Parali Burning Madhya Pradesh: भारत में पराली जलाने की समस्या एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार ध्यान पंजाब या हरियाणा पर नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश पर केंद्रित है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की CREAMS लैब द्वारा जारी नवीनतम सैटेलाइट आधारित रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष 15 सितंबर से 19 नवंबर 2025 के बीच देश में पराली जलाने की कुल 22,818 घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें सबसे अधिक 10,175 घटनाएं अकेले मध्य प्रदेश से सामने आई हैं. पंजाब, जो वर्षों से इस समस्या के लिए बदनाम रहा है, अब 5,034 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है.
ये आंकड़े संकेत देते हैं कि जहां पंजाब ने पराली प्रबंधन के उपायों और मशीन सब्सिडी में सुधार कर घटनाओं की संख्या को घटाया है, जो 2020 के 81,470 मामलों से गिरकर अब सिर्फ 5,034 रह गई है. वहीं मध्य प्रदेश में स्थिति उलटी दिशा में बढ़ रही है.
Parali Burning MP: मध्य प्रदेश में पराली जलाने पर प्रतिबंध
पराली जलाने में आई इस अचानक वृद्धि ने मध्य प्रदेश प्रशासन को अलर्ट कर दिया है. इसी चुनौती को देखते हुए राज्य सरकार ने मई 2025 में मध्य प्रदेश में पराली जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लागू कर दिया था. सरकार ने यह भी स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि यदि कोई किसान खेत में पराली जलाते हुए पाया जाता है, तो उसे न केवल जुर्माना भरना होगा बल्कि उसे मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के लाभों से तत्काल वंचित कर दिया जाएगा.
इंदौर जिला इस कार्रवाई का सबसे बड़ा उदाहरण बनकर सामने आया है, जहां जिला प्रशासन ने अब तक 770 किसानों पर कार्रवाई की थी. इनमें से तीन किसानों पर FIR दर्ज हुई थी, जबकि कुल 16.71 लाख रुपये का जुर्माना वसूला जा चुका है. केवल एक दिन में यहां 102 किसानों पर 3 लाख से अधिक का दंड लगाया गया. प्रशासन इसे "शून्य सहिष्णुता नीति" का हिस्सा बता रहा है.
किसान गिनवा रहे मजबूरियां
हालांकि इस कार्रवाई के बीच किसान अपनी मजबूरियां भी गिनवा रहे हैं. नरसिंहपुर, रायसेन, हरदा और देवास जैसे जिलों में तेजी से अपनाई जा रही ग्रीष्मकालीन मूंग की तीसरी फसल के कारण खेत जल्दी तैयार करने की आवश्यकता बढ़ गई है. किसानों का कहना है कि समय कम होने और मशीनों की उच्च लागत के कारण पराली जलाना उनके लिए सबसे तेज़ और सस्ता समाधान है. वहीं पंजाब की तुलना में मशीन सब्सिडी कम होने से समस्या और गंभीर हो गई है.
इसके बावजूद राज्य में सकारात्मक पहलू भी नजर आ रहे हैं. भोपाल के पास बाग मुगालिया गांव के करीब 70 किसानों ने इस साल पंचायत में सामूहिक निर्णय लेते हुए पराली नहीं जलाने की शपथ ली. इन किसानों का कहना है कि लागत जरूर बढ़ी है, लेकिन पर्यावरण और मिट्टी की सेहत के लिए यह निर्णय जरूरी था.
विशेषज्ञों का कहना है कि पराली जलाने से निकलने वाली जहरीली गैसें न केवल हवा को प्रदूषित करती हैं बल्कि खेत की मिट्टी में मौजूद जैविक गुणों को भी नष्ट कर देती हैं. इसके बावजूद, जब तक किसानों को प्रभावी विकल्प, मशीनें और पर्याप्त सरकारी सहायता उपलब्ध नहीं होती. यह समस्या आगे भी हर फसल सीज़न में सामने आती रह सकती है.