Project Cheetah in MP: विदेश से एक बार फिर एमपी लाए जाएंगे आठ चीते
Project Cheetah in Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट (Tiger State) के साथ चीता स्टेट का दर्जा जल्द ही मिलने वाला है. प्रदेश में लगातार चीतों की संख्या बढ़ रही है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Dr. Mohan Yadav) ने शुक्रवार को सीएम हाउस में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupendra Yadav) के साथ एमपी में चीता प्रोजेक्ट (MP Cheetah Project) से संबंधित मीटिंग में कहा कि इको सिस्टम के प्रॉपर डेवलपमेंट के लिए मध्य प्रदेश में वृहद स्तर पर काम हो रहा है. उन्होंने कहा कि अब मंदसौर जिले का गांधीसागर अभयारण्य (Gandhisagar Sanctuary) भी चीतों से गुलजार होगा. उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के सहयोग से 20 अप्रैल को गांधीसागर अभयारण्य में चीते छोड़े जाएंगे.
बोत्सवाना से लाए जाएंगे चीते
बैठक में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने बताया गया कि देश में चीता प्रोजेक्ट पर अब तक 112 करोड़ रुपए से अधिक राशि खर्च की जा चुकी है. इसमें से 67 प्रतिशत राशि मध्यप्रदेश में हुए चीता पुनर्वास पर व्यय हुई है. प्रोजेक्ट चीता के तहत ही अब गांधीसागर अभयारण्य में भी चीते चरणबद्ध रूप से विस्थापित किए जाएंगे. अभी कूनो और गांधीसागर अभयारण्य में चीता मित्रों की क्षमता संवर्धन के लिए उन्हें विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है.
दो चरणों में पूरा होगा काम
अधिकारियों ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना और केन्या से और अधिक चीते भारत लाने के लिए प्रयास जारी हैं. दो चरण में 8 चीते भारत लाए जाएंगे. मई 2025 तक बोत्सवाना से 4 चीते भारत लेकर आने की योजना है. इसके बाद 4 और चीते लाये जाएंगे. फिलहाल भारत और केन्या के बीच अनुबंध पर सहमति बनाई जा रही है.
एमपी में मौजूद चीतों पर एक नजर
कूनो राष्ट्रीय उद्यान में वर्तमान में कुल 26 चीते हैं. इनमें से 16 चीते खुले जंगल में हैं और 10 पुनर्वास केंद्र में हैं. कूनो में चीतों की संख्या लगातार बढ़ रही है. यहां ज्वाला, आशा, गामिनी और वीरा मादा चीता ने शावकों को जन्म दिया है. चीतों की निगरानी के लिए सैटेलाइट कॉलर आईडी से 24 घंटे ट्रैकिंग की जा रही है. चीतों के पुनर्स्थापना के बाद कूनो राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटकों की संख्या बढ़कर 2 साल में दोगुनी हो चुकी है.
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एमपी सरकार की इन प्रजातियों के लिए भी प्रयास
राज्य सरकार किंग कोबरा, घड़ियाल और दुर्लभ प्रजाति के कछुओं के संरक्षण के लिए भी प्रयासरत है. उन्होंने कहा कि सरकार किंग कोबरा संरक्षण के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य कर रही है. प्रदेश के जंगलों में जहरीले सांपों की संख्या नियंत्रित करने के लिए किंग कोबरा को बसाना आवश्यक है. पहले चरण में 10 किंग कोबरा मध्यप्रदेश लाने पर विचार हो रहा है.
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