Shab E Barat Kab Hai 2025: इस्लामी कैलेंडर के 8वें महीने यानी शाबान की 14वीं तारीख की रात यानी पंद्रह शाबान से पहले जो रात आती है, उस रात को शब-ए-बरात की इबादत की जाती है. शब-ए-बारात लफ्ज फारसी के 'शब' यानी रात और अरबी के 'बरात' यानी छुटकारा से मिलकर बना है. इस प्रकार शब-ए-बारात का अर्थ होता है, छुटकारे वाली रात. दरअसल, मुसलमानों के एक समूह का मानना है कि इस रात को अल्लाह के यहां सभी इंसानों के सालभर का लेखा-जोखा पेश किया जाता है. लिहाजा, जो लोग इसमें यकीन रखते हैं, वो इस रात जाग कर इबादत करते हैं और अल्लाह से रो-रोकर अपने गुनाहों की माफी (दुआ-ए-मगफिरत) मांगते हैं.
मुसलमानों के इस समूह का मानना है कि इस रात इबादत करने से अल्लाह खुश होकर उनकी गुनाहों को माफ कर देते हैं. इसलिए इस रात को गुनाहों से छुटकारा पाने वाली रात यानी शब-ए-बरात कहा जाता है. इस रात मुस्लिम समाज के लोग शाम की मगरिब की नमाज के बाद से ही मस्जिदों में साथ-सुथरे कपड़े और टोपी पहनकर पहुंच जाते हैं. इसके बाद नफिल नमाज और कुरआन शरीफ की तिलावत का सिलसिला शुरू हो जाता है, जो सुबह फजर की नमाज के वक्त तक चलता. इस बीच उलेमा लोगों को इस्लाम से संबंधित तालीम भी देते हैं. इस दौरान रात के आखिरी हिस्से की इबादत को सबसे खास माना जाता है. इस्लाम धर्म में ऐसी मान्यता है कि इस वक्त हर रात को अल्लाह लोगों से खुद अपील करते हैं, 'कोई है, अपनी गुनाहों की माफी का तलबगार, जिसे मैं माफ कर दूं". ऐसे में जो लोग इस वक्त इबादत करते हैं, वह अल्लाह के इस प्रस्ताव के हकदार बन जाते हैं. लिहाजा, इस वक्त की इबादत को सबसे खास माना जाता है.
14 फरवरी को है शब-ए-बरात
ऐसे में सवाल पैदा होता है कि 2025 में शब-ए-बरात कब है. दरअसल, बिहार स्थित इमारत-ए-शरिया की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक भारत में 30 जनवरी 2025 को शाबान का चांद नजर आया था. लिहाजा, 31 जनवरी 2025 को शाबान की पहली तारीख थी. इस लिहाज से शब-ए-बरात 14 फरवरी यानी शुक्रवार (जुमा) मनाया जाएगा.
सभी मुसलमान नहीं बनाते हैं शब-ए-बरात
हालांकि, शब-ए-बारात सभी मुसलमान नहीं मनाते हैं. मुसलमानों में हनफी मसलक के मानने वाले ही शब-ए-बारात मनाते हैं. इसके अलावा दूसरे मसलक के मुसलमानों का कहना है कि शब-ए-बरात के संबंध में जो फजीलत बयान की जाती है. वह इस रात की नहीं है. यह रमजान के शब-ए-कदर की रात की फजीलत है. लिहाजा, वे इस रात को कोई खास तवज्जो नहीं देते हैं. भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में हनफी मसलक के मानने वाले मुसलमानों की संख्या सबसे ज्यादा है. लिहाजा, इन देशों में शब-ए-बारात धूमधाम से बनाया जाता है. कुछ लोग इस रात को आतिशबाजी भी करते हैं. हालांकि, आतिशबाजी का इस्लाम धर्म से कोई संबंध नहीं है. हर मस्जिद में इमाम लोगों को आतिशबाजी करने से बचने की अपील करते देखे जाते हैं. वहीं, सऊदी अरब समेत अरब देशों में इस रात को कोई खास तवज्जो नहीं दी जाती है.