चौंकाने वाला खुलासा... MP की स्कूलों में 10 वर्षों में घटी 21 लाख बच्चों की संख्या, प्राइवेट विद्यालयों का भी है बुराहाल

MP News: स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने विधानसभा में लिखित में जानकारी दी है कि पिछले 10 सालों में प्रदेश की सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या घट गई है. 

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री ने विधानसभा में एक बड़ा चौंकाने वाला खुलासा किया है. उन्होंने बताया है कि प्रदेश में पिछले 10 साल में 21 लाख बच्चे कम हुए हैं. मंत्री ने कांग्रेस के विधायक प्रताप ग्रेवाल के सवाल का जवाब देते हुए लिखित में पूरी जानकारी दी है. 

स्कूल शिक्षा मंत्री ने आंकड़े जारी कर बताया

मध्यप्रदेश के सरकारी विद्यालयों में कक्षा 1 से 8 में पिछले 10 साल में 21 लाख बच्चे और प्राइवेट स्कूलों में 5 लाख बच्चे कम हो गए हैं. यह जानकारी राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने विधानसभा में लिखित में दी है. कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल के सवाल के जवाब में विधानसभा में बताया गया कि साल 2015-16 में सरकारी स्कूलों में नामांकन 78.96 लाख था, जो 2024-25 में घटकर 58.17 लाख रह गया. इसी अवधि में निजी विद्यालयों में 2015-16 में 48.84 लाख स्टूडेंट्स दर्ज थे जो 2024-25 में घटकर 43.93 लाख ही रह गए. 

Advertisement
2015-16 में सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में कुल नामांकन मिलाकर 127.8 लाख था,साल 2024-25 में नामांकन घटकर 102.10 लाख गया. यानी कि सरकारी और निजी विद्यालय मिलाकर कक्षा 1 से 8 में 25.7 लाख बच्चे पिछले 10 साल में कम हो गए.

नामांकन में यह गिरावट कक्षा 9 से 12 में भी दर्ज की गई है. जहां शासकीय विद्यालय में साल 2020-21 में नामांकन 23.94 लाख से घटकर 2024-25 में 21.26 लाख हो गई यानी 2.68 लाख की कमी हुई है.  वहीं इसी अवधि में निजी स्कूलों में नामांकन 13.05 लाख से घटकर 12.85 लाख दर्ज की गई. निजी स्कूलों में भी 0.20 लाख की कमी देखी गई. कक्षा 9 से 12 में शासकीय और निजी विद्यालय मिलाकर पिछले पांच सालों में 2.88 लाख नामांकन कम हुए.

Advertisement

ये भी पढ़ें अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट में सज गई थी चिता, शव लेने अस्पताल पहुंचे तो मिला जिंदा

Advertisement

प्रताप ग्रेवाल ने लगाए ये आरोप

प्रताप ग्रेवाल ने कहा कि अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा था कि प्राथमिक शिक्षा में सकल नामांकन दर 98% औऱ माध्यमिक शिक्षा में 70% तथा उच्चतर माध्यमिक शिक्षा में 67% से अधिक हो चुकी है,जबकि स्कूलों में नामांकन से यह सिद्ध हो रहा है कि प्रदेश में गुणवत्ताहीन शिक्षा के कारण विद्यार्थियों की संख्या में निरंतर चौंकाने वाली कमी हो रही है और उन पर होने वाला खर्च लगातार बढ़ाकर बताया जा रहा है.

ये भी पढ़ें मऊगंज के बाद सीधी में हालात खराब! युवक को ग्रामीणों ने बुरी तरह पीटा, गंभीर हालत में लाया गया अस्पताल

Topics mentioned in this article