान पाठक शंकरराव महस्की रिटायर हो गए, लेकिन वो ग्रामीणों के दिलों से शायद ही कभी रिटायर हो पाएंगे.
पूरे गांव में आयोजित हुआ समारोह
शिक्षक शंकर राव के सम्मान में पूरे गांव ने एक भव्य समारोह का आयोजन किया. ये दो दिनों तक जारी रहा. ग्रामीणों ने शिक्षक शंकरराव के विदाई समारोह के लिए पूरे गांव को ही सजा दिया. गांव में विभिन्न सांस्कृतिक आयोजन हुए, जिसमें लोकगीत, लोकनृत्य और पूरे गांव का भोज रखा गया. इसके लिए मजदूरी करने वाले ग्रामीणों ने खुद ही पूरा खर्च किया.
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विपरीत हालत में दी शिक्षा
शिक्षक शंकरराव महस्की ने 28 साल पहले जब गांव के स्कूल में कदम रखा था, तो वहां सड़क, बिजली, फर्नीचर कुछ भी सुविधा नहीं थी. गांव में शिक्षा का स्तर इतना नीचे था कि बच्चे धिकतम पांचवी क्लास तक पढ़ाई कर पाते थे. शंकरराव ने अपनी कड़ी मेहनत और व्यवहार कुशलता से ना सिर्फ शिक्षा का स्तर सुधार और दो पीढ़ियों को शिक्षित किया, बल्कि गांव के हर परिवार से सीधा संपर्क बनाया और उनके हर सुख-दुख में शामिल होने का एक नियम बनाए रखा.
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