Railways News: ट्रेनों के अंदर की ऐसी तस्वीर आई सामने, सफर का ये मंजर देख कर आप भी हो जाएंगे परेशान

Rajdhani Express: ट्रेनों में हर दिन भीड़ देखकर रेल प्रशासन ने भी पूरी तरह अपने हाथ खड़े कर लिए हैं. दो गाड़ियों के कैंसिल होने से प्लेटफार्म पर चार गुना भीड़ देखी जा रही है. वहीं, लोकल यात्रियों को मजबूरन एक्सप्रेस गाड़ियों में बैठना पड़ रहा है. नतीजा यह हो रहा है स्लीपर और एसी कोच जर्नल जैसे दिखाई दे रहे हैं.

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Vindhyachal Express: कई दिनों से विंध्याचल (vindhyachal express) और राज्य रानी ट्रेन (rajdhani express) कैंसिल (Train Cancelled) होने से रेल व्यवस्था पूरी तरह से बेपटरी हो गई है. आलम यह है एक्सप्रेस गाड़ियों में चार गुना भीड़ बढ़ गई है. वहीं, कई यात्री जान जोखिम में डालकर अपना सफर तय कर रहे हैं. एक्सप्रेस गाड़ियों में AC और स्लीपर कोच पूरी तरह से जर्नल बन चुके हैं और जर्नल बोगी का तो हाल बेहाल हो चुका है. विदिशा से भोपाल तक का सफर लोग ट्रेन के गेट पर लटक कर तय कर रहे हैं, जिससे किसी अनहोनी का खतरा भी लोगों के सिर पर मंडरा रहा है.

ट्रेनों में भीड़ के आगे नाकाम साबित हुआ रेल प्रशासन

ट्रेनों में हर दिन भीड़ देखकर रेल प्रशासन ने भी पूरी तरह अपने हाथ खड़े कर लिए हैं. दो गाड़ियों के कैंसिल होने से प्लेटफार्म पर चार गुना भीड़ देखी जा रही है. वहीं, लोकल यात्रियों को मजबूरन एक्सप्रेस गाड़ियों में बैठना पड़ रहा है. नतीजा यह हो रहा है स्लीपर और एसी कोच जर्नल जैसे दिखाई दे रहे हैं.

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एसी और स्लीपर कोच के यात्री भी हो रहे परेशान

मथुरा से सफर तय कर आ रहे यात्रियों ने अपना दुख बयान करते हुए बताया कि रेल व्यवस्था पूरी तरह से बेपटरी हो चुकी है. अगर कहीं जाना होता है, तो एक माह पहले से रिजर्वेशन कराना पड़ता है. इसके बाद भी पता नहीं होता है कि यह कन्फर्म होगा या नहीं. अगर हो भी जाता है, तो आप देख सकते हैं कि ट्रेन में किस कदर भीड़ है. हम लोगों से रेलवे एसी का पूरा किराया वसूलती है. उन्होंने कहा कि यात्री एसी में रिजर्वेशन इसलिए करता है कि वह अपने परिवार के साथ आराम से सफर तय कर सके. लेकिन, देखिए भीड़ ने एसी बोगियों को जनरल बना दिया है. सुविधाओं के नाम पर रेलवे यात्रियों को कुछ नहीं दे रहा.

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स्लीपर कोच के तो ओर है बुरा हाल

कुशीनगर एक्सप्रेस में उत्तर प्रदेश से भोपाल का सफर करने वाले हजारों यात्री ऐसे हैं, जिन्होंने टिकट तो करा लिया, लेकिन अब भी वेटिंग में है. मजबूरन उन्हें ट्रेन के किसी कोने में सफर तय करना पड़ रहा है. छोटे-छोटे बच्चे भी साथ में है. हाल बुरा है, कुछ यात्री तो कहते हैं जिन्हें सीट मिली है, वो खुशनसीब है. पहले ही कोच में भीड़ इतनी है. ऊपर से लोकल अप-डाउन करने वालों की भीड़ बढ़ जाने से कोच में सांस लेना मुश्किल हो जाता है.

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डेली अप-डाउन करने वालों का है अपना ही दर्द

बीना से भोपाल हर दिन व्यापारी, कर्मचारी, स्टूडेंट हजारों की संख्या में अप डाउनर्स करते हैं. इन लोगों की अपनी एक दलील है. सोहेल खान विदिशा से करीब 15 साल से ट्रेन में अप-डाउन कर रहे हैं. वो बताते हैं कि इतनी व्यवस्था गड़बड़ पहली बार देख रहे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण रेलवे प्रशासन ही है. कई गाड़ियों में स्लीपर कोच और जनरल कोच कम कर दिए गए हैं और एसी कोचों की संख्या बढ़ा दी गई है, जो अप डाउन करने वाले लोग हैं. उनकी संख्या में हर साल इजाफा होता है. अब वो लोग आखिर कहां बैठे. दूसरा जो लोकल ट्रेनें हैं. उन्हें मनमर्जी से कैंसिल कर दी जाती हैं. लोकल पब्लिक आखिर कहां जाए कहां ?