MP Election 2023: हीरा खदान वाले इस इलाके में चारों तरफ फैली है दरिद्रता, जानिए- कैसा है यहां का राजनीतिक गणित

Madhya Pradesh Election 2023: प्रदेश भाजपा सचिव रजनीश अग्रवाल ने विश्वास जताया कि उनकी पार्टी 2018 से बेहतर प्रदर्शन करेगी और क्षेत्र में अपनी सीटों की संख्या में सुधार करेगी. अग्रवाल ने विस्तार से बताये बिना कहा कि कुछ राजनीतिक समीकरणों के कारण 2018 में बुन्देलखण्ड की 26 सीटों पर हमें अपेक्षित परिणाम नहीं मिले.

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Madhya Pradesh Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश के गरीब और सूखाग्रस्त क्षेत्र बुंदेलखंड (Bundelkhand) में पिछले दो दशकों के चुनावों में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) की ओर साफ झुकाव दिखा है, लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि यहां पिछली प्रवृत्ति जारी रहती है या भाजपा के जनाआधार में कांग्रेस (Congress) सेंध लगाने में कामयाब हो जाती है.

पन्ना जिले में हीरे की खदान होने के बावजूद यह क्षेत्र दशकों से सूखा, आर्थिक असमानता, गरीबी और जातिगत संघर्षों से जूझ रहा है. मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश तक फैले बुंदेलखंड की राजनीति मप्र के अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक जटिल है. प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव के लिए 17 नवंबर को मतदान होगा. चूंकि यह क्षेत्र उत्तर प्रदेश की सीमा से मिला हुआ है. इसलिए यहां समाजवादी पार्टी (सपा) और मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का भी प्रभाव है, जो निकटवर्ती उत्तरी राज्य में प्रमुख राजनीतिक खिलाड़ी हैं. उप्र स्थित संगठन अपना आधार बढ़ाने और केंद्रीय राज्य की राजनीति में प्रासंगिक बने रहने के लिए मध्य प्रदेश में सत्ता के दो मुख्य दावेदारों भाजपा और कांग्रेस के वोटों में सेंध लगाने की कोशिश करते हैं.

बसपा और सपा का भी है प्रभाव

विधानसभा की 26 सीटों वाले इस इलाके में 2018 के चुनावों में बसपा और सपा ने बुंदेलखंड में एक-एक सीट हासिल की थी. इन 26 सीटों में से छह अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित हैं. बुंदेलखंड क्षेत्र मप्र के छह जिलों में फैला हुआ है. 2018 में भाजपा ने 16 और कांग्रेस ने आठ सीटें जीती थीं. हालांकि, सपा विधायक राजेश शुक्ला (बिजावर सीट) बाद में भगवा दल में शामिल हो गए. वर्ष 2018-2023 के दौरान सपा विधायकों के दलबदल और उपचुनाव के बाद वर्तमान में भाजपा के विधायकों की संख्या 18 है, जबकि कांग्रेस के पास क्षेत्र से सात विधायक हैं. बसपा का एक विधायक है.

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देश का पिछड़ा इलाका है बुंदेलखंड

बुंदेलखंड का पिछड़ापन राष्ट्रीय 'फोकस' में तब आया, जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लगभग डेढ़ दशक पहले इस क्षेत्र के लिए एक विशेष पैकेज पर जोर दिया, तब उनकी पार्टी केंद्र में यूपीए सरकार का नेतृत्व कर रही थी. वरिष्ठ पत्रकार और माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति दीपक तिवारी बताते है कि बुन्देलखण्ड सूखाग्रस्त है. औद्योगीकरण और रोजगार के अवसरों का अभाव है. इस क्षेत्र से बड़े पैमाने पर पलायन दशकों से एक सामान्य घटना रही है.

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भाजपा का गढ़ है यह इलाका

सोनिया गांधी ने 2008 में इस क्षेत्र का दौरा किया था और इसके विकास के लिए एक विशेष पैकेज पर जोर दिया था. तिवारी बताते है कि यूपीए सरकार ने बाद में बुंदेलखंड के लिए 7,000 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की घोषणा की, लेकिन अंतर्निहित स्थानीय भौगोलिक और सामाजिक परिस्थितियों के कारण चीजें अब तक नहीं बदली हैं. उन्होंने कहा कि जहां तक चुनावी राजनीति का सवाल है, पिछले दो दशकों में इस क्षेत्र में भाजपा की ओर झुकाव दिखाया है.

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इसी इलाके से आती है उमा भारती

यह क्षेत्र अब भी पुरानी समस्याओं से जूझ रहा है. हालांकि, वरिष्ठ भाजपा नेता और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भी बुंदेलखंड से ही आती हैं. टीकमगढ़ जिले की मूल निवासी भारती के नेतृत्व में दिसंबर 2003 में भाजपा की सरकार बनी थी. कांग्रेस के 10 साल के लंबे शासन के बाद भाजपा सत्ता में आई थी. हालांकि, बतौर मुख्यमंत्री भारती का कार्यकाल एक वर्ष से भी कम रहा.

जाति जनगणना का मुद्दा कांग्रेस को दिला सकता फायदा

वरिष्ठ पत्रकार और लेखक रशीद किदवई के मुतबिक अगर कांग्रेस जाति सर्वेक्षण पर जोर देती है और मतदाताओं के बीच रुझान बढ़ता है और वे विपक्षी दल की ओर बढ़ते हैं, तो बुंदेलखंड में भाजपा की चुनावी संभावनाओं को नुकसान पहुंच सकता है. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा हुआ, तो यह 'गेम चेंजर' होगा. इसके अलावा, अपनी आर्थिक विषमता, घोर गरीबी और तीव्र जातिगत संघर्षों के साथ बुन्देलखण्ड, (मुख्यमंत्री) शिवराज सिंह चौहान की कल्याणकारी नीतियों और जमीन पर उनके प्रभाव के लिए एक आदर्श परीक्षण का मामला भी है.

भाजपा को है जीत का भरोसा

हालांकि, प्रदेश भाजपा सचिव रजनीश अग्रवाल ने विश्वास जताया कि उनकी पार्टी 2018 से बेहतर प्रदर्शन करेगी और क्षेत्र में अपनी सीटों की संख्या में सुधार करेगी. अग्रवाल ने विस्तार से बताये बिना कहा कि कुछ राजनीतिक समीकरणों के कारण 2018 में बुन्देलखण्ड की 26 सीटों पर हमें अपेक्षित परिणाम नहीं मिले. पार्टी ने अब उन समीकरणों को सुलझा लिया है. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ क्षेत्र की जनता तक पहुंचा है. बीना रिफाइनरी, सिंचाई योजनाएं और सड़कों का निर्माण जैसी परियोजनाएं विकास के संकेत हैं. केंद्र की भाजपा सरकार ने हाल ही में केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना को मंजूरी दी है, जिसके बारे में मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि इससे 10 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि की सिंचाई होगी. 62 लाख लोगों को पीने का पानी मिलेगा और गरीब क्षेत्र में जल विद्युत भी पैदा होगी.

कांग्रेस को ओबीसी की नाराजगी से है उम्मीद

वहीं, कांग्रेस को उम्मीद है कि आगामी चुनावों में बुंदेलखंड भाजपा से दूर हो जाएगा और विपक्षी दल को फायदा होगा. वरिष्ठ कांग्रेस नेता और सागर जिले के देवरी से पूर्व विधायक सुनील जैन ने कहा कि पिछले दो दशकों से उमा भारती के मुख्यमंत्री बनने के बाद से मतदाताओं का झुकाव भाजपा की ओर रहा है, लेकिन 2023 में तस्वीर बदलने वाली है, क्योंकि भाजपा ने क्षेत्र के विकास को बार-बार नजरअंदाज किया है. जैन ने कहा कि इस क्षेत्र में ओबीसी समुदाय की एक बड़ी आबादी है और उनका भाजपा से मोहभंग हो गया है. भाजपा ने 2003 से 15 महीने के बीच (दिसंबर 2018-मार्च 2020 तक जब कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस सत्ता में थी) को छोड़कर राज्य पर शासन किया है. पूर्व विधायक ने कहा कि कांग्रेस ने सीमांत वर्गों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में अधिकार प्रदान करने के लिए सत्ता में आने पर जाति सर्वेक्षण कराने का वादा किया है और यह निश्चित रूप से मतदाताओं की पसंद को प्रभावित करेगा.

अब भाजपा करती रही है अच्छा प्रदर्शन

पिछले दो दशकों में विधानसभा चुनावों में भाजपा ने इस क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया है. भाजपा ने 2003 में 20 सीटें जीतीं, उसके बाद 2008 में 14, 2013 में 20 और 2018 चुनावों में 16 सीटें जीतीं, जबकि दो सीटें बाद में उपचुनाव में जुड़ी.

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कांग्रेस लगातार सुधार रही है प्रदर्शन

हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में कांग्रेस ने भी अपने प्रदर्शन में लगातार सुधार किया है. उसने 2003 में केवल दो सीटें जीतीं थीं, जबकि इसकी संख्या 2008 में आठ, 2013 में छह और 2018 में सात सीटें जीतीं.

जानिए किस जिले जिले में किसका है प्रभाव

मध्य प्रदेश में बुन्देलखण्ड छह जिलों सागर, दमोह, टीकमगढ़, पन्ना, छतरपुर और निवाड़ी में फैला हुआ है. बुंदेलखंड की कुल 26 विधानसभा सीटों में से सागर जिले में आठ क्षेत्र- सागर, नरयावली, खुरई, देवरी, सुरखी, रहली-गढ़ाकोटा, बीना और बांदा- हैं. इनमें से भाजपा के पास छह और कांग्रेस के पास दो सीटें हैं. छतरपुर जिले में छह सीटें महाराजपुर, चंदला, राजनगर, छतरपुर, बिजावर और मलहरा हैं. इनमें से कांग्रेस और भाजपा के पास तीन-तीन सीटें हैं. दमोह जिले में चार सीटें पथरिया, दमोह, जबेरा और हाटा हैं. वर्तमान में, भाजपा विधायक दो सीटों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि बसपा और कांग्रेस के पास एक-एक विधायक है. पन्ना जिले में तीन सीटें हैं पवई, गुन्नौर और पन्ना. इनमें से दो पर फिलहाल भाजपा और एक पर कांग्रेस का कब्जा है. टीकमगढ़ जिले में तीन विधानसभा क्षेत्र खरगापुर, टीकमगढ़ और जतारा हैं, जबकि नवगठित निवाड़ी जिले में दो सीटें पृथ्वीपुर और निवाड़ी हैं. इन दोनों जिलों के सभी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व भाजपा विधायक कर रहे हैं.

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