Ladhedi Darwaza: मध्य प्रदेश का ग्वालियर पूरे देश में प्रसिद्ध है. ग्वालियर अपने किले के साथ साथ ऐतिहासिक धरोहर के लिए जाना जाता है. इसके अलावा लधेड़ी दरवाजा के लिए भी ये प्रसिद्ध है. लधेड़ी दरवाजा को ग्वालियर का बुलंद दरवाजा भी कहा जाता है. यह इस शहर की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है, जिसे देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी पर्यटक यहां पहुंचते हैं.
दरअसल, लधेड़ी दरवाजा ग्वालियर और जौनपुर के शासकों की दोस्ती के लिए मिसाल माना जाता है. यह आज भी उसी शान से खड़ा है जैसे ग्वालियर और जौनपुर के शासकों की दोस्ती होती थी. इसके अलावा यह दरवाजा बागियों की फांसी से लेकर गढ़े हुए खजाने की अफवाहों के भी गवाह है.
कैसा है लधेड़ी दरवाजा?
ग्वालियर स्थित लधेड़ी दरवाजा अपनी खूबसूरत कला और मीनार के लिए जाना जाता है. इसे यमनपुर भी कहा जाता है. इस दरवाजे के बारे में कहा जाता है कि इसका नाम जौनपुर की तर्ज पर यमनपुर रखा गया था.
क्यों दिया जाता है लधेड़ी दरवाजा को दोस्ती की मिसाल
दरअसल, जौनपुर में लोधी वंश का शासन था. इसी वंश के एक शासक आजम लाद खान थे, जो जौनपुर की सरकी रियासत का काम संभालते थे. इसी दौरान ग्वालियर से कल्याण मल जौनपुर गए थे. वहां उनकी आजम लाद खान से मुलाकात हुई और फिर दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई थी. जब कल्याण मल ग्वालियर लौटकर आए तो उन्होंने लधेड़ी दरवाजा का निर्माण कराया. कहा जाता है कि कल्याण मल ने दोस्ती की निशानी के तौर पर इसे बनवाया था.
लधेड़ी दरवाजा पर बागियों की होती थी फांसी
हालांकि कई लोगों का ऐसा भी मानना है कि राजाओं ने शहर की सीमा से बाहर इस दरवाजे को बनवाया था, जहां दोषियों को सजा दी जाती थी. इतिहासकारों का कहना है कि यहां पर अपराधियों को लटका कर कई दिनों तक उन्हें यातनाएं दी जाती थी, जबकि कुछ शहरवासी ये भी कहते हैं कि यहां पर गलत काम करने वालों को खुलेआम फांसी भी दिया जाता था.
बुलंद दरवाजे के नीचे दबा है खजाना
वहीं कई जानकारों का ये भी कहना है कि राजा ने अपने खजाने को छिपाने के लिए लधेड़ी दरवाजा का निर्माण करवाया था. इस दौरान उन्होंने अपने खजाने भी यहां गाढ़े, जिसे ढूंढने के लिए कई बार असामाजिक तत्वों ने यहां खुदाई भी की.
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