Independence Day 2024 : पिंजरे में बंद "पंछी" की गुहार, मत काटो मेरे पंख !

Independence Day 2024 : स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) से पहले, 14 अगस्त को, पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने पक्षियों की आजादी के महत्व को उजागर करने के लिए एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन के दौरान, एक स्वयंसेवक को पिंजरे में बंद पक्षी के रूप में दिखाया गया.

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भोपाल - स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) से पहले, 14 अगस्त को, पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने पक्षियों की आजादी के महत्व को उजागर करने के लिए एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन के दौरान, एक स्वयंसेवक को पिंजरे में बंद पक्षी के रूप में दिखाया गया और संदेश दिया गया कि "पक्षी पिंजरों में कैद होने के लिए नहीं बने हैं, उन्हें आज़ाद उड़ने दो. " बुधवार, 14 अगस्त 2024, दोपहर 12 बजे भोपाल के बोट क्लब में आयोजित प्रदर्शन में पेटा (PETA) इंडिया के कैम्पेन कॉर्डिनेटर उत्कर्ष गर्ग ने कहा, "पक्षी अपने पंखों में हवा महसूस करने के लिए बने हैं, न कि पिंजरों में बंद रहने के लिए. PETA इंडिया ने भोपाल निवासियों से अपील की कि पक्षियों को कैद करने के बजाय एक दूरबीन खरीदें और उन्हें उनके प्राकृतिक आवास में आजाद उड़ते हुए देखें. "

कैद में रखे पक्षियों के पंख न कतरें

प्रकृति में पक्षी सामाजिक गतिविधियों में संलग्न होते हैं, जैसे अपने घोंसले बनाना और अपने बच्चों का पालन-पोषण करना. लेकिन जब उन्हें पिंजरे में बंद कर दिया जाता है, तो यही जीवंत प्राणी उदास और अकेले हो जाते हैं, और निराशा के चलते खुद को चोट पहुंचाने लगते हैं. कैद में रखे पक्षियों के पंख कतर दिए जाते हैं ताकि वे उड़ न सकें.

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क्या पंछियों को नहीं होता दर्द ?

पक्षियों के लिए उड़ना उतना ही स्वाभाविक और महत्वपूर्ण है जितना मनुष्यों के लिए चलना, लेकिन उन्हें उनके घर से पकड़कर छोटे पिंजरों में कैद कर दिया जाता है और बिक्री के लिए भेजा जाता है. कई पक्षी परिवहन के दौरान घायल हो जाते हैं, और अक्सर पंख या पैर टूटने, निर्जलीकरण, भुखमरी, और तनाव से उनकी मृत्यु हो जाती है. जो कुछ पक्षी बच जाते हैं, वे कैद में अंधकारमय जीवन का सामना करते हैं, जहां वे कुपोषण, अकेलापन, अवसाद और तनाव से पीड़ित होते हैं.

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वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 (WPA) देशी पक्षियों को पकड़ने, शिकार करने और व्यापार करने पर प्रतिबंध लगाता है. इसका पालन न करने पर कारावास, जुर्माना, या दोनों की सजा हो सकती है.

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"वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES)" के तहत लुप्तप्राय वन्यजीवों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संरक्षित किया जाता है. CITES के तहत संरक्षित गैर-देशी लुप्तप्राय प्रजातियों को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची IV के तहत भी संरक्षित किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि पक्षियों का उड़ना उनका मौलिक अधिकार है, जो भारत के संविधान और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत संरक्षित है.

जानिए क्या कहता है कानून  ?

पक्षियों के पंख काटना, अंग-भंग करना और उड़ान रोकने के लिए उन्हें अपंग बनाना, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 और भारतीय दंड संहिता 2023 के तहत संज्ञेय अपराध है. PETA इंडिया, जो इस सिद्धांत में विश्वास रखता है कि "जानवर किसी भी तरह से हमारे दुर्व्यवहार सहने के लिए नहीं हैं", प्रजातिवाद का विरोध करता है. प्रजातिवाद एक ऐसी विचारधारा है जिसके तहत मनुष्य स्वयं को सर्वोपरि मानकर अन्य प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है.

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