Election Result: MP की इस सीट पर नोटा ने 13 उम्मीदवारों को दी पटखनी, जानिए किसे मिले कितने वोट

Election Results 2024: इंदौर लोकसभा क्षेत्र पर पिछले 35 साल से भाजपा का कब्जा है. इस बार इंदौर में कुल 14 उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई, जिनमें से 13 उम्मीदवारों ने अपनी जमानत गंवानी पड़ी. वहीं,  'नोटा' ने इन सभी 13 उम्मीदवारों को मात दे दी और वोट हासिल करने के मामले में भाजपा के विजई शंकर लालवानी के बाद दूसरे नंबर पर रहा.

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MP Lok Sabha Election results 2024: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के इंदौर (Indore) में 'नोटा' (Nota) ने 2,18,674 वोट हासिल कर बिहार के गोपालगंज (Gopal Ganj) का पिछला कीर्तिमान ध्वस्त कर दिया है. इसके साथ ही यहां नोटा ने 14 में से 13 उम्मीदवारों को पटखनी देकर नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी कायम किया है.

जानिए, किसे कितने वोट मिले

यहां से विजयी रहे भाजपा के शंकर लालवानी को 1226751 वोट मिले. वहीं, 218674 मत पाकर नोटा दूसरे स्थान पर रहा. यहां सबसे आश्चर्य की बात ये है कि बहुजन समाज पार्टी के संजय पुत्र लक्ष्मण सोलंकी तीसरे स्थान पर रहे. उन्हें मात्र 51659  वोट मिले. इसके बाद अखिल भारतीय परिवार पार्टी के  पवन कुमार को 15210 वोट मिले. निर्दलीय अभय जैन को 8392  वोट मिले. एक और निर्दलीय लवीश दिलीप खंडेलवाल 8238 वोट मिले. सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट) के कामरेड अजीत सिंह को मात्र 7179 वोट मिले. निर्दलीय अयाज़ अली को 7096 वोट मिले. जनसंघ पार्टी के बसंत गहलोत 3676 वोट मिले. इसके अलावा निर्दलीय रवि सिरवैया 2621, मुदित चौरसिया को 2609, परमानंद तोलानी को 2403, देश भक्त अंकित गुप्ता को 1969 को वकील पंकज गुप्ता को 1660 वोट हासिल हुए. यानी इन सभी प्रत्याशियों को नोटा से भी कम वोट मिले. 

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कांग्रेस के प्रत्याशी ने बदल लिया था पाला

इंदौर, मतदाताओं की तादाद के लिहाज से सूबे में सबसे बड़ा लोकसभा क्षेत्र है, जहां मुख्य चुनावी मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच होती रही है, लेकिन इस बार कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम के नामांकन के आखिरी दिन पाला बदल कर नामांकन वापस ले लेने की वजह से  सियासी समीकरण एकदम बदले हुए थे.

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कांग्रेस ने किया था नोटा का समर्थन

दरअसल, कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी अक्षय कांति बम पार्टी को तगड़ा झटका देते हुए नामांकन वापसी की आखिरी दिन 29 अप्रैल को अपना मामांकन वापस लेकर तुरंत बाद भार भाजपा में शामिल हो गए थे. नतीजतन इनदौर लोकसभा सीट के 72 साल के इतिहास में कांग्रेस पहली बार चुनावी दौड़ से बाहर हो गई थी. इसके बाद कांग्रेस ने स्थानीय मतदाताओं से ईवीएम पर 'नोटा' का बटन दबाकर भाजपा को सबक सिखाने की अपील की थी.

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16.28 फीसद मतदाताओं ने दबाया ‘नोटा'

इंदौर में 13 मई को हुए मतदान में कुल 25.27 लाख मतदाताओं में से 61.75 प्रतिशत लोगों ने वोट डाला था और इनमें से 13,43,294 मत वैध पाए गए. यानी कुल वैध मतों का 16.28 फीसद हिस्सा ‘नोटा' के खाते में गया.


इंदौर में निवर्तमान सांसद और भाजपा के उम्मीदवार शंकर लालवानी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बहुजन समाज पार्टी प्रत्याशी संजय सोलंकी को 11,75,092 वोट के रिकॉर्ड अंतर से हराया. आपको बता दें कि इंदौर लोकसभा क्षेत्र पर पिछले 35 साल से भाजपा का कब्जा है.

दूसरे नंबर पर रहा नोटा

इस बार इंदौर में कुल 14 उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई, जिनमें से 13 उम्मीदवारों ने अपनी जमानत गंवानी पड़ी. वहीं,  'नोटा' ने इन सभी 13 उम्मीदवारों को मात दे दी और वोट हासिल करने के मामले में भाजपा के विजई शंकर लालवानी के बाद दूसरे नंबर पर रहा. इन 13 पराजित उम्मीदवारों को कुल 1,16,543 वोट मिले और इस जोड़ का यह आंकड़ा भी 'नोटा' को हासिल मतों से कम है.

2019 के लोकसभा चुनाव में भी जीते थे लालवानी

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान इंदौर में लालवानी ने अपने नजदीकी प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी पंकज संघवी को 5.48 लाख वोट से हराया था और 5,045 मतदाताओं ने ‘‘नोटा'' का विकल्प चुना था. पिछले चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार को 5,20,815 वोट मिले थे जो कुल वैध मतों का 32 फीसद था.

लालवानी बोले, जनता ने कांग्रेस को नकारा

लालवानी ने पीटीआई-भाषा से कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार (संघवी) को जितने वोट मिले थे, इस बार उसके आधे वोट भी कांग्रेस के समर्थन वाले नोटा को नहीं मिल सके. यह दर्शाता है कि इंदौर की जनता ने कांग्रेस को नकार दिया है.

कांग्रेस ने नोटा की सफलता को भाजपा के लिए बताया तमाचा

इसके विपरीत वरिष्ठ कांग्रेस नेता शोभा ओझा ने कहा कि इंदौर के मतदाताओं ने नोटा का राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाकर भाजपा जैसे उन सभी सियासी दलों के मुंह पर करारा तमाचा जड़ा है, जो खुद को लोकतंत्र और संविधान से ऊपर समझते हैं.

अब से पहले नोटा ने  यहां बनाया था रिकॉर्ड

2019 के लोकसभा चुनाव में 'नोटा' को बिहार की गोपालगंज सीट पर देश भर में सर्वाधिक वोट मिले थे.  तब इस क्षेत्र के 51,660 मतदाताओं ने 'नोटा' का विकल्प चुना था और कुल मतों में से करीब पांच प्रतिशत वोट 'नोटा' के खाते में गए थे. इससे पहले, 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान 'नोटा' को तमिलनाडु के नीलगिरी में 46,559 वोट मिले थे और 'नोटा' ने कुल डाले गए मतों का करीब पांच फीसद हिस्सा हासिल किया था.

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उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद 'नोटा' के बटन को सितंबर 2013 में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में शामिल किया गया था. मतदान का यह विकल्प किसी चुनाव क्षेत्र में मतदाताओं को सभी उम्मीदवारों को नकारने का अधिकार देता है.

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