ड्रोन दीदी से मोबाइल वाली दीदी तक....' मोहन सरकार में आत्मनिर्भर बन रहीं विदिशा की महिलाएं, लखपति दीदियों को मिल रही नई उड़ान

Vidisha Women: घर का चूल्हा–चौका संभालने वाली महिलाएं…आज घर की देहरी से निकलकर लखपति दीदी बन चुकी हैं. ये महिलाएं कल तक पिता या पति पर निर्भर रहीं वो आज अपने पैरों पर खड़े होकर इतिहास लिख रही हैं.

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Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के विदिशा में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के दो साल के कार्यकाल ने महिलाओं की दुनिया बदल दी है. कल तक घर की चार दीवारों तक सीमित रहने वाली घरेलू महिलाएं…आज आत्मनिर्भरता की नई मिसाल बन चुकी हैं. ये महिलाएं 'लखपति दीदी' बन गई हैं.

घर की देहरी से निकलकर बनीं 'लखपति दीदी'

घर का चूल्हा–चौका संभालने वाली महिलाएं…आज घर की देहरी से निकलकर लखपति दीदी बन चुकी हैं. ये महिलाएं कल तक पिता या पति पर निर्भर रहीं वो आज अपने पैरों पर खड़े होकर इतिहास लिख रही हैं. केवल विदिशा ब्लॉक में 250 से अधिक महिलाएं ऐसी हैं, जो आत्मनिर्भरता की नई पहचान बनकर सामने आई हैं.

'सरकार के प्रयासों से आज हम आत्मनिर्भर दीदी बन चुके'- प्रभा वर्मा

छोटे से ग्राम रंगई से निकलकर प्रभा वर्मा आज जिला मुख्यालय पर एक विशाल कैंटीन चला रही हैं. कैंटीन में ताजा और पौष्टिक भोजन और ग्राहकों की लंबी लाइन... यह सब प्रभा वर्मा की मेहनत और सरकार की योजनाओं का नतीजा है.

प्रभा वर्मा आज एक कैंटीन चला रही हैं.

प्रभा वर्मा बताती हैं, 'पहले यह संभव नहीं था. मध्य प्रदेश सरकार के प्रयासों से आज हम किसी पर निर्भर नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर दीदी बन चुके हैं. अच्छा लगता है कि अब लोग हमें सम्मान से देखते हैं.'

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किसी को ड्रोन दीदी तो किसी को मोबाइल वाली दीदी के नाम से मिली पहचान 

प्रभा वर्मा की तरह विदिशा में कई महिलाएं नई पहचान गढ़ रही हैं. किसी को लोग ड्रोन दीदी कहते हैं, तो किसी को पहचान मिली है मोबाइल वाली दीदी के नाम से…कोई दूर–दराज गांव से आकर सब्ज़ी और कॉस्मेटिक्स की दुकान संचालित कर रही है. तो कोई स्वरोजगार से पूरे परिवार का सहारा बन चुकी है.

महिलाओं को मिल रही नई उड़ान

इन महिलाओं का कहना है, "यह बदलाव मुख्यमंत्री मोहन यादव के कार्यकाल में ही संभव हो पाया. सरकार ने हमें सिर्फ योजनाएं नहीं दीं, बल्कि हम सबको नई उड़ान दी है, नई पहचान दी है.'

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विदिशा की महिलाओं ने साबित कर दिया है कि अवसर मिले तो सपनों की उड़ान आसमान छू लेती है. आज आत्मनिर्भर भारत की लखपति दीदियां बन चुकी हैं.

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