Betul: स्मार्ट क्लॉस को आईना दिखाती ये झोपड़ी की पाठशाला, 12 सालों से नहीं बन पाया एक स्कूल

Madhya Pradesh News: तस्वीर है भीमपुर (Bhimpur) ब्लॉक के सालईढाना Salaidhana) की... जहां पिछले 12 सालों से झोपड़ी में एक स्कूल संचालित हो रहा है. घासफूस और पन्नी से बनी यह झोपड़ी आधुनिक युग में स्मार्ट क्लॉस (Smart Class) का दावा करने वाली शिवराज सरकार की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ी करती दिखाई दे रही है.

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स्मार्ट क्लॉस को आईना दिखाती ये झोपड़ी की पाठशाला

Madhya Pradesh Latest News: डिजिटल इंडिया (Digital India) के जमाने मे बैतूल (Betul) से एक बार फिर शिवराज सरकार (Shivraj Government) की शिक्षा व्यवस्था (Education System) की पोल खोलती तस्वीर सामने आई है. तस्वीर है भीमपुर (Bhimpur) ब्लॉक के सालईढाना Salaidhana) की... जहां पिछले 12 सालों से झोपड़ी में एक स्कूल संचालित हो रहा है. घासफूस और पन्नी से बनी यह झोपड़ी आधुनिक युग में स्मार्ट क्लॉस (Smart Class) का दावा करने वाली शिवराज सरकार की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ी करती दिखाई दे रही है. आपको बता दें कि इस स्कूल की दर्ज़ संख्या 22 है और यहां कुल दो शिक्षकों की तैनाती है. प्राथमिक शाला का भवन पिछले 12 सालों में पूरा नहीं हुआ. लिहाजा एक ग्रामीण की झोपड़ी में पिछले 12 साल से स्कूल का संचालन किया जा रहा है. इन बच्चों को सरकार की तरफ से जिए जाने वाले मिड डे मील (Mid Day Meal) की सुविधा भी नहीं मिलती है.

12 सालों के बाद भी नहीं बन पाया एक स्कूल 

सबसे पहले आपको बता दें कि सालईढाना गांव में कोरकू समुदाय के आदिवासी निवास करते हैं. मध्यप्रदेश सरकार ने कोरकू समुदाय को विलुप्त जनजाति की श्रेणी में रखा है. लेकिन शिवराज सरकार में आदिवासियों की क्या हालत है ये तस्वीरें खुद बयां कर रही हैं. सालईढाना गांव के ये आदिवासी बच्चें पिछले 12 वर्षों से ठंड और बारिश के मौसम में भी इसी झोपड़ी में पढ़ने को मजबूर है. बच्चों को मिड डे मील भी नहीं मिलता हैं. सालईढाना के ग्रामीणों और शिक्षक की मानें तो 12 सालों से स्कूल भवन की मांग कर रहे हैं. इसके लिए जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को कई बार निवेदन भी कर चुके हैं लेकिन इनकी कोई नहीं सुनता है. 

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12 सालों से नहीं बन पाया एक स्कूल

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स्कूल की जगह झोपड़ी में पढ़ने को मजबूर बच्चे

झोपड़ी के इस स्कूल में बच्चे बारिश के दिनों में भीग जाते हैं. यहां पर बैठने की जगह नही होती है. झोपड़ी से पानी टपकता है, बच्चों की पुस्तकें भी खराब हो जाती हैं. साथ ही बच्चों को मिड डे मील भी नहीं मिल पाता है. इस मामले में जब जिम्मेदार अधिकारियों से बातचीत की गई तो उनके अनुसार सालईढाना स्कूल भवन में निर्माण करने वाली एजेंसी से रिकवरी की बात की जा रही है, वहीं, स्कूल भवन पर टिन शेड भी डाला गया था,  जो अब उड़ गया है. अधिकारी मिड डे मील जल्द शुरू करने की बात कह रहे हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि सालईढाना में बनने वाला स्कूल बीरबल की खिचड़ी बन गया जो 12 सालों से भवन का निर्माण पूरा नहीं हुआ. 

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