Khargone Cotton Industry: संसद में बजट पेश होने वाला है, जिसको लेकर उद्योग से जुड़े उद्योगपतियों ने केंद्र सरकार के वित्तमंत्री से मांग की है कि वे कॉटन उद्योग को लेकर विस्तृत योजना बनाएं. ताकि कॉटन के दम तोड़ते उद्योगों को संजीवनी मिल सके. बजट को लेकर हमारे संवाददाता ने कॉटन के व्यापार करने वाले उद्योगपतियों से चर्चा की.
मध्य प्रदेश कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश अग्रवाल का कहना है कि देश ही नहीं, विदेश में कॉटन की मांग है. मध्य प्रदेश में 2 लाख हेक्टेयर में कॉटन की फसल लगाई जाती है और यहां के कॉटन का रेसा अच्छा होता है. इस कॉटन की मांग भी है, लेकिन GST आरसीएम एडवांस लेने से उद्योगों की कमर टूट रही है.
वित्त मंत्री को ध्यान देने की जरूरत
कॉटन व्यापारी नरेंद्र गांधी ने कहा कि वर्तमान में देखा जाए तो निमाड़ क्षेत्र क्या पूरे देश का ही जिनिंग उद्योग काफी संकट से गुजर रहा है. क्योंकि विश्वव्यापी मंदी और हमारी इंडस्ट्री काफी परेशान है. हम चाहते हैं बजट में वित्त मंत्री सीतारमण इस ओर ध्यान दें कि कॉटन इंडस्ट्री को कैसे बढ़ावा दिया जाए.
कॉटन की फैक्ट्रियां बंद हो रही
पिछले कुछ वर्षों में कॉटन इंडस्ट्री की कई फैक्ट्रियां भी बद हुई हैं. यह हालात और बिगड़ते जा रहे हैं. उन्होंने उम्मीद जताई है कि एक ऐसी पॉलिसी हो जिससे देश की टेक्सटाइल और कॉटन इंडस्ट्री सुचारू रूप से संचालन होती रहे.
सरकार से आरसीएम हटाने की अपील
पिछले दो या तीन साल से यह देखने में आ रहा है कि कॉटन इंडस्ट्री बंद होती चली जा रही हैं और शासन का ध्यान नहीं है. जीएसटी में भी देखा जाए तो कॉटन इंडस्ट्री जीएसटी में भी आरसीएम से काफी परेशान है. कपास क्रय मूल्य पर हमें जीएसटी भरना पड़ता है.
पांच वर्षों से कर रहे निवेदन
सरकार से कई बार निवेदन किया है, लेकिन पांच वर्षों से इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है. इस बजट में अपेक्षा है कि वित्त मंत्री आरसीएम के बारे में सोचेंगी और इसको हटाएंगी. यही हमारी कॉटन इंडस्ट्री की सघन मांग है.
कपास के भाव घट रहे
कॉटन व्यापारी कल्याण अग्रवाल ने बताया कि आम बजट को लेकर कुछ उम्मीदें लगा रहे हैं. उनका कहना है कि खरगोन में कपास बहुत बड़े क्षेत्र में लगाया जाता है. कपास हमारी प्रमुख फसल है. विश्व में कपास के भाव घटे हैं, रुई के भाव घटे हैं. लगातार दो वर्षों से इसकी एसपी बढ़ाने के कारण हमारे यहां कपास विदेश से आयात होने लगा है.