₹1 KG भाव ने प्‍याज की फसल पर चलवाया ट्रैक्‍टर, जानिए मध्य प्रदेश किसानों की बर्बादी की पूरी कहानी

Madhya Pradesh News: खंडवा और मंदसौर जिले के प्याज किसान Onion Export रोक से बुरी तरह प्रभावित हैं. प्याज के दाम ₹1-2 किलो तक गिर गए हैं, जिससे किसानों ने खेतों में ट्रैक्टर चलाकर फसल नष्ट कर दी. MP Onion Crisis की यह कहानी सरकार की नीतियों पर बड़ा सवाल उठाती है.

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मध्य प्रदेश में इन दिनों प्याज किसान खून के आंसू रो रहे हैं. किसान अपने खेतों में ट्रैक्टर चलाकर प्याज की फसल को बर्बाद कर रहे हैं, तो कई जगह खेतों में पशु प्याज चरते नजर आ रहे हैं. सवाल उठता है. आखिर ऐसी स्थिति क्यों बनी? देखिए हमारे संवाददाता निशात मोहम्मद सिद्दीकी की ग्राउंड रिपोर्ट.

दरअसल, मध्य प्रदेश के खंडवा, मंदसौर और अन्य जिलों में इन दिनों प्याज की कटाई का समय चल रहा है. लेकिन यहां किसान मजबूरी में अपनी मेहनत की फसल पर ट्रैक्टर चला रहे हैं. यह नजारा सिर्फ एक खेत का नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र का है. खंडवा और मंदसौर जिले के कई किसानों ने रोटावेटर चलाकर अपनी प्याज की फसल को नष्ट कर दिया है.

किसानों का कहना है कि उन्हें प्याज का लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा. अगर वे प्याज निकालकर मंडी तक ले जाएं तो उन्हें उल्टा नुकसान उठाना पड़ रहा है, क्योंकि बाजार में कीमतें इतनी गिर चुकी हैं कि लागत भी नहीं निकल रही.

भारतीय किसान संघ के सुभाष पटेल ने बताया कि खंडवा जिले को ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (One District One Product)' के तहत प्याज उत्पादक जिला घोषित किया गया था. किसानों को उम्मीद थी कि यहां की प्याज एक्सपोर्ट (Onion Export) होकर बाहर जाएगी और उन्हें दोगुना दाम मिलेगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. सरकार द्वारा प्याज के निर्यात पर रोक लगाने से किसान बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.

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अब किसानों को ना तो लागत मूल्य मिल रहा है और ना ही एक्सपोर्ट की राह खुली है. इससे किसानों की कमर ही नहीं, उम्मीदें भी टूट गई हैं. कुछ किसान अपने खेतों में मवेशी चराकर फसल को बर्बाद होता देख रहे हैं. फिर भी किसान अपनेपन की मिसाल पेश कर रहे हैं. उन्होंने ग्रामीणों के लिए खेतों के द्वार खोल दिए, ताकि लोग प्याज तोड़कर ले जा सकें और कम से कम यह फसल किसी के खाने के काम आ सके.

अब चलते हैं प्याज मंडी (Onion Mandi) की ओर वहां का सन्नाटा बहुत कुछ बयां कर रहा है. प्याज के दामों में भयंकर गिरावट आई है. ₹1 से ₹2 प्रति किलो तक प्याज बिक रही है, जबकि एक्सपोर्ट क्वालिटी प्याज मात्र ₹10 प्रति किलो पर भी खरीदार नहीं मिल रहे. किसान फसल को मंडी तक लाने से बच रहे हैं. जो प्याज पहले से मंडी में पड़ी है, उसके भी खरीदार नहीं हैं.

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व्यापारी वर्ग भी संकट में है. उनका कहना है कि जब तक किसान खुश नहीं होगा, उनका व्यापार भी नहीं चलेगा. किसान की खुशी तभी लौटेगी जब प्याज का एक्सपोर्ट दोबारा शुरू होगा और दाम बढ़ेंगे. 

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