फिलहाल भोपाल में 28 जगहों पर पार्किंग 'फ्री', अवैध पार्किंग पर NDTV के खुलासे का ये भी असर

भोपाल में अवैध पार्किंग पर एनडीटीवी की खबर का बड़ा असर हुआ. न सिर्फ शहर भर से पार्किंग माफिया भाग गया है बल्कि खुद मेयर ने लोगों से कहा है कि जहां भी साधारण पर्ची या कच्ची पर्ची से पार्किंग शुल्क लिया जा रहा है वहां आम लोग पैसे न दें.

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Bhopal News: भोपाल में अवैध पार्किंग पर एनडीटीवी की खबर का बड़ा असर हुआ. न सिर्फ शहर भर से पार्किंग माफिया भाग गया है बल्कि खुद मेयर ने लोगों से कहा है कि जहां भी साधारण पर्ची या कच्ची पर्ची से पार्किंग शुल्क लिया जा रहा है वहां आम लोग पैसे न दें. मतलब भोपाल शहर में 32 में से 28 पार्किंग में अब गाड़ियों की पार्किंग अगली व्यवस्था तक फ्री रहेगी. दरअसल प्रदेश की राजधानी भोपाल में अवैध पार्किंग पर NDTV ने रिपोर्ट प्रकाशित की थी. जिसमें बताया गया था कि कैसे बिना अनुमति के पूरे शहर में पार्किंग के नाम पर लोगों से अवैध वसूली की जा रही है. इस खबर का असर 24 घंटे के भीतर हुआ और पूरे भोपाल में अवैध पार्किंग माफिया का खात्मा हो गया. प्रशासन ने तुरंत ही ताबड़तोड़ एक्शन लिया और 32 में से 28 जगहों पर अवैध पार्किंग शुल्क की वसूली बंद हो गई. 

बता दें कि इन जगहों पर 14 सालों से अवैध पार्किंग चल रही थी. हमारी खबर के बाद कई अधिकारी सस्पेंड भी हुए और कई कर्मचारियों पर भी गाज गिरी. इससे ये भी पता चला कि पार्किंग माफिया की वजह से भोपाल नगर निगम को कितनी बड़ी आर्थिक चोट लगी है? रिपोर्ट में आगे बढ़ने से पहले ये जान लेते हैं कि भोपाल नगर निगम की आर्थिक सेहत कैसी है?  

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अब समझने वाली बात है कि जिस निगम की आर्थिक सेहत ऐसी है वहां पार्किंग से होने वाली आमदनी पर सालों से ध्यान ही नहीं दिया गया. दूसरी तरफ अवैध पार्किंग पर हमारे खुलासे के बाद अनजाने में ही नगर निगम की एक और कलई खुल गई. नगर निगम के पास पर्याप्त OPS मशीनें ही नहीं हैं जिसकी वजह से निगम के अधिकृत 28 पार्किंग स्थलों को संभालने का काम सुचारू तौर पर नहीं हो सकता है. इसी वजह से फिलहाल इन सभी पार्किंग को फ्री कर दिया गया है. खुद शहर की मेयर मालती राय का कहना है कि जहां मशीनें नहीं हैं वहां एक-दो दिन में इसकी व्यवस्था कर दी जाएगी. लोगों से आग्रह है जहां पर्ची से पार्किंग शुल्क लिया जा रहा है वहां आम लोग पैसे न दें.  आप सोचिये जो निगम हर दिन लाखों रुपये पार्किंग से कमा सकता था वो पहले माफिया के खाते में जा रहा था. वो भी तब जबकि खुद निगम करोडो़ं के घाटे में है.   
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