सरकारी स्कूल की बदहाली: न बाउंड्री वॉल, न पानी, न किचन शेड, बच्चे खतरे और अव्यवस्था में पढ़ने को मजबूर

Government school crisis: मध्यप्रदेश के धार जिले के धरमपुरी विकासखंड के ब्रह्मणपुरी गांव का सरकारी प्राथमिक विद्यालय गंभीर अव्यवस्थाओं से जूझ रहा है. स्कूल में न बाउंड्री वॉल है, न पानी की सुविधा और न ही किचन शेड। मिड-डे मील क्लासरूम में पकाया जा रहा है, जिससे बच्चों की पढ़ाई और स्वास्थ्य दोनों प्रभावित हो रहे हैं.

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MP NEWS: सरकार भले ही शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और "स्कूल चलें हम" जैसे अभियान चला रही हो, लेकिन ज़मीनी सच्चाई अब भी कई गांवों में बेहद चिंताजनक है. धार जिले के धरमपुरी विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत तारापुर के मजरे ब्रह्मणपुरी में संचालित शासकीय प्राथमिक विद्यालय इसकी ज्वलंत मिसाल है.

इस स्कूल में न तो बाउंड्री वॉल है, न पेयजल की सुविधा, और न ही किचन शेड. मजबूरी में शिक्षक और छात्र अव्यवस्था के बीच पढ़ाई कर रहे हैं और मध्यान्ह भोजन तक क्लासरूम में पकाया जा रहा है.

किचन की जगह क्लासरूम में बन रहा खाना

स्कूल में बना पुराना किचन इतना जर्जर हो चुका है कि वहां भोजन बनाना जोखिम भरा हो गया है. ऐसे में खाद्यान्न क्लासरूम में ही रखे जा रहे हैं और वहीं भोजन पकाया जा रहा है, जिससे बच्चों की पढ़ाई और स्वास्थ्य दोनों पर असर पड़ रहा है.

जल जीवन मिशन पहुंचा ही नहीं

जल जीवन मिशन के तहत जहां हर सरकारी संस्थान में नल कनेक्शन दिए जाने का दावा है, वहीं इस स्कूल में आज तक पानी की सुविधा नहीं पहुंची. शिक्षकों को आसपास के घरों से पानी लाना पड़ता है, ताकि बच्चों को पीने का पानी और मध्यान्ह भोजन के लिए जल मिल सके.

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सड़क किनारे स्कूल, कोई सुरक्षा नहीं

स्कूल धरमपुरी-मांडव मुख्य मार्ग के ठीक किनारे स्थित है. बाउंड्री वॉल न होने के कारण यहां बच्चों की सुरक्षा हमेशा खतरे में रहती है. तेज रफ्तार वाहनों और खुले क्षेत्र के कारण कोई भी हादसा कभी भी हो सकता है.

दो साल से शिकायतें, पर कोई सुनवाई नहीं

शिक्षकों ने बीते दो वर्षों से किचन शेड, पानी और बाउंड्री वॉल के लिए संबंधित अधिकारियों को कई बार आवेदन दिए हैं. लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. स्थिति जस की तस बनी हुई है और बच्चे रोजाना जोखिम उठाकर स्कूल आते हैं.

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क्या शिक्षा और सुरक्षा सिर्फ नारे बनकर रह जाएंगे?

ब्रह्मणपुरी के इस सरकारी स्कूल की स्थिति शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करती है. जब तक बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलतीं, तब तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बच्चों की सुरक्षा की बात महज औपचारिक घोषणाओं से आगे नहीं बढ़ पाएगी.