गबन केस में क्लीनचिट देने पर CEO को हाईकोर्ट से फटकार, 'ये दुर्भाग्यपूर्ण... IAS को कानून का ज्ञान नहीं'

MP High Court: कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि एक आईएएस अधिकारी ऐसे कैसे इस निष्कर्ष पर पहुंच सकता है? ये समझ से परे है. ऐसा प्रतीत होता है कि जिला पंचायत भिंड के तत्कालीन सीईओ को कानून का ज्ञान नहीं है और ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि आईएएस अधिकारी होने के चलते वे वरिष्ठ पद पर कार्यरत हैं.

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Madhya Pradesh Hindi News: ग्वालियर हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार और गबन से जुड़े एक मामले में भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक अफ़सर के खिलाफ काफी तल्ख टिप्पणी की. गबन से जुड़े एक मामले में पंचायत सचिव द्वारा दायर छठवीं जमानत याचिका को निरस्त करते हुए हाईकोर्ट की ग्वालियर खण्डपीठ ने पंचायत सचिव को क्लीन चिट देने पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आईएएस को कानून का ज्ञान नहीं है.

सड़क निर्माण में फर्जीवाड़ा

गबन मामले में फंसे भिंड जिले के पंचायत सचिव दिलीप सिंह गुर्जर द्वारा लगातार छटवी बार जमानत याचिका हाईकोर्ट की ग्वालियर खण्डपीठ में पेश की गई थी, जिसमें याची ने उसके खिलाफ 2017 में गोहद थाने में दर्ज एफआईआर में यह कहते हुए जमानत मांगी थी कि सीईओ जिला पंचायत ने उसे उस केस में बहाल कर दिया था.

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याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने कहा कि पंचायत भवन आउट सड़क निर्माण में फर्जीवाड़ा कर 22.63 लाख रुपये का गबन हुआ. बाद में सरपंच ने 14 लाख रुपये जमा कराए और बाकी का समायोजन हो गया. इसे आधार बनाकर सीईओ जिला पंचायत ने सचिव का निलंबन बहाल कर दिया.

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यह दुर्भाग्यपूर्ण... IAS अधिकारी के चलते वो वरिष्ठ पद पर कार्यरत

कोर्ट ने सवाल उठाया कि एक आईएएस अधिकारी ऐसे कैसे इस निष्कर्ष पर पहुंच सकता है. ये समझ से परे है. अस्थायी गबन भी अपराध है, लेकिन सीईओ ने इस कानून की अनभिज्ञता के चलते सचिव को क्लीनचिट दे दी. ऐसा प्रतीत होता है कि जिला पंचायत भिंड के तत्कालीन सीईओ अनूप कुमार सिंह को जो कि आईएएस अधिकारी हैं, उनको कानून का ज्ञान नहीं है. कोर्ट ने ये भी कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आईएएस अधिकारी होने के चलते वे वरिष्ठ पद पर कार्यरत हैं.

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गबन के आरोप में सचिव निलंबित 

भिंड जिले के गोहद थाना में 2017 में तत्कालीन पंचायत सचिव के खिलाफ एफआईआर हुईं, जिसमें आरोप लगाया गया कि सचिव ने सरपंच रामश्री की मिलीभगत से पंचायत भवन और सड़कों का निर्माण किए बगैर 22 लाख 63 हजार रुपये का भुगतान कर लिया. इसके चलते पंचायत सचिव को निलंबित कर दिया गया. बाद में सरपंच ने 14 लाख रुपये जिला पंचायत के खाते में वापिस जमा कर दिये, बाकी रकम का समायोजन कर दिया गया. इसी को आधार बनाकर जिला पंचायत के तत्कालीन सीईओ ने केवल दागी पंचायत सचिव को न केवल निलंबन से बहाल कर दिया, बल्कि उसे ग्राम पंचायत निबरोल का पंचायत सचिव का प्रभार भी सौंप दिया.

हाईकोर्ट ने निरस्त की याचिका

हालांकि इस मामले में गोहद थाने में दर्ज एफआईआर अभी भी जीवित है और उससे बचने के लिए पंचायत सचिव ने छठवीं बार जमानत याचिका और एफआईआर निरस्त करने के लिए याचिका प्रस्तुत की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने उसकी दोनों ही याचिकाएं निरस्त कर दी.

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