Haryana Vidhan Sabha Chunav Result Live: BJP ने बाजी मारी, जानिए- कांग्रेस क्यों हारी?

Haryana Vidhan Sabha Election Result: हरियाणा के चुनाव परिणाम ने चौंकाया है, तभी तो हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम पर गढ़ी सांपला-किलोई विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार भूपिंदर सिंह हुडा ने कहा, "हम जांच करेंगे. हम इस मुद्दे पर चुनाव आयोग से मिलेंगे और बात करेंगे. हरियाणा विधानसभा चुनाव का परिणाम आश्चर्यचकित करने वाला है." आइए जानते बीजेपी क्यों जीती और कांग्रेस क्यों हारी?

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Haryana Vidhan Sabha Chunav Result 2024: हरियाणा (Haryana) में बीजेपी (BJP) ने इतिहास रचते हुए जीत की हैट्रिक लगा दी है. अब यह एक रिकॉर्ड बन गया है कि हरियाणा में लगातार तीसरी बार किसी भी पार्टी की सरकार बनी है. बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस (Congress) द्वारा उठाए गए मुद्दों, जैसे पहलवानों, जवानों और किसानों के मुद्दों पर उन्होंने कहा कि बीजेपी ने इन क्षेत्रों में जो कार्य किए हैं, वह कांग्रेस नहीं कर सकती. खबर लिखे जाने तक चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार बीजेपी ने 48 और कांग्रेस ने 37 सीटों पर कब्जा कर लिया था. इसके अलावा इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) के खाते में दो और निर्दलीय के हिस्से में 3 सीटें आयी हैं. इस प्रकार हरियाणा की 90 सीटों की स्थिति आपके सामने आ चुकी है.

अब जानिए बीजेपी क्यों जीती?  

हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्‌टर का कहना है कि जनता वही चीजें पसंद करती हैं जो सच्चाई पर आधारित होती हैं. कांग्रेस की असफलता का कारण यही है कि जनता उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों को नहीं स्वीकारती. उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी ने किसान, पहलवान और जवानों के लिए जितना किया है वह किसी और पार्टी के लिए संभव नहीं है. जनता ने पीएम मोदी (PM) की नीतियों और हमारे कार्यों पर मुहर लगाई है. बीजेपी में सभी लोग एकजुट होकर काम करते हैं. मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को पार्टी का चेहरा मानते हुए उन्हें पार्टी हाईकमान के समर्थन से चुनावी मैदान में उतारा गया था.

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खट्‌टर ने कहा "हरियाणा एक, हरियाणवी एक" का नारा लोगों के बीच एकता का प्रतीक है और यह बीजेपी की प्राथमिकता है कि हरियाणा की जनता के साथ सामंजस्य बना रहे. 

कांग्रेस क्यों हारी?

कांग्रेस ने हरियाणा में चुनावी कैंपेन की शुरुआत तो पूरे दमखम के साथ की थी, लेकिन, धीरे-धीरे पार्टी के अंदर का अंतर्कलह खुलकर लोगों के सामने आ गया. एक तरफ पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का खेमा था तो दूसरी तरफ रणदीप सुरजेवाला के समर्थक. कांग्रेस पार्टी के भीतर जिसकी नाराजगी की चर्चा सबसे ज्यादा रही, वह हैं सांसद कुमारी शैलजा. जिनका खेमा अलग ही अंदाज में इस चुनाव के दौरान नजर आया. कुमारी शैलजा खुद ही लंबे समय तक पार्टी के चुनाव प्रचार से दूर रहीं और शामिल हुईं भी तो एकदम बेमन से. जिसका परिणाम चुनाव नतीजों में साफ उभरकर आया.

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एक तरफ कांग्रेस के खिलाफ मैदान में आम आदमी पार्टी का होना कांग्रेस को परेशान कर ही रहा था, वहीं पार्टी के अंदर प्रदेश के शीर्ष नेताओं के बीच कलह ने पार्टी को और ज्यादा नुकसान पहुंचा दिया.

एक तरफ कांग्रेस पार्टी की तरफ से टिकट बंटवारे में कुमारी शैलजा की बात को नहीं मानने से जहां पार्टी के दलित वोट बैंक में नाराजगी दिख रही थी. वहीं, पार्टी के तमाम ऐसे नेता जो टिकट की आस लगाए बैठे थे, उन्होंने टिकट नहीं मिलने की वजह से दूसरी पार्टियों का दामन थामा या निर्दलीय अपनी ही पार्टी के कैंडिडेट के खिलाफ चुनाव मैदान में उतर आए.

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राहुल का असर दिखा फीका

इस पूरे चुनाव में कांग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल गांधी ने हरियाणा में 12 सीटों पर चुनावी रैलियां की, जिसमें से पार्टी को 5 सीट पर ही जीत मिल पाई. इनमें से गन्नौर, सोनीपत और बहादुरगढ़ में तो कांग्रेस को ऐसा झटका लगा कि यहां से निर्दलीय उम्मीदवार जीत गए और गन्नौर सीट पर तो कांग्रेस प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे. मतलब, यहां पार्टी के अंदर की खेमेबाजी राहुल गांधी के प्रचार से खत्म नहीं हो पाई. राहुल गांधी ने मंच से कुमारी शैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा का हाथ मिलवाकर पार्टी के एकजुट होने का संदेश भी दिया था, लेकिन यहां ये भी काम नहीं आया.

कुमारी शैलजा विधानसभा चुनाव में पार्टी के टिकट बंटवारे में भूपेंद्र सिंह हुड्डा कैंप के दबदबे की वजह से नाराज रहीं और बोल भी पड़ी थीं कि उनकी भूपेंद्र हुड्डा से बातचीत नहीं होती है. हरियाणा के चुनाव में तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला तक सीएम बनने की इच्छा जाहिर करते रहे. भूपेंद्र सिंह हुड्डा दो बार राज्य के सीएम रह चुके हैं और तीसरी बार के लिए वह अपनी फील्डिंग सजाकर बैठे थे.

दलित और महिला कार्ड खेलकर, साथ ही पार्टी आलाकमान से नजदीकी बढ़ाकर कुमारी शैलजा भी सीएम की कुर्सी पर नजर टिकाए हुए थीं। ऐसे में चुनाव परिणाम से पहले ही कांग्रेस के भीतर घमासान हरियाणा में शुरू हो गया था. चुनाव परिणाम आने से ठीक दो दिन पहले से ही दिल्ली में कुमारी शैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा दोनों डेरा डाले बैठे थे. दोनों में से कोई भी चुनाव परिणाम के साथ अपनी दावेदारी ठोंकने में देर करने के मूड में नहीं था. ऐसे में हरियाणा से विधानसभा चुनाव के जिस तरह के परिणाम आए, उसने साफ कर दिया कि यहां कांग्रेस ने ही कांग्रेस को हराया और पार्टी के अंदर की लड़ाई ने उसे सत्ता से दूर कर दिया.

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