Digital Arrest: बन गए फर्जी CBI ऑफिसर और कर लिया हवलदार को पांच दिन के लिए डिजिटल अरेस्ट, वक्त रहते बेटे ने बचा लिया

Gwalior Digital Arrest: ग्वालियर में ठगों ने फर्जी सीबीआई बनकर हवलदार को पांच दिन तक डिजिटल अरेस्ट में रखा. लोन निकालने रीवा से सैकड़ों किलोमीटर दूर ग्वालियर तक आ गए. अंत में हवलदार के बेटे ने साइबर पुलिस से मिलकर मुक्त कराया. आइए आपको इस पूरे मामले की जानकारी देते हैं. 

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एसएएफ कॉन्स्टेबल को किया गया डिजिटल अरेस्ट

Hawaldar Digital Arrest: साइबर ठग लगातार लोगों को निशाना बनाने मे लगे हैं. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के ग्वालियर (Gwalior) में डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) का ताजा मामला सामने आया है. साइबर ठगों ने इस बार SAF के हेड कॉन्स्टेबल पुलिसकर्मी को लगभग पांच दिनों तक डिजिटल अरेस्ट कर रखा. बदमाशों ने उसे मनी लॉन्डरिंग (Money Laundering) का डर दिखाकर लाखों रुपये ट्रांसफर करने के लिए पांच दिनों तक डिजिटल अरेस्ट किया. इसी स्थिति में पुलिसकर्मी रीवा से ग्वालियर आया और ठगों को रुपये देने के लिए बैंक से लोन लेने जा रहा था. लेकिन, पड़ोसी और परिजनों और बेटे की सूझबूझ से वह बच गया. बेटे ने उसे साइबर सेल पहुंचाया, जहां इस फ्रॉड से उसे बचाकर डिजिटल अरेस्ट से मुक्त कराया गया. रीवा में SAF की सेकंड बटालियन में पदस्थ हेड कॉन्स्टेबल रामशरण जाटव ग्वालियर के बड़ागांव क्षेत्र के रहने वाले हैं.

पुलिस ने दी मामले की जानकारी

ऐसे किया डिजिटल अरेस्ट

एसएएफ हवलदार के पास पास रीवा में ड्यूटी के दौरान एक फोन कॉल आया. कॉल करने वाले ने खुद को मुंबई CBI का पुलिस अधिकारी बताया और कहा कि आपका नाम मनीलांड्रिंग केस में है. उसने कहा आपकी सिम से फ्रॉड हुआ है. आपको डिजिटल अरेस्ट किया जाता है. नरेश गोयल नाम के व्यक्ति ने फिर उनकी बात राजेश मिश्रा सीबीआई अधिकारी से  कराई. सभी पुलिस की वर्दी में थे और धमका रहे थे. साइबर ठगों की बातों से हेड कॉन्स्टेबल डर गया. ठग उससे कहने लगे कि यदि वो पैसे ट्रांसफर कर देगा, तो केस से बचा लेंगे. इसी दौरान वे वहां रीवा से छुट्टी लेकर ग्वालियर आ गया और कमरे में खुद को बंद कर लिया. 

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पत्नी को ऐसे हुआ शक

गुमशुम रामशरण को देखकर पत्नी और बच्चों को शक हुआ. लेकिन, ठगों की धमकी के कारण उसने किसी को कुछ नहीं बताया. रामशरण की पत्नी ने ये बात पड़ोसी को बताई. पड़ोसी उपेन्द्र जाटव ने जब मामला पूछा, तो कहा ये फ्रॉड है कोई अंकल को फंसा रहा है. जब पड़ोसी उपेंद्र ने देखा कि अंकल रो रहे थे. उसने उन्हें बहुत समझाया, लेकिन वह नहीं माने. वो ठगों को देने के लिए बैंक से लोन लेकर 8 लाख रुपये देने की जिद पर अड़े रहे. पड़ोसी और बेटे ने परिजनों की मदद से उन्हें बैंक की जगह साइबर सेल पहुंचा दिया. यहां साइबर सेल के अधिकारियों ने रामशरण से पूरी बात समझी और उसे समझाया कि ये लोग फर्जी हैं और डिजिटल अरेस्ट कुछ नहीं होता है. 

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ठगों ने मांगे थे बैंक डिटेल

रामशरण ने बताया कि वो पिछले पांच दिनों से परेशान था. ठगों ने उससे बैंक खातों की जानकारी मांगी थी. ठग 8 लाख रुपये मांग रहे थे. उसने कहा कि उसके बैंक खाते में नहीं है. जीपीएफ से निकालने होंगे और वो 8 लाख का लोन लेने बैंक जा रहा था. लेकिन, बच्चे उसे यहां साइबर सेल लेकर आ गए और वहां ठगी होने से बच गया. उन्होंने ग्वालियर पुलिस को इसके लिए धन्यवाद किया और अज्ञात ठगों के खिलाफ साइबर क्राइम में शिकायत की. 

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