BJP in Budhni: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की बुधनी विधानसभा सीट (Budhni Vidhan Sabha Seat) पर हुए उपचुनाव (MP By-Election) में भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की है. बीजेपी के रमाकांत भार्गव (Ramakant Bhargawa) ने कांग्रेस के राजकुमार पटेल (Rajkumar Patel) से 13 हजार 109 वोटों के अंतर से जीत हासिल की. इस सीट से इससे पहले केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) विधायक थे. उनके बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि बुधनी में भाजपा क्लीन स्वीप करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. आइए इसके पीछे की मुख्य तीन कारणों के बारे में बात करते हैं.
ऐसा रहा बुधनी में चुनावी नतीजा
मध्य प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव में बुधनी सीट से भाजपा के रमाकांत भार्गव को कुल 107478 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के राजकुमार पटेल को 93577 वोट मिले. 13 हजार के इस अंतर से BJP की जीत को शानदार जीत नहीं, बल्कि लाज बचाने वाली जीत मानी जा रही है. गिनती शुरू होने के बाद से ही दोनों उम्मीदवारों में कड़ा मुकाबला दिख रहा था. कई बार कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार पटेल रमाकांत से आगे निकले थे.
कम मार्जिन से जीत की तीन वजहें
- राजेंद्र सिंह राजपूत की नाराजगी
बुधनी में रमाकांत भार्गव के नामांकन के दौरान ही उनके प्रभाव पर निगेटिव असर पड़ा था. उनके खिलाफ कुछ भाजपाई खड़े हो गए थे. वैसे तो एमपी मार्कफेड के पूर्व अध्यक्ष रमाकांत भार्गव को शिवराज सिंह का करीबी माना जाता है, लेकिन केंद्रीय मंत्री के एक और करीबी राजेंद्र सिंह राजपूत भार्गव से नाराज थे और उनके खिलाफ हो गए थे. बता दें कि राजेंद्र सिंह राजपूत ने साल 2006 में चौहान के लिए अपनी सीट छोड़ दी थी.
- राजपूत समर्थकों ने पलट दिया खेल
शिवराज सिंह के करीबी राजेंद्र सिंह राजपूत और उनके समर्थकों ने रमाकांत भार्गव के नामांकन के बाद उनका खुलकर और जमकर विरोध किया था. उन्होंने कई बार कांग्रेस को वोट देने की धमकी भी दी थी. राजपूत के समर्थक कार्यकर्ताओं का कहना था कि क्योंकि उन्होंने शिवराज सिंह के लिए अपनी सीट छोड़ी थी, इसलिए अब शिवराज की बारी है कि वे राजपूत को बुधनी की सीट लौटा दें.
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- जातिगत समीकरण भी रही वजह
बुधनी विधानसभा में ओबीसी मतदाता बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं. क्योंकि शिवराज सिंह किरार हैं, इसलिए उन्होंने शिवराज को वोट दिया था. लेकिन, शायद इन वोटरों का रमाकांत को साथ नहीं मिल पाया. इस समाज के एक बड़े हिस्से ने कांग्रेस के राजकुमार पटेल को वोट दे दिया, क्योंकि पटेल भी किरार समाज से है. उन्होंने 1993 में यहां से जीत हासिल की थी.
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