Collector Jamuna Bhide: महिला कलेक्टर की दरियादिली...आधी रात तक खुद सड़कों पर घूम कड़ाके की ठंड में कांप रहे गरीबों को ओढ़ाई कंबल

Collector Jamuna Bhide: कड़ाके की ठंड में कांप रहे बुजुर्गों, बच्चों को कंबल ओढ़ाकर महिला कलेक्टर ने संवेदनशीलता का परिचय दिया है. वे देर रात तक खुद सड़कों पर घूमती रहीं औऱ ऐसे परिवारों को ढूंढकर खुद कंबल ओढ़ाए... 

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Niwari Collector Jamuna Bhide: मध्य प्रदेश के निवाड़ी की महिला कलेक्टर जमुना भिडे की दरियादिली सामने आई है. कड़ाके की ठंड में गरीबों की मदद करने के लिए आधी रात तक खुद सड़कों पर उतर गईं. ओरछा में घूम-घूम कर गरीबों को गर्म कपड़ों का वितरण किया. ठंड में कंपकपाते बुजुर्गों, बच्चों को खुद कंबल ओढ़ाए व टोपी पहनाई. उनका हाल जाना और कड़ाके की ठंड में सतर्क रहने की सलाह दी. कलेक्टर का खुद आधी रात तक सड़क पर उतरकर गरीबों का मदद करने की लोग काफी सराहना कर रहे हैं. 

ओरछा की रात, बेतवा किनारे बहती हवा बरफ जैसी चुभन, ठंड में ठिठुरता गरीब... ऐसे में सरकारी दफ्तरों की चारदीवारी में बैठकर आदेश देने वाली कलेक्टर नहीं,  बल्कि मानवीय संवेदना से भरी जमुना भिडे खुद सड़कों पर उतरीं. रात गहराती गई, लेकिन प्रशासन की यह संवेदनशील यात्रा 11 बजे तक जारी रही. 

इन जगहों पर पहुंची

बढ़ती ठंड को देखते हुए निवाड़ी कलेक्टर जमुना भिड़े ने गरीबों को कंबल व बच्चों को ठंड से बचने के लिए टोपियों का वितरण किया. कलेक्टर का यह कारवां ओरछा से शुरू हुआ. ओरछा में ठंड का बढ़ती जा रही है.  कलेक्टर जमुना भिडे ने देर रात नगर भ्रमण का निर्णय लिया. इसी को लेकर रात 09 बजे से कलेक्टर का मानवीय सफर शुरू हुआ. कलेक्टर सबसे पहले मंदिरों के आसपास रहने वाले परिवारों के पास पहुंचीं. 

कलेक्टर ने ओढ़ाई कंबल 

कई बुजुर्ग खुले आंगन में बैठकर ठंड से जूझ रहे थे. कलेक्टर ने आगे बढ़कर खुद उनके कंधों पर कंबल रखा. कुछ बुजुर्गों की आंखें नम हो गईं. ओरछा गंज मोहल्ले में जब उन्होंने बच्चों को ठंड से कांपते देखा तो तुरंत अधिकारियों को निर्देश दिए और बच्चों को गर्म टोपी व कपड़े वितरित करवाएं. कुछ बच्चे हिचकते हुए टोपी ले रहे थे, तो कलेक्टर ने एक को अपने हाथ से पहनाते हुए कहा कि ठंड मजाक नहीं, इसे हल्के में मत लो, अपना ख्याल रखो.

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सड़क किनारे सो रहे लोगों तक पहुंचीं

नगर के अलग-अलग कोनों में सो रहे बेघर लोगों को उठाकर उनके पास जाकर कंबल ओढ़ाया गया. कई ऐसे लोग थे जो बिना किसी सुरक्षा के खुले में सोते दिखे. कलेक्टर ने उनसे पूछताछ की कि कहां से आए हो, कब से ओरछा में हो?भोजन और पानी की व्यवस्था हो पाती है या नहीं? यह बातचीत केवल औपचारिक नहीं थी, बल्कि उनकी दिक्कतों को समझकर तुरंत समाधान करने का प्रयास भी थी.

रात करीब 11.30 बजे एक गरीब व्यक्ति हरिराम कलेक्टर के सामने आया. वह फूट पड़ा और कहा कि मैडम, पेंशन नहीं मिलती, कुछ भी नहीं मिलता, कैसे जियू? इसके बाद अन्य अधिकारियों ने उनका नाम नोट किया और मदद का आश्वासन दिया. इसके बाद हरिराम की आंखों में भय नहीं, उम्मीद चमक रही थी.

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 महिलाओं ने बताई सच्चाई

कई गरीब महिलाओं ने बताया कि उन्हें 600 रुपये पेंशन और कंट्रोल का राशन मिलता है. इस मानवीय यात्रा में तहसीलदार सुनील वाल्मीकि समेत प्रशासन के अधिकारी मौजूद रहे. कलेक्टर के साथ-साथ पूरी टीम उन संकरे मोहल्लों में पहुंची जिनके दरवाजे पर शायद ही कोई अधिकारी पहले कभी खड़ा हुआ हो. रात के 12 बजे तक कंबल वितरण की यह प्रक्रिया जारी रही.

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