कटनी : हाइवे पर गायों के झुंड से लगातार हो रहे हैं एक्सीडेंट

गायों का झुंड वाहन चालकों के लिए सिरदर्द बन रहा है. इससे दुर्घटनओं की आशंका बढ़ जाती है. पुलिस इससे बचने के लिए समय समय पर गायों के सींग पर रेडियम लगाती रहती है.

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बीच हाइवे पर गायों का झुंड
कटनी:

मध्‍य प्रदेश के कटनी जिले में नेशनल हाइवे 43 पर गायों के झुंड से वाहनों की रफ्तार पर ब्रेक लग रहे हैं. कटनी जिले के जुहला स्थित नेशनल हाइवे 43 पर गायों के झुंड आने से वाहनों की रफ्तार धीमी हो रही है. ऐसा भी नहीं है केवल वाहनों की रफ्तार ही धीमी हो रही है बल्कि इससे दुर्घटनाओं की संभावना भी बढ़ रही है. एक आकंड़ें के अनुसार इस हाइवे पर गायों के झुंड के कारण दुर्घटनाओं में तेजी से इजाफा हुआ है. इस तरह की दुर्घटनाओं में वाहन और वाहन के अंदर बैठे लोगों को नुकसान तो होता ही है साथ ही गायों को भी बहुत क्षति पहुंचती है. ये आंकडा आपको चौंका सकता है कटनी जिले में एक महीने के अंदर करीब 400 गाय वाहनों से टकराकर घायल हुई हैं इनमें से कुछ गायों की मौत भी हुई है. 

गायों के बीच सड़क पर बैठने से बढ़ रहे हैं हादसे 

इसकी खबर की पड़ताल के लिए जब हमारें संवाददाता कटनी से उमरिया नेशनल हाईवे 43 पर पहुंचे तो उन्हें भी जुहला
बायपास के पास गायों का झुंड बैठा हुआ नजर आया. जब बीच सड़क पर गाय बैठेंगी तो हादसा होने की संभावना तो बढ़ ही जायेगी. वैसे भी हाइवे पर वाहनों की स्पीड भी अच्छी होती है और ऐसी स्पीड पर अगर रात के समय को गाय या गायों का झुंड सामने आ जाए तो वाहन चालक के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो जाती है.

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गायों के झुंड के कारण वाहन चालक को रहता है डर 

हमारे संवाददाता को शहडोल से सागर जा रहे बस ड्राइवर ने बताया कि बीच सड़क में गायों के बैठने से उन्हें बहुत ही संभलकर, कम स्पीड में बस चलानी पड़ती है. लेकिन इसके बावजूद दुर्घटना होने का खतरा लगातार बना रहता है.
कटनी होते हुए जबलपुर जा रहे कार चालक ने भी अपनी परेशानी जाहिर करते हुए बताया कि गायों की वजह से एक्सीडेंट का डर लगातार बना रहता है. हमारे संवाददाता को यहां से गुजर रहे ऑटो चालक ने बताया कि इस हाइवे पर गायों के झुंड से गायें भी घायल हो जाती है और वाहन भी दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं. 
नेशनल हाइवे मे घायल गौवंश का निशुल्क इलाज करने वाली संस्था गौरक्षा कमांडो फोर्स की जिलाध्यक्ष अमिता श्रीवास ने बताया कि महीने भर में हाइवे पर करीब 400 गायें घायल हो जाती हैं जिसमें से ये संस्था 250 गायों का मौके पर जाकर निशुल्क इलाज कर आती है. इस संस्था से सबको सीखना चाहिए और लोगों को भी इस तरह की भूमिका में आना चाहिए.

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इस मामले में कुठला थाना प्रभारी ने बताया कि गौ पालक इन गायों को लावारिस छोड़ देते हैं. लावारिस गाय बारिश की वजह से सड़क पर ही डेरा डाल लेती हैं. गायों के कारण होने वाली दुर्घटना से बचने के लिए समय समय पर गायों के सींग में रेडियम लगाया जाता है क्योंकि रात के अंधेरे में गायों से वाहनों के भिड़ंत की घटना अधिक होती हैं. हालंकि गायों से होने वाली घटना का अभी तक पुलिस थाने में कोई भी रिकॉर्ड नहीं है लेकिन तय है कि इस तरह की घटना बहुत संख्या में हो रही हैं.

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