MSP News: सरकार फसलों की कीमत बढ़ा कर लूट रही है वाहवाही, पर यहां तो MSP पर बिक ही नहीं रही है फसल

MSP For Farmers: शासन की ओर से उड़द का समर्थन मूल्य 8600 रुपये निर्धारित की गई है, लेकिन किसानों की उपज व्यापारियों की सांठगांठ के चलते 7500 रुपये से 8100 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत ही मिल पा रही हैं.

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Minimum Support Price For The Rabi Season: केंद्र सरकार ने 14 खरीफ फसलों की एमएसपी (MSP) में इजाफा कर देशभर के किसानों (Farmers) को बड़ी राहत दी है. हालांकि, इसका असर जमीन पर दिखाई नहीं दे रहा है. मंडियों में हालात ये है कि किसान अपनी उपज लेकर पहुंच रहे हैं, लेकिन कोई खरीदार ही नहीं मिल रहा है, जिसकी वजह से किसानों पर भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

मध्य प्रदेश के कटनी के कृषि उपज मंडी में इन दिनों उड़द की बंपर आवक हो रही है. यहां कटनी जिले के अलावा आसपास के जिले मैहर, उमरिया और पन्ना जिले के किसान भी अपनी उपज को बेचने के लिए पहुंच रहे है, लेकिन किसानों को उनके उपज की नीलामी के लिए एक से तीन दिनों तक इतंजार करना पड़ रहा है. ऐसे में किसानों को अपनी उपज की सुरक्षा के लिए मंडी में ही रुकना पड़ता है, लेकिन इस दौरान उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. मंडी प्रशासन की ओर से नीलामी की प्रक्रिया भी देर से शुरू होने के चलते सभी किसानों की उपज की नीलामी नहीं हो पाती है, जिससे किसान अब परेशान हो रहे हैं.

मंडी सचिव ने ये बताई वजह

हालांकि, इस मामले में कृषि उपज मंडी सचिव का अपना ही तर्क है. उनके मुताबिक इस वर्ष दलहनी फसलों की बम्पर आवक हो रही है. वहीं, उसके मुकाबले मंडी में खरीद के लिए व्यापारियों की भारी कमी है. उनका कहना है कि इसी वजह से किसानों को अपनी उपज बेचने में दिक्कतें आ रही है.

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रनिंग रेट से भी कम कीमत पर व्यापारी ले रहे हैं उपज

इस मामले को लेकर जब एनडीटीवी संवाददाता राम बिहारी गुप्ता ने किसानों की समस्या पर चर्चा की तो, उमरिया जिले के किसान लल्लू सिंह ने बताया कि वह उड़द लेकर यहां कल ही आए थे, लेकिन डाक यहां तक नहीं आ पाई है और रनिंग रेट से भी कम कीमत पर व्यापारी उपज को ले रहे हैं. उन्होंने बताया कि बुधवार को 75 सौ रुपये प्रति क्विंटल से लेकर 81 सौ रु तक बोली लगाई गई है.

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किसानों को हो रही है भारी दिक्कत

मंडी में बया का काम कर रहे राम आश्रय गौतम ने बताया कि किसान अपनी उपज लेकर आते हैं, लेकिन यहां नीलामी देर से शुरू होने के कारण देर रात तक नीलामी चलती है, जिससे ज्यादातर किसानों के उपज की नीलामी नहीं हो पाती है और किसानों को यहां रुकना पड़ता है. इसका फायदा व्यापारी उठाते हैं और कम कीमत पर व्यापारी किसानों से उनकी उपज ले लेते हैं. किसान यदि मंडी में आकर 3 दिन बाद अपने घर पहुंचेगा, तो फिर वह दोबारा मंडी में नहीं आएगा. उन्होंने आगे कहा कि आज डेढ़ बज रहे हैं, लेकिन नीलामी करने वाले अभी तक नहीं आए हैं.

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किसानों ने ये बताई अपनी पीड़ा

इसी तरह उमरिया जिले से आए किसान कमला प्रसाद पटेल ने बताया कि वह यहां 12 क्विंटल उड़द लेकर मंगलवार को आए हैं, लेकिन उनके उपज की नीलामी अब तक नहीं हुई है. उन्हें अपनी उपज की सुरक्षा के लिए रात में रुकना पड़ रहा है. यहां रातभर मच्छरों ने उन्हें काटा और खाने के लिए उन्हें होटल का भी ठीक से पता नहीं है, जिससे वह काफी परेशान हो रहे हैं. वहीं, कोइलारी से आए किसान हरिलाल ने बताया कि वह 30 क्विंटल उड़द ले कर आए हैं, लेकिन उनके उड़द की अब तक नीलामी नहीं हुई है. उन्हें अपने उड़द की सुरक्षा खुद करनी पड़ रही है. यदि रात में कहीं खाना खाने के लिए जाते भी हैं, तो मवेशी उनके उड़द को खाने लगते हैं. रात में मच्छरों से भी वह परेशान हो रहे हैं. इस कारण से वह नहाए भी नहीं है. उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

मंडी सचिव ने ये दी दलीलें

पूरे मामले पर कृषि उपज मंडी के सचिव कामता चौधरी से जब एनडीटीवी संवाददाता ने किसानों की समस्याओं पर चर्चा की, जिसमें उन्होंने बताया कि इन दिनों उड़द की मंडी में बम्पर आवक हो रही है और व्यापड़ियों की कमी के चलते नीलामी पूरी नही हो पा रही है. फिलहाल, किसानों को एक दिन तक रुकना पड़ रहा है. वर्तमान में सरकार की ओर से उड़द का न्यूनतम समर्थन मूल्य 8600 रुपये है. वहीं, उन्होंने कहा कि किसानों के उपज की सुरक्षा के लिए यहां 25 गार्ड तैनात हैं. उनके उपज को रखने के लिए शेड भी हैं, जिसमें वह सुरक्षित रख सकते हैं. इसके अलावा 5 रुपये में भोजन भी मुहैया कराया जाता है. किसानों की उपज की नीलामी के लिए व्यापारियों को 11 बजे से प्रक्रिया में शामिल होने के लिए निर्देश दिए हैं, ताकि किसानों को समस्या न हो.

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बता दें कि शासन की ओर से उड़द का समर्थन मूल्य 8600 रुपये निर्धारित की गई है, लेकिन किसानों की उपज व्यापारियों की सांठगांठ के चलते 7500 रुपये से 8100 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत ही मिल पा रही हैं. कम कीमत के साथ ही यहां किसानों को कई तरह की समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है. 

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