अंतरिक्ष में भारत की एक और बड़ी छलांग, ISRO ने लॉन्च किया पहला सूर्य मिशन आदित्य एल-1

हाल ही में भारतीय वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर प्रज्ञान रोवर की सॉफ्ट लैंडिंग करवाकर इतिहास रच दिया था. चंद्रमा के इस हिस्से पर कदम रखने वाला भारत पहला देश है.

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आदित्य एल-1 की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग

अमरावती : अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है. देश अभी चंद्रयान-3 मिशन की सफलता का जश्न मना ही रहा था कि भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) ने अपना सूर्य मिशन आदित्य एल-1 (Aditya L-1) लॉन्च कर दिया है. यह मिशन शनिवार को सुबह करीब 11:50 पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया. यह इसरो का पहला सूर्य मिशन है जिसे शनिवार को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया. आज से 127 दिन बाद यह सैटेलाइट एल-1 पॉइंट पर पहुंचेगी जहां से यह धरती पर वैज्ञानिकों तक अहम जानकारी भेजेगी.

हाल ही में भारतीय वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर प्रज्ञान रोवर की सॉफ्ट लैंडिंग करवाकर इतिहास रच दिया था. चंद्रमा के इस हिस्से पर कदम रखने वाला भारत पहला देश है. प्रज्ञान रोवर चंद्रमा पर अपना खोजी अभियान चला रहा है और अब तक सल्फर, ऑक्सीजन, कैल्शियम और आयरन जैसे तत्व की खोज कर चुका है. अब रोवर को चंद्रमा पर सबसे अहम तत्व हाइड्रोजन की तलाश है. चंद्रमा-3 के बाद भारतीय वैज्ञानिकों ने देशवासियों को आदित्य एल-1 के रूप में जश्न मनाने का एक और मौका दे दिया है.

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एल-1 पॉइंट तक जाएगा आदित्य
आदित्य एल-1 का लक्ष्य सूर्य के निकट मौजूद L-1 पॉइंट तक पहुंचना है. इस बिंदू को लैरेंज पॉइंट कहा जाता है जिसका नाम मशहूर गणितज्ञ जोसेफी-लुई लैरेंज के नाम पर रखा गया है. एल-1 सूर्य और पृथ्वी के बीच मौजूद वह पॉइंट है जहां कोई सैटेलाइट या खगोलीय पिंड सूर्य और पृथ्वी दोनों के गुरुत्वाकर्षण से बचा रहता है. चंद्रयान-3 के बाद यह अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की एक और बड़ी छलांग है. अपनी नई स्पेस नीति के साथ इसरो स्पेस इकोनॉमी में अहम भूमिका निभाने के लिए तैयार है.

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निचली कक्षा तक लेकर गया PSLV-XL
चंद्रयान-3 की ही तरह आदित्य एल-1 भी पृथ्वी के चक्कर लगाएगा. 16 दिनों तक धरती के आसपास घूमने के बाद यह अपनी 109 दिनों की यात्रा शुरू करेगा.

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आदित्य एल-1 को अंतरिक्ष में पहुंचाने की जिम्मेदारी PSLV-XL रॉकेट की है. यह रॉकेट 145.62 फीट ऊंचा है जो सैटेलाइट को पृथ्वी की निचली कक्षा तक लेकर जाएगा.

वैज्ञानिकों के लिए सूर्य के पास किसी सैटेलाइट को भेजना बेहद चुनौतीपूर्ण होगा है क्योंकि इसके केंद्र का तापमान 1.50 करोड़ डिग्री सेल्सियस है.

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