Jal Jeevan Mission: बम्होरी में पाइपलाइन तो है पानी नहीं! हर घर स्वच्छ जल का सपना कैसे होगा साकार?

Jal Jeevan Mission: अनुच्छेद 21 के तहत ‘जीवन का अधिकार', स्वच्छ जल प्राप्त करना भी मानव अधिकार है. जब योजना बनी, बजट आया, टेंडर निकले — तो गांवों तक जल क्यों नहीं पहुंचा?

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
Jal Jeevan Mission: हर घर नल योजना की ग्राउंड रिपोर्ट

Jal Jeevan Mission Ground Report Raisen: 15 अगस्त 2019, यह वो तारीख थी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से देशवासियों को एक नई योजना ‘जल जीवन मिशन' की सौगात दी थी. इस मिशन उद्देश्य था कि 2024 तक देश के हर ग्रामीण घर में पाइप के माध्यम से स्वच्छ पीने योग्य जल पहुंचेगा. सरकार की मंशा नेक थी, लेकिन इस योजना की असलियत ज़मीन पर कई स्थानों पर उजागर हो रही है. रायसेन जिले का बम्होरी गांव उन्हीं में से एक है.

Jal Jeevan Mission: रायसेन से NDTV की ग्राउंड रिपोर्ट

ग्रामीणों का क्या कहना है?

यहां की सूखी टोटियां और पीठ पर मटके ढोती महिलाएं सवाल पूछ रही हैं कि “पानी आया क्यों नहीं?” बम्होरी की स्थिति देखे तो यहां पाइपलाइन है, पानी नहीं. बम्होरी गांव, ग्राम पंचायत खमरिया निवावर के अधीन आता है. यहां करीब दो साल पहले हर घर में पाइपलाइन बिछा दी गई, कुछ नलों को टांगा भी गया, और दीवारों पर 'जल जीवन मिशन' के बोर्ड चस्पा कर दिए गए. लेकिन, नल खोलिए तो सिर्फ हवा आती है, पानी नहीं.

Advertisement

Jal Jeevan Mission: कैसे साकार होगा हर घर नल से जल से सपना

ग्रामीणों के अनुसार, इस योजना के तहत पाइप बिछाए गए थे, लेकिन टंकी या स्रोत कनेक्शन नहीं जोड़े गए. आज तक एक बूंद पानी भी सरकारी नलों से नहीं आया. गांव वालों को लगभग एक किलोमीटर दूर हाईवे किनारे बने एक पुराने कुएं से पानी लाना पड़ता है.

गर्मी के मौसम में कुआं भी सूखने की कगार पर पहुंच जाता है. इससे समस्या और बढ़ जाती है.

Jal Jeevan Mission: रायसेन में पानी के लिए परेशान बेटियां

महिलाएं और बच्चियां बन गईं जलवाहक

यह दृश्य किसी पुराने समय की कहानी नहीं, बल्कि 2025 की सच्चाई है. गांव की महिलाएं और किशोरियां आज भी मटके लेकर निकलती हैं, कभी बाल्टी सिर पर, तो कभी डिब्बा हाथ में.

Advertisement
 ग्राम की किशोरी प्रीति कहती है कि "स्कूल जाने से पहले कुएं से पानी लाना पड़ता है. कभी-कभी देर हो जाती है. हाईवे पार करने में डर लगता है, ट्रक निकलते रहते हैं."

वहीं ग्रामवासी रामदास कहते हैं कि "पंचायत में बार-बार कहा, आवेदन दिए. कलेक्टर तक ज्ञापन पहुंचा लेकिन किसी ने सुना नहीं. इस योजना का हश्र सिर्फ कागजों में पूरा है. धरातल पर कुछ नहीं."

Advertisement

Jal Jeevan Mission: रायसेन में पानी की समस्या

बीमारियों और जोखिमों की चपेट में गांव

बम्होरी गांव में शुद्ध पेयजल की कमी के कारण डायरिया, स्किन इन्फेक्शन, पेट की बीमारियां बढ़ रही हैं. कुएं का पानी साफ नहीं है, लेकिन विकल्प ही क्या है? बच्चों की सेहत पर इसका सीधा असर पड़ रहा है. डॉक्टर दूर हैं, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचना भी कठिन है.

प्रशासन ने दिया सर्वे का आश्वासन

रायसेन कलेक्टर अरुण कुमार विश्वकर्मा का कहना है कि "जहां इस तरह की शिकायतें मिल रही हैं, वहां दोबारा सर्वे कराकर समस्या का समाधान कराया जाएगा. जल जीवन मिशन की मंशा ग्रामीणों तक स्वच्छ जल पहुंचाना ही है." लेकिन बम्होरी के लोग अब केवल जवाबों से नहीं, काम होते देखना चाहते हैं.

राजनीति और ज़िम्मेदारी के बीच फंसी योजना

इस गांव में जल जीवन मिशन की स्थिति एक मिसाल है कि केवल योजनाओं की घोषणा से विकास नहीं होता.

  • क्या बजट जारी हुआ? – हां
  • क्या योजना पास हुई? – हां
  • क्या काम शुरू हुआ? – हां
  • क्या पानी आया? – नहीं

तो गलती कहां हुई?

ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार और लापरवाही, ठेकेदारों की अनियमितता, और निगरानी की कमी ही इस दुर्दशा का कारण है.

प्रदेश में कई गांवों की यही कहानी

बम्होरी अकेला गांव नहीं है जहां यह योजना अधूरी है. मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा, दमोह, डिंडोरी, बैतूल और रीवा, विदिशा, रायसेन जैसे जिलों में भी अनेक ग्रामीण इलाकों में जल जीवन मिशन अधूरा साबित हो रहा है.

नल से नहीं, मटके से बहता है गांव का जीवन

‘हर नल में जल' आज भी ‘हर मटके में जल' में तब्दील हो चुका है. बम्होरी की कहानी सिर्फ एक गांव की नहीं, बल्कि एक बड़ी नीतिगत विफलता की प्रतीक बन चुकी है. विकास तब पूरा माना जाएगा जब गांव की बेटियों को पानी ढोने की जगह किताबें उठाने की फुर्सत मिलेगी. जब बुजुर्गों को टोटी से जल मिलेगा, तब जाकर जल जीवन मिशन सफल होगा.

यह कहता है हमरा संविधान ?

अनुच्छेद 21 के तहत ‘जीवन का अधिकार', स्वच्छ जल प्राप्त करना भी मानव अधिकार है. जब योजना बनी, बजट आया, टेंडर निकले — तो गांवों तक जल क्यों नहीं पहुंचा?

अब सवाल उठे ये सवाल

कब तक हर योजना की "फाइलें" गांव की "प्यास" पर भारी पड़ेंगी? क्या बम्होरी जैसे गांवों की आवाज़ सरकार तक पहुंचेगी? क्या 2025 में भी हम यही रिपोर्ट करते रहेंगे कि "पानी नहीं आया"?

यह भी पढ़ें : Jal Jeevan Mission: ओड़गी में ऐसे पहुंच रहा हर घर नल से जल! रियलिटी चेक में सामने आया सफेद झूठ

यह भी पढ़ें : NEET UG Result 2025: नीट यूजी का रिजल्ट जारी; इंदौर के उत्कर्ष को 2nd रैंक, राजस्थान के महेश AIR टॉपर

यह भी पढ़ें : Chhattisgarh 5-Day Working End:अब 6 दिन करना होगा काम, छत्तीसगढ़ में शनिवार की छुट्टी खत्म

यह भी पढ़ें : NEET UG Result 2025: नीट यूजी के स्कोर में फर्जीवाड़े का भंडाफोड़, CBI ने दो आरोपियों को किया गिरफ्तार