Snake Bite : एमपी के इस जिले में बढ़ने लगे सर्पदंश के मामले, इन दस खतरनाक जहरीले सांपों का है ये गढ़

Chhatarpur District Hospital: मध्य प्रदेश में बारिश के मौसम में स्नेक बाइट के मामले बढ़ने लगते हैं. छतरपुर में यदि दो माह की बात करें तो यहां 259 स्नेक बाइट के केस सामने आए हैं. इस दौरान 12 लोगों ने दम तोड़ दिया..

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Snake Bite : एमपी के इस जिले में बढ़ने लगे संर्पदंश के मामले, इन दस खतरनाक जहरीले सांपों का है ये गढ़.

Snake Bite Case In Chhatarpur : मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के छतरपुर (Chhatarpur) जिले में सबसे अधिक सर्पदंश (Snake Bite) के मामले बारिश के मौसम में आते हैं. क्योंकि बारिश के समय में ग्रामीण क्षेत्र के लोग अपने-अपने खेतों में कार्य करते हैं. वहीं, बिलों में पानी भरने और उमस भरी गर्मी से बचने सांप बाहर निकालते हैं और खेत में उगी फसलों में छिप जाते हैं. जब किसान खरीफ फसल में लगे चारे को काटते या निदाई करते हैं, तो इनका शिकार हो जाते हैं. इस दौरान कुछ ऐसे भी मामले आते हैं, जब लोग अपने खेत पर मौजूद झोपड़ी में सो रहे होते हैं और इनका शिकार हो जाते हैं.

सर्पदंश के कुल 259 मामले आए

जुलाई माह में अब तक 29 लोग सर्पदंश का शिकार हुए हैं. जिसमें से दो की मौत हो चुकी है और 27 स्वस्थ हुई हैं. इस प्रकार बीते दो माह में 12 लोगों की सर्पदंश से मौत हुई और 247 स्वस्थ होकर घर लौट गए.

सपेरों के कैद से आजाद हुए कई सर्प.

बीते 1 जून से अब तक जिला अस्पताल (Chhatarpur District Hospital) में सर्पदंश के कुल 259 मामले आए हैं, जिसमें से अधिकांश लोग तब शिकार हुए हैं, जब वे अपने खेत पर किसानी का कार्य कर रहे थे. बीते जून माह में जिले के 109 लोग सर्पदंश का शिकार हुए, जिसमें से 5 की मौत हो गई. वहीं, 104 स्वस्थ हो गए. इसी प्रकार बीते जुलाई माह में 121 लोग इनका शिकार हुए, जिसमें से 5 की मौत हो गई और 116 स्वस्थ हो गए. 

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सपेरों पर कार्रवाई करते हुए छतरपुर वन विभाग की टीम ने आज अलग-अलग जगह से बरामद 22 सांपों को जंगलों में छोड़ा है. नागपंची के शुभ अवसर पर सांपों को सपेरों के कैद से आजाद कराया गया. 

जिला अस्पताल में अभी 1300 एंटी वेनम इंजेक्शन हैं

छतरपुर जिला अस्पताल में अभी 1300 एंटी वेनम इंजेक्शन उपलब्ध हैं. यदि अधिक जहर फैलता है तो उसे लंबे समय तक वार्ड में भर्ती रखते हुए एंटी स्नेक वेनम के 20 इंजेक्शन तक लगाए जाते हैं. इसके साथ ही मरीज को दर्द की टैबलेट और बॉटल चढ़ाई जाती है. लेकिन इन मरीजों को इलाज देने के लिए जिला अस्पताल में अलग से कोई वार्ड नहीं है.

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ब्लड क्लॉटिंग के आधार पर डॉक्टर देते हैं इलाज

डॉ. अरविंद सिंह ने बताया कि सर्पदंश का मरीज आने पर सबसे पहले उसका ब्लड निकालते हैं. इसके बाद ब्लड क्लॉटिंग (थक्का जमने) का समय देखते है और फिर इलाज देते हैं. यदि इस दौरान सर्पदंश पाया जाता है, तो फिर डॉक्टर उसे एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन देते हैं. यह इंजेक्शन मरीज की हालत के आधार पर दिया जाता है. यदि मरीज के शरीर में कम जहर है तो उसे 2 से 3 इंजेक्शन दिए जाते हैं.

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बुंदेलखंड में सांप की 15 प्रजाति, इनमें ये 10 काफी जहरीले

वन विभाग से सेवानिवृत्त एसडी केबी गुप्ता ने बताया बुंदेलखंड क्षेत्र में 15 प्रकार के सर्प पाए जाते हैं. जहरीले और 5 सामान्य हैं. इंडियन कोबरा (बिनोसेलेट), कॉमन व स्नेक (लाइकोडोन ऑलिकस) इंडियन सॉ-स्केल्ड वाइपर, कॉम सैंड बोआ, पाइथन मोलुरस औ सैंड बोआ या एरिक्स जॉनी औन वाटर स्नेक शामिल हैं. कोबरा के काटने से ज्यादा मौतें होती हैं. मोलुरस और वाटर स्नेक के क से लोग बच जाते हैं.

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