Lalitpur Singrauli-Railway Line: ललितपुर-सिंगरौली रेल लाइन के लिए सुरेश प्रभू ने 6672 करोड़ रुपये का बजट साल 2016 में पास किया था, वो प्रोजेक्ट आज तक अधर में लटका है. लोग यहां ट्रेन को भूलकर मुआवजे के लिए सरकारी खजाने को लूटने में लगे हुए हैं. मुआवजे की लालच में यहां के आदिवासियों की जमीन पर बाहरी लोग आकर घर बनवा रहे हैं.
मध्य प्रदेश में बनाए जा रहे 'मुआवजा घर'
यहां स्थानीय नेताओं, अधिकारियों और भू-माफियाओं ने गठजोड़ बनाकर बड़े पैमाने पर किसानों की जमीनें खरीदी और दिखावे के लिए उसपर मकान के ढांचे खड़े कर दिए. रेलवे करीब 6 साल से सिंगरौली के 22 और सीधी के 91 गांव में जमीन ले रही है. कई ऐसे गांव हैं जहां लोगों को दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से मिल पाती है, ऐसे में यहां पक्के मकान के ढांचे देखकर भ्रष्टाचार का अंदाजा लगाया जा सकता है.
पटरी पर मुआवजे के लिये बन गए 1500 से ज्यादा 'नकली घर'
मकान भी ऐसे जहां इंसान तो क्या जानवर भी रहना पसंद नहीं करते हैं. मुआवजे के लिए माफियाओं ने 10 गांवों में करीब 1500 से ज्यादा मकान बना लिया. जिले के देवसर और चितरंगी ब्लॉक के 22 गांवों से होकर रेलवे लाइन की पटरी बिछेगी, जिसमें से 22 गांवों में करीब 2166 मकानों का अवार्ड भी भुअर्जन अधिकारी ने पारित कर दिया, लेकिन उसमें से 10 गांवों के कुछ खसरे को छोड़ दिया गया था. अब उन बचे हुए 10 गांवों में सर्वे का काम पूरा हो गया है.
इस बीच एनडीटीवी की टीम ने देवसर ब्लॉक के कुर्सा गांव पहुंची और माफियाओं के द्वारा बनाए गए मुआवजा के मकानों का जायदा लिया.
अफसरों की मिलीभगत से मुआवजे का 'सौदा'
सिंगरौली जिला पावर कंपनियों का हब माना जाता है. ऐसे में यहां पहले से मुआवजे को लेकर एक बड़ा गिरोह सक्रिय है. इस गिरोह को जैसे ही पता चलता है कि इस इलाके में कोई कंपनी आने वाली है या सड़क का निर्माण होने वाला है. गिरोह के लोग सस्ते दाम में आदिवासी परिवारों से जमीन खरीद लेते हैं. या फ़िर एग्रीमेंट करा लेते हैं और उस पर बहुमंजिला इमारत खड़ी कर देते हैं. इसके बाद अधिग्रहण में मोटी रकम लेते हैं. इस रैकेट में कई बड़े लोगों की भी मिलीभगत है.
पैसों की लालच में किसान भी मुआवजे का गणित अपना रहे
जगजीवन बैगा बताते है कि हमारे जमीन पर बाहर के लोग आकर थोड़े बहुत पैसा दिया और मकान बना लिए. एग्रीमेंट भी हुआ है, जिसमें 25 प्रतिशत देने की बात कही गई है.
बता दें कि किसानों ने पैसे की कमी से निपटने के लिए मुआवजे का दूसरा गणित निकाल लिया है.
प्रमोद प्रजापति बताते हैं कि निर्माण के आवास में 75 प्रतिशत और 25 प्रतिशत मुआवजा राशि देने पर एग्रीमेंट में मकान बन जाता है. जमीन नहीं है तो मकान के ऊपर भी आप बनवा सकते हैं.
एजेंट मुआवजे की 25-30 प्रतिशत रकम पर करा रहे मकान का निर्माण
एनडीटीवी की टीम रेलवे प्रोजेक्ट वाली जमीन पर मुआवजा इंडस्ट्री की पड़ताल करने के लिए कई एजेंटों से बात की. मुआवजे के लिए मकान निर्माण कराने की इच्छा जताई तो एजेंटों ने बताया कि यहां 25 प्रतिशत से लेकर 30 प्रतिशत तक में आप मकान का निर्माण करा सकते है. यानी मुआवजे की रकम का 70 प्रतिशत आपका और 30 प्रतिशत हमारा.
इंचलाल शाहू एजेंट ने तो एनडीटीवी के कैमरे के सामने ही बोलने लगे कि जैसे हम लोग बनवा रहे है वैसे ही बनवा लीजिए. यहां का रेट अभी 30 प्रतिशत चल रहा है.
दलाल और अफसरों की मिलीभगत से मुआवजे की गारंटी
निर्माण कराने वालों में बड़े व्यवसायी और नेता भी शामिल हैं. जानकारी के मुताबिक, इनमें मध्य प्रदेश,उत्तर प्रदेश समेत कुछ अन्य राज्यों के लोग भी शामिल हैं. उन्होंने भूस्वामियों से बात करके उनकी जमीन पर यह कहते हुए निर्माण कराया है कि उनको मकान होने पर अधिक मुआवजा मिलेगा और इसमें बंटवारा कर लिया जाएगा. अधिक मुआवजे के लालच में कई ने तो टीन शेड ही डालकर निर्माण करा लिया है.
मकानों के निर्माण का यह सिलसिला अभी भी जारी है. हालांकि यह सब सरकारी तंत्र की मिलीभगत से किया जा रहा है. यही वजह है कि ये निर्माण धड़ाधड़ किए जाते रहे हैं और इनको अब तक रोका नहीं गया.