Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश कैडर में भारतीय प्रशासनिक सेवा के दो अधिकारी नागार्जुन गौड़ा (IAS Nagarjun Gowda ) और Khandwa DM ऋषव गुप्ता (IAS Rishav Gupta) सुर्खियों में हैं. दोनों के बारे में दावा किया जा रहा है कि इन्होंने AI से फर्जी फोटो बनाकर और फर्जी आंकड़े पेश कर राष्ट्रीय अवार्ड (National Award) ले लिया है.
IAS ऋषव गुप्ता खण्डवा के जिला कलेक्टर हैं, जबकि IAS डॉ. नागार्जुन बी. गौड़ा खंडवा जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी हैं. दोनों ने जल संचय, जनभागीदारी में खंडवा जिले को प्रथम पुरस्कार दिलाया है. इसी को लेकर इनके बारे में चौंकाने वाले दावे किए जा रहे हैं. हालांकि, जिला प्रशासन खंडवा ने पूरे मामले में हकीकत बताई है.
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Photo Credit: PRO Khandwa
खंडवा कलेक्टर-सीईओ को क्या अवार्ड मिला?
17 नवंबर 2025 को पीआरओ खंडवा ने अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट कर बताया था कि 18 नवंबर 2025 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में छठे राष्ट्रीय जल पुरस्कार बांटे जाएंगे. कार्यक्रम में सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत की श्रेणी में खंडवा जिले की कावेश्वर पंचायत को द्वितीय पुरस्कार मिलेगा. मुख्य अतिथि महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों खंडवा जिला कलेक्टर ऋषव गुप्ता व जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. नागार्जुन बी. गौड़ा पुरस्कार प्राप्त करेंगे.
खंडवा को क्यों मिला था अवार्ड?
खंडवा पीआरओ की उसी फेसबुक पोस्ट में जिला कलेक्टर ऋषव गुप्ता के हवाले से बताया गया कि भारत सरकार के जल शक्ति अभियान ‘कैच द रेन' के तहत शुरू की गई ‘जल संचय, जनभागीदारी' पहल में खंडवा जिले ने जल संरक्षण के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है. इसके लिए भी मंगलवार को खंडवा जिले को 2 करोड़ रुपए का पुरस्कार मिलेगा.
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खंडवा की कावेश्वर पंचायत में क्या काम हुआ?
खंडवा जिला कलेक्टर ऋषव गुप्ता के मुताबिक 1.5 लाख रुपए का नगद पुरस्कार एवं ट्रॉफी के लिए जल संरक्षण के उल्लेखनीय कार्यों के कारण देशभर की पंचायतों में से खंडवा जिले की ग्राम पंचायत कावेश्वर का चयन किया गया है.
कावेश्वर ग्राम पंचायत द्वारा विगत वर्षों में कावेरी नदी के उद्गम स्थल कुंड का जीर्णोद्धार, पंचायत क्षेत्र अंतर्गत पहाड़ी क्षेत्र का सैचुरेशन अप्रोच से वाटरशेड के मूल सिद्धांत रिज टू वैली के आधार पर विकास किया गया, जिसमें 50 हेक्टेयर क्षेत्र में कंटूर, 55 गली प्लग, 35 पोखर तालाब, वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, हैंडपंप रिचार्ज, बोरवेल रिचार्ज, रिचार्ज शाफ्ट का निर्माण किया गया.
सोशल मीडिया पर क्या दावे?
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर Ravi Mishra (@Mishravi07) की यह पोस्ट देखिए, जिसमें दावा किया जा रहा है कि IAS नागार्जुन गौड़ा और खंडवा कलेक्टर ऋषव गुप्ता ने AI से फर्जी फोटो बनाकर महामहिम राष्ट्रपति से अवॉर्ड लिया. काम की फोटो को AI का वॉटरमार्क हटाए बिना ही अपलोड कर दिया. दो-दो फीट के गड्ढे को कुआं बताकर राष्ट्रीय अवॉर्ड के लिए फर्जी आंकड़े और तस्वीरें अपलोड कर दीं. ऐसी पोस्ट अकेले रवि मिश्रा ने नहीं की है, बल्कि सोशल मीडिया पर कई यूजर ऐसा दावा कर रहे हैं.
खंडवा जिला प्रशासन ने किया खंडन
27 दिसंबर 2025 से वायरल हो रहे इस दावे का खंडवा जिला प्रशासन ने खंडन किया है. परियोजना अधिकारी मनरेगा जिला पंचायत, खंडवा ने बताया कि अभियान के तहत जिला खंडवा द्वारा कुल 1,29,046 कार्यों की फोटो पोर्टल पर अपलोड की गईं. जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा उक्त समस्त फोटो का डेस्क सत्यापन किया गया. इसके अतिरिक्त रेंडम जांच के तहत कुल कार्यों के 1 प्रतिशत का फील्ड चेक भी किया गया. अब किए जा रहे दावे तथ्य से विपरीत और भ्रामक हैं.
उन्होंने बताया कि खंडवा जिले द्वारा कुल 1.29 लाख फोटो अपलोड की गई थीं. उन्हीं के आधार पर जल संचय, जनभागीदारी अभियान अंतर्गत पुरस्कार प्राप्त हुआ है. अब जनसुनवाई में प्राप्त आवेदनों के आधार पर झूठ फैलाया जा रहा है. दावों का जल संचय, जनभागीदारी अभियान से कोई संबंध नहीं है.
कौन हैं आईएएस नागार्जुन गौड़ा?
नागार्जुन बी. गौड़ा मध्य प्रदेश कैडर में 2019 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. ये मूल रूप से कर्नाटक के रहने वाले हैं. एमबीबीएस करने के बाद डॉक्टर बने और फिर यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा 2018 में 418वीं रैंक पाकर मणिपुर कैडर में आईएएस बने.
नागार्जुन बी. गौड़ा की पत्नी सृष्टि जयंत देशमुख भी आईएएस अधिकारी हैं. सृष्टि देशमुख ने यूपीएससी 2018 में अखिल भारतीय रैंक 5 हासिल की थी. इन्हें होम कैडर मध्य प्रदेश मिला था. नागार्जुन बी. गौड़ा और सृष्टि देशमुख ने 22 अप्रैल 2022 को शादी की. सृष्टि से शादी के ग्राउंड के आधार पर गौड़ा मणिपुर कैडर से ट्रांसफर करवाकर मध्य प्रदेश आ गए.
कौन हैं आईएएस ऋषव गुप्ता?
खंडवा जिला कलेक्टर ऋषव गुप्ता मध्य प्रदेश कैडर में साल 2014 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. यूपीएससी क्रैक करने से पहले ऋषव गुप्ता सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे. प्राइवेट जॉब छोड़कर उन्होंने यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा 2013 में भाग्य आजमाया और 37वीं रैंक हासिल की.
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