IAS Nagarjun B Gowda: मध्य प्रदेश कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी नागार्जुन बी. गौड़ा इन दिनों भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों को लेकर सुर्खियों में हैं. गौड़ा की पत्नी IAS सृष्टि जयंत देशमुख भी इसी कैडर में पदस्थ हैं. मामला अवैध खनन, 51.67 करोड़ रुपए की जुर्माना राशि को घटाकर 4,032 रुपए करने और 10 करोड़ की घूस के आरोपों से जुड़ा है. ऐसे में सवाल उठता है-क्या नागार्जुन बी. गौड़ा की नौकरी खतरे में है?
Dr. Nagarjun B Gowda IAS: क्या है पूरा मामला?
2019 बैच के IAS अधिकारी नागार्जुन बी. गौड़ा वर्तमान में खंडवा जिला पंचायत के CEO हैं, जबकि उनकी पत्नी सृष्टि जयंत देशमुख ने हाल ही में खंडवा ADM का पद संभाला है. यह मामला वर्ष 2023 का है, जब गौड़ा हरदा जिले के अपर कलेक्टर (ADM) के रूप में पदस्थ थे.
तत्कालीन ADM प्रवीण फूलपगारे ने पाथ इंडिया कंपनी को नोटिस जारी किया था कि उसने बिना अनुमति 3.11 लाख घन मीटर मुरम मिट्टी की खुदाई की है, जिसके चलते 51.67 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया. बाद में प्रवीण फूलपगारे के तबादले के बाद नागार्जुन गौड़ा ने पदभार संभाला और पाथ इंडिया के जवाब पर सुनवाई की.
कंपनी ने दावा किया कि उसने अनुमत खसरे पर ही खुदाई की है. इसके बाद गौड़ा ने कंपनी द्वारा स्वीकार किए गए 2688 घन मीटर अवैध खनन के लिए सिर्फ 4032 रुपए का जुर्माना तय किया.
नागार्जुन गौड़ा पर आरोप और उनका जवाब
RTI कार्यकर्ता आनंद जाट का आरोप है कि इस मामले में 51 करोड़ की जुर्माना राशि को 4032 रुपए कर दिया गया और इसके बदले 10 करोड़ की घूस ली गई. हालांकि, मीडिया से बातचीत में IAS नागार्जुन गौड़ा ने सभी आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उन्होंने यह आदेश दस्तावेजी साक्ष्यों और अधिवक्ता के तर्कों के आधार पर, बतौर न्यायिक अधिकारी पारित किया था.
क्या कहते हैं कानूनी विशेषज्ञ?
राजस्थान हाईकोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट संजय महला के अनुसार, किसी भी IAS अधिकारी को सेवा से बर्खास्त करने के लिए संविधान और नियमों के तहत पूरी कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाती है. केवल आरोप लग जाने से किसी अधिकारी की नौकरी नहीं जाती.
IAS अधिकारी को बर्खास्त करने की प्रक्रिया
IAS अधिकारी को सेवा से बर्खास्त करने की प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 311 और All India Services (Discipline and Appeal) Rules, 1969 के तहत तय होती है.
मुख्य चरण इस प्रकार हैं.
- आरोप और प्रारंभिक जांच: शिकायत या रिपोर्ट के बाद प्रारंभिक जांच होती है.
- चार्जशीट और जवाब:अधिकारी को लिखित आरोप पत्र दिया जाता है और जवाब का अवसर मिलता है.
- जांच अधिकारी की नियुक्ति: स्वतंत्र जांच अधिकारी साक्ष्यों के आधार पर रिपोर्ट देता है.
- निर्णय और दंड: दोष सिद्ध होने पर बर्खास्तगी, पद से हटाना या अनिवार्य सेवानिवृत्ति जैसे दंड दिए जा सकते हैं.
- संवैधानिक सुरक्षा (Article 311): बिना सुनवाई के किसी IAS को नहीं हटाया जा सकता.
- अपील और अंतिम आदेश: IAS अधिकारी राष्ट्रपति या केंद्र सरकार के समक्ष अपील कर सकता है. अंतिम आदेश राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद ही प्रभावी होता है.
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