नर्मदा नदी की परिक्रमा करना लोगों के लिए हुआ जानलेवा, पक्का रास्ता बनाने की कई सालों से कर रहे हैं मांग 

Narmada Parikrama: बड़वानी जिले में नर्मदा नदी की परिक्रमा करने के लिए लोगों को पकडंडी के रास्ते से होकर जाना पड़ता है. इस रास्ते की हालत इतनी खस्ता है कि हर समय जान पर खतरा बना रहता है. ऐसे में लोग कई सालों से पक्के रास्ते की मांग कर रहे हैं, लेकिन इसपर कोई एक्शन अभी तक नहीं लिया गया है.

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नर्मदा नदी की परिक्रमा में लोगों को हो रही परेशानी

MP News in Hindi: नर्मदा भारत की पहली एक ऐसी नदी है जिसकी परिक्रमा की जाती है. दरअसल, नर्मदा (Narmada River) भारत की पवित्र नदियों में से एक है. इसी कारण से इस नदी को मां नर्मदा भी कहा जाता है. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की जीवन रेखा भी यही नदी है. नर्मदा के तट पर कई तीर्थ स्थल है. इसी के वजह से इस नदी की परिक्रमा भी की जाती है. मां नर्मदा नदी की परिक्रमा (Narmada River Parikrama) के लिए लाखों की तादाद में श्रद्धालु अपने आस्था के कदम उठाते हुए इसका फेरा लगाते हैं.

नर्मदा परिक्रमा में लोगों को हो रही परेशानी

कुछ लोग नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक से वापस अमरकंटक तक जाते हैं, तो कुछ ओमकारेश्वर से अपनी यात्रा शुरू कर मां नर्मदा की परिक्रमा करते हुए वापस ओम्कारेश्वर में अपनी यात्रा समाप्त करते हैं. लेकिन, इस आस्था के पथ पर चलना आसान नहीं है. क्योंकि नर्मदा परिक्रमा का आधे से ज्यादा रास्ता कच्चा या पथरीला है. जिसकी वजह से इसपर चलने वाले अक्सर घायल भी हो जाते हैं.

35 किमी की कठिन है डगर

नर्मदा नदी की परिक्रमा बड़े-बड़े साधु संत और राजनेता भी कर चुके हैं. उत्तम स्वामी दादा गुरु, दिग्विजय सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी यात्रा निकाली, लेकिन इस क्षेत्र की आज भी दुर्दशा वही है. बड़वानी जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर कुली गांव से खतरनाक और कठिनाई भरा रास्ता शुरू होता है, जो 35 किलोमीटर का खराब पथरीला और काटों भरा परिक्रमा का रास्ता है. इस क्षेत्र के आदिवासी भी भक्तों के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं और उन्हें रास्ता दिखाते हुए आगे तक पहुंचाते हैं.

नर्मदा परिक्रमा के लिए खराब रास्ते का सफर

हो चुके हैं कई हादसे

इस क्षेत्र में कई पहाड़ी रास्ते से गुजरने पर कई हादसे भी हो चुके हैं. इस रास्ते की हालत ऐसी है कि कई बार हादसे के बाद श्रद्धालुओं को या तो झोली में डाल कर लाना पड़ता है या खाट पर डाल कर लाना पड़ता है. इस क्षेत्र के मार्ग की मांग को लेकर कई बार जनप्रतिनिधियों और प्रशासन तक गुहार लगा चुके हैं. लेकिन, आज तक रास्ता नहीं बन पाया.

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अधिकारियों की अनदेखी

बारिश के दौरान जब रास्ता खराब हो जाता है, तो नर्मदा परिक्रमा करने वालों के लिए गांव के लोग ही अपनी मेहनत से रास्ते को सुधारते हैं. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भी घोषणा थी कि इस रास्ते को बनाया जाएगा, लेकिन कहीं ना कहीं अफसर और अधिकारियों के लापरवाही के चलते आज भी काम लटका हुआ हैं. 

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