Hindu-Muslim: भोपाल में हिंदुओं का पलायन; NDTV की पड़ताल में सामने आया कुछ और ही सच, ऐसा है माहौल

Migration of Hindus in Bhopal: ग्राउंड जीरों पर जाने के बाद यह सवाल उठते हैं कि क्या मोहल्ले की दो महिलाओं की असुरक्षा को मजहबी संघर्ष बना दिया गया? क्या लोगों के डर को ‘धर्म संकट’ की तरह बेच दिया गया? अगर पुलिस समय रहते कार्रवाई करती, तो मोहल्ले की गली का झगड़ा, पूरे शहर की पहचान पर धब्बा नहीं बनता औऱ न ही आपदा में अवसर ढूंढने वालों को कोई जगह मिलती क्योंकि हर मोहल्ले का एक सच होता है लेकिन जब नफरत का कैमरा उसमें जूम करता है, तो निजी झगड़े भी साम्प्रदायिक बना दिए जाते हैं.

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Migration of Hindus in Bhopal: क्या है हिंदुओं के पलायन की सच्चाई?

Hindu-Muslim Communal Tension Bhopal: भोपाल के बाणगंगा इलाके में 24 जुलाई को अचानक भगवा झंडे लहराए गए, जय श्रीराम के नारे लगे और चैनलों की स्क्रीन पर मोटी-मोटी हेडलाइनों में यह चमकाया गया कि हिंदू पलायन पर मजबूर. कुछ कथित हिन्दू संगठनों ने दावा किया कि मुस्लिमों से परेशान होकर हिंदू परिवार मोहल्ला छोड़ रहे हैं. लेकिन क्या वाकई ऐसा था? इस पूरे मामले की हकीकत जानने के लिये NDTV संवाददाता आकाश द्विवेदी भोपाल में बाणगंगा के प्रेमनगर की तंग गलियों में पहुंचे और वहां सभी पक्षों की पड़ताल की. पढ़िए उनकी ग्राउंड रिपोर्ट.

Migration of Hindus in Bhopal: ग्राउंड जीरो पर NDTV

ग्राउंड जीरो का माहौल

प्रदर्शन के दूसरे दिन 25 जुलाई को NDTV की टीम जब प्रेमनगर की गलतियों में पहुँची, तो हालात और तस्वीरें कुछ और ही बयां कर रही थीं. गली में अब नारे नहीं थे, पर माहौल में एक अजीब सी घबराहट थी. लोग चुप थे लेकिन आंखों में डर था. गहराई से पड़ताल करने पर यह बात साफ हुई कि यह मामला साम्प्रदायिक तनाव का नहीं, बल्कि एक निजी विवाद और प्रशासनिक अनदेखी का था जिसे जानबूझकर धर्म के रंग में रंग दिया गया.

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Migration of Hindus in Bhopal: पलायन वाला वायरल पोस्टर

यहां हमारी मुलाकात राधा यादव से हुई जिनके घर पर एक दिन पहले ही एक पोस्टर चिपका था जिसपर लिखा था- "मुस्लिम वर्ग के लोगों से परेशान होकर घर बेचना है" लेकिन आज वो पोस्टर गायब है.

राधा इस मोहल्ले में अभी महज़ 9 महीने पहले आई थीं, एक नई शुरुआत की उम्मीद के साथ,लेकिन अब उनके चेहरे पर डर भी साफ़ झलकता है. उन्होंने बताया कि 21 जुलाई को कुछ लड़कों ने उनके घर के पास खड़ी गाड़ियों में तोड़फोड़ की, जब राधा ने सबका वीडियो बनाने की कोशिश की, तो उनके हाथ पर मारा गया और उनके बेटे को भी पीटा गया. उनकी आवाज़ भर्रा जाती है जब वो बताती हैं कि हर रात उनके घर के सामने चौराहे पर भीड़ जुटती है शोर होता है, गालियाँ दी जाती हैं, कभी अचानक केक काटने जैसे जश्न मनाए जाते है और जब वो एतराज़ जताती हैं, तो जवाब में धमकी और बहस मिलती है. पुलिस से लेकर सीएम हेल्पलाइन तक उन्होंने शिकायतें कीं, लेकिन जब कहीं से कोई कार्रवाई नहीं हुई तो आखिरकार उन्होंने हार मानकर अपने घर पर वो पोस्टर चिपका दिया “घर बेचना है”.

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Migration of Hindus in Bhopal: राधा और उनकी बहन

राधा का ये फैसला एक निजी असुरक्षा और उपेक्षा का नतीजा था, लेकिन अफ़सोस इस बात का है कि जो मामला एक महिला की सुरक्षा और सम्मान से जुड़ा था, वो अचानक धर्म और पहचान की बहस में बदल गया, जो झगड़ा दो घरों के बीच था, वो कुछ ही घंटों में पूरे मोहल्ले की दीवारों पर मज़हब की परछाईं छोड़ गया और अचानक मजहब की हेडलाइन बन गई.

राधा यादव कहती हैं “चौराहे पर देर रात तक लड़के खड़े रहते हैं बाहर से लड़के बुलाकर केक काटते हैं, शिकायत करने पर धमकियां मिलती हैं. मेरी बहन का गला दबाया गया. जब मैं वीडियो बना रही थी तो मेरे हाथ पर मारा गया, बेटे से भी मारपीट हुई. कोई साथ नहीं दे रहा, इसलिए पोस्टर लगाया था, लेकिन अब हम कहीं नहीं जाएंगे"

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पुलिस ने पीड़ित को कठघरे में खड़ा कर दिया

राधा की बहन शांति कनौजिया, जो बगल में ही रहती हैं, उन्होंने बताया कि उनके साथ भी दुर्व्यवहार हुआ,उनके घर के बाहर गाड़ी खड़ी की गई, गालियाँ दी गईं और विरोध करने पर गला दबाया गया. उनका कहना है कि मारपीट करने वालों की बहन ने खुद को चोट पहुंचाकर थाने में शिकायत दर्ज करा दी, और पुलिस ने उल्टा उन्हें ही कठघरे में खड़ा कर दिया.

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इन दोनों बहनों के साथ दुर्व्यवहार हुआ है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ मोहल्ले की गली का झगड़ा था, या मज़हब का जिसे कुछ लोगों ने अपने प्रचार का मंच बना लिया. मोहल्ले के अन्य लोगों से बातचीत में यह बात स्पष्ट हुई कि यह विवाद केवल दो घरों तक सीमित था.

Migration of Hindus in Bhopal: ग्राउंड जीरो पर NDTV

कई हिंदू और मुस्लिम परिवारों ने NDTV को बताया कि वह सालों से साथ रह रहे हैं और इस झगड़े को साम्प्रदायिक रंग देना पूरी तरह ग़लत है.सवाल पुलिस पर भी है जब शिकायत मिली तो समय रहते कार्रवाई क्यों नही की गई.

इसी इलाके में रहने वाले दीपक सिंह कहते हैं कि ऐसा कुछ नहीं यहां कोई घर छोड़ना चाह रहा है. ऐसा भी नहीं है की सभी लोगों को प्रॉब्लम है. अगर वहां मुस्लिम लड़के खड़े होते हैं तो 6 हिंदू भी होते हैं. दो घरों को दिक्कत है वहां कुछ लड़के खड़े होते हैं जो गलत है. राधा आंटी को उनसे परेशानी हो सकती है.

Migration of Hindus in Bhopal: अन्य लोगों से बात करती NDTV टीम

हमने मोहल्ले के अन्य घरों में जाकर पड़ताल की कई हिंदू और मुस्लिम परिवारों से बात की ज़्यादातर ने एक ही बात कही ये झगड़ा हमारा नहीं है. हम तो साथ रहते हैं, त्योहार साथ मनाते हैं. मोहल्ले में रह रही बेटियां, बहुएं, बुज़ुर्ग और बचपन यहां गुज़ारने वाले लोग एक सुर में बोले ये हमारे मोहल्ले का झगड़ा नहीं है, सिर्फ माहौल बनाया जा रहा है.

स्थानीय महिला सैफ अहमद ने बताया "मैं यहां की बेटी भी हूं और बहू भी, हमारे यहां मोहर्रम की सवारी हिंदू घरों से उठती है और झांकी मुस्लिम घरों में बैठती है.यह माहौल बिगाड़ने की कोशिश है”

Migration of Hindus in Bhopal: मुस्लिम पक्ष ने भी रखी अपनी बात

राहुल सोलंकी कहते हैं “मेरा बचपना यहां बीता है , मुहर्रम की सवारी मेरे घर से उठती है.ऐसा माहौल कभी नही रहा ,ये माहौल बनाया जा रहा है ,यहां दुर्गा जी बैठती हैं होली भी होती है सब त्योहार हिन्दू मुस्लिम मिलकर मनाते हैं"

दरअसल यहां कभी गणेश स्थापना में मुस्लिम शामिल होते हैं, कभी मोहर्रम की सवारी हिंदू के घर से उठती है, लेकिन कुछ संगठन 10 मिनट के लिए आते हैं, नारे लगाते हैं, पोस्टर चिपकाते हैं और फिर खबर बना कर निकल जाते हैं

यहीं मोहल्ले में रहने वाली शीला रैकवार ने कहा “मैं 24 साल से यहां रह रही हूं ऐसा कोई भेदभाव नहीं है. गणेश स्थापना में मुस्लिम लड़के शामिल होते हैं. यह सिर्फ दो घरों की आपसी लड़ाई है, धर्म का मुद्दा नहीं.”

पुलिस का क्या कहना है?

हालांकि अब विवाद बढ़ा तो पुलिस ने कार्रवाई शुरू की है शांति की शिकायत पर दो युवकों सलमान और सिराज के खिलाफ FIR दर्ज हुई है, लेकिन न तो गिरफ्तारी हुई और न ही कोई पलायन की शिकायत पुलिस को मिली है. TT नगर क्षेत्र की ACP अंकिता खातरकर ने NDTV को बताया कि बाणगंगा क्षेत्र से दो समुदायों के बीच मारपीट और गालीगलौज की सूचना मिली थी जिस पर FIR पंजीकृत कर ली गई है और वैधानिक कार्रवाई की जा रही है. अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है. मुसलमानों से प्रताड़ित होकर पलायन करने के सवाल पर उन्होंने कहा की ऐसी कोई आधिकारिक सूचना थाने में नहीं दी गई है. जो प्रदर्शन हुआ था उसकी अनुमति नहीं ली गई थी हमें बस सूचना दी गई थी.

अब आप खुद सोचिये मोहल्ले की एक तकरार को हिंदू-मुस्लिम संघर्ष बनाकर भुनाने की कोशिश की जा रही है सोचिए, अगर यही आग फैलती, अगर सोशल मीडिया पर यही पलायन हेडलाइन बनती जाती तो क्या होता? सवाल सिर्फ यह नहीं है कि राधा और शांति को न्याय मिले सवाल यह भी है कि उनके दर्द पर मज़हब की मार्केटिंग कौन कर रहा है?

सवाल उठता है – क्या ये पलायन था या मजहब की मार्केटिंग?

क्या मोहल्ले की दो महिलाओं की असुरक्षा को मजहबी संघर्ष बना दिया गया? क्या लोगों के डर को ‘धर्म संकट' की तरह बेच दिया गया? अगर पुलिस समय रहते कार्रवाई करती, तो मोहल्ले की गली का झगड़ा, पूरे शहर की पहचान पर धब्बा नहीं बनता औऱ न ही आपदा में अवसर ढूंढने वालों को कोई जगह मिलती क्योंकि हर मोहल्ले का एक सच होता है लेकिन जब नफरत का कैमरा उसमें जूम करता है, तो निजी झगड़े भी साम्प्रदायिक बना दिए जाते हैं. यहां दो महिलाओं की शिकायत को पूरी बस्ती का पलायन बता दिया गया. और अगर ऐसा ही चलता रहा, तो एक दिन मोहल्ले ही नहीं, पूरा मंज़र बिखर जाएगा. और फिर कहीं कोई साथ नहीं खड़ा मिलेगा, सिर्फ शक, शोर और साजिशें बचेंगी.

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