मानसून सत्र: आदिवासियों के वनाधिकार के दावों को खारिज करने का विरोध, विपक्ष को CM ने दिया ये जवाब

MP News: विधानसभा मानसून सत्र के दौरान आदिवासियों के वनाधिकार के दावों को खारिज करने का कांग्रेस ने जमकर विरोध किया. आइए जानते हैं नेता प्रतिपक्ष ने क्या कहा? 

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Madhya Pradesh News: मध्यप्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा है. आदिवासियों के वनाधिकार के दावों को खारिज करने के मामले में आज सोमवार को सत्र के दौरान विपक्ष ने सरकार को जमकर घेरा. नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि जो जंगल पर निर्भर है सरकार वह आदिवासियों से छिनकर निजी हाथों में देना चाहती है. सीएम मोहन यादव ने भी इसका जवाब दिया. 

नीतिगत बदलाव करना चाहिए

विधानसभा मानसून सत्र के दौरान आदिवासियों के वनाधिकार के दावों को खारिज करने का कांग्रेस ने जमकर विरोध किया. आदिवासी जिलों में वन अधिकार के दावेदारों के प्रकरणों को खारिज कर बेदखल करने को लेकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, विधायक अजय सिंह ,हीरालाल ने ध्यानाकर्षण कराया. उमंग सिंघार ने कहा जो जंगल पर निर्भर है सरकार वह आदिवासियों से छिनकर निजी हाथों में देना चाहती है. सरकार को नीतिगत बदलाव करना चाहिए. 

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ये सवाल भी उठाए 

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि 10 साल में 41 करोड़ पौधे लग गए . जनसंख्या से अधिक पौधे कहां लग गए? शिवराज जी के समय में नर्मदा किनारे पौधे लगे लेकिन एक भी नहीं बचे. सिंघार ने ये भी कहा कि मैं भी वन मंत्री था लेकिन सरकार नहीं रही. वन विभाग पौधे लगने का अक्षांश -दीक्षांश नहीं दे पाया. 50 हज़ार पौधे का दावा था लेकिन मात्र डेढ़ हजार पौधे मिले. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जनता के पैसे क्या ऐसे ही बर्बाद किए जाएंगे.

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CM ने दिया ये जवाब 

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि वन क्षेत्रों के आदिवासियों की मूलभूत सुविधाएं कैसे बढ़ाएं, पट्टे कैसे दें, हमारी सरकार ने न केवल इस दिशा में ठोस कदम उठाया है बल्कि आदिवासियों को सुविधाएं भी दी है. किसी भी हालत में धरती आबा योजना सहित सारी योजनाओं में संयुक्त रूप से भी अगर कोई बैठा ना चाहे तो सरकार खुले मन से आदिवासियों के हर हालत में उत्कर्ष के लिए विपक्ष से भी सुझाव आएंगे तो विचार करेगी. सरकार किसी भी आदिवासी को परेशानी में नहीं देखना चाहेगी. हमारे यहां हजारों सालों से वन ग्राम है तो क्षेत्र में विकास हो उसके लिए सरकार खड़ी है.  हमने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए हैं कि बारिश और बाढ़ के समय किसी भी आदिवासी से उसकी छत न छीनी जाए. आज ध्यान आकर्षण में यही संकल्प लेते हैं कि हम आदिवासियों का पूर्ण रूप से ख्याल रखेंगे.

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