बैतूल में मिले दुर्लभ बार्न आउल के 5 बच्चे, तांत्रिक क्रिया करने वालों की इन पर होती है खास नजर

रेस्क्यू किये गए बार्न आऊल (उल्लू) के बच्चों को संरक्षण के लिए सफारी मुकुंदपुर वनमंडल सतना भेजा गया है. वन विभाग की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, बार्न आऊल (उल्लू) को Wildlife Protection Act 1972 में Appendix 1 के तहत कानूनी संरक्षण दिया गया है. भ्रांति के चलते अक्सर इनका या तो शिकार कर लिया जाता है या फिर पकड़ कर रख लिया जाता है. ऐसे में यह उल्लू धीरे-धीरे विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गए हैं

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दुर्लभ बार्न आउल के मिले 5 बच्चे, तांत्रिक क्रिया करने वालों की होती है इन पर नजर

Madhya Pradesh News: सतना ज़िले का महाराजा मार्तण्ड सिंह जूदेव व्हाइट टाइगर सफारी (MMSJ White Tiger Safari) सफेद बाघों के लिए बेहद मशहूर है. मुकुंदपुर मैहर के इस बाड़े में अब सफेद उल्लू भी पहुंच चुके हैं. जी हां, आपको बता दें कि बैतूल जिले में पाए गए संरक्षित किस्म के बार्न आउल को अब यहां पर भेज दिया गया है. इस प्रजाति को सुरक्षा के लिहाज़ से यहां पर भेजा गया है. बीते दिनों बार्न आउल के पांच बच्चे एक किसान के घर से बरामद हुए थे. जिनकी देखभाल अब टाइगर सफारी मुकुंदपुर में की जा रही है. संरक्षित किए गए बार्न आउल को वन-विभाग ने MMSJ White Tiger Safari भेजा है. आइए आपको इस दुर्लभ आउल की खासियत के बारे में बताते हैं? 

बार्न आउल को दिया गया कानूनी संरक्षण 

मिली जानकारी के मुताबिक, बैतूल जिले के मोती वार्ड में रहने वाले प्रकाश ठाकुर के मकान में दुर्लभ बार्न आउल देखे गए थे जिसके बाद बार्न आउल के पांचों बच्चों को सुरक्षित तरीके से रेस्क्यू कर घोंसले से बाहर लाया गया और वन विभाग को सौंप दिया गया. रेस्क्यू किये गए बार्न आऊल (उल्लू) के बच्चों को संरक्षण के लिए सफारी मुकुंदपुर वनमंडल सतना भेजा गया है. वन विभाग की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, बार्न आऊल (उल्लू) को Wildlife Protection Act 1972 में Appendix 1 के तहत कानूनी संरक्षण दिया गया है. 

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तांत्रिकों की रहती है इन पर खास नजर

बार्न आऊल (उल्लू) एक दुर्लभ प्रजाति है. बार्न उल्लू की सबसे बड़ी खासियत यह होती है कि वह अपने शिकार को पूरी तरह से निगल जाता है. बार्न आउल की आयु को लेकर दावा किया जाात है कि यह 15 साल के करीब जीता है. बार्न आउल उल्लू की ऐसी प्रजाति है, जो धीरे-धीरे अब खत्म हो रही है. बार्न आउल (सफेद उल्लू) पर तंत्र क्रिया में शामिल लोगों की खास नजर रहती है. भ्रांति के चलते अक्सर इनका या तो शिकार कर लिया जाता है या फिर पकड़ कर रख लिया जाता है. ऐसे में यह उल्लू धीरे-धीरे विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गए हैं. 

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