जर्जर स्कूल भवन में पढ़ रहे शहडोल के नौनिहाल, बारिश में गिरने लगा छत का प्लास्टर

Shahdol School: शहडोल जिले के पटासी गांव के प्राथमिक विद्यालय की हालत जर्जर हो चुकी है. छत से प्लास्टर गिर रहा है, दीवारों में दरारें हैं और शौचालय बंद पड़ा है. विद्यालय में 20 बच्चे पढ़ते हैं जिन्हें एक ही शिक्षक पढ़ाता है. जिला शिक्षा केंद्र ने वैकल्पिक व्यवस्था के निर्देश दिए हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

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MP NEWS: मध्यप्रदेश के शहडोल जिले के पटासी गांव के तिकोना टोला में स्थित प्राथमिक विद्यालय की हालत बेहद जर्जर हो चुकी है. यह विद्यालय 25 साल पुरानी एकल भवन संरचना में संचालित हो रहा है, जिसमें बारिश के साथ ही अब खतरे की घंटी बजने लगी है. छत से प्लास्टर झड़ रहा है, दीवारों में दरारें हैं और छत की रॉड बाहर आ चुकी है. छत में लगातार सीपेज हो रही है जिससे भवन की मजबूती दिन-ब-दिन घटती जा रही है.

विद्यालय में कुल 20 बच्चे अध्ययनरत हैं, जिन्हें एक ही शिक्षक पहली से पाँचवीं तक की सभी कक्षाएँ पढ़ा रहे हैं. सबसे गंभीर स्थिति यह है कि एक ही कमरे में पढ़ाई होती है जबकि दूसरे जर्जर कमरे में मिड डे मील पकाया जाता है. दोनों कमरों की हालत बेहद चिंताजनक है.

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विद्यालय के शिक्षक राजकुमार मिश्रा ने बताया कि बारिश के चलते हालात और बिगड़ते जा रहे हैं. उन्होंने कहा, "कमरे की छत से प्लास्टर गिर चुका है और छत की हालत देखकर कभी भी कोई हादसा हो सकता है, लेकिन मजबूरी में बच्चों को इसी कमरे में पढ़ाना पड़ रहा है."

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विद्यालय में शौचालय की हालत भी बदतर है. वर्षों से बंद पड़ा शौचालय झाड़ियों से घिर चुका है, जिससे छात्रों को खुले में जाने की मजबूरी है. इस गंभीर स्थिति को लेकर जब जिला शिक्षा केंद्र शहडोल के डीपीसी अमरनाथ सिंह से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि "जिन स्कूल भवनों की हालत खतरनाक हो गई है, उनके लिए वैकल्पिक सरकारी भवन या किराए के कमरे लेकर स्कूल संचालन के निर्देश दिए गए हैं." लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे उलट है—आज भी बच्चे जर्जर भवनों में जान जोखिम में डालकर पढ़ाई कर रहे हैं.

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स्थानीय लोग और शिक्षक अब प्रशासन से तत्काल मरम्मत या वैकल्पिक व्यवस्था की मांग कर रहे हैं, ताकि किसी अनहोनी से पहले स्थिति को संभाला जा सके.