Dronacharya Award to Shivendra Singh: भारत सरकार ने इस बार मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के चार खिलाड़ियों को राष्ट्रीय स्तर के खेल पुरस्कार (Sports Award) से सम्मानित करने का ऐलान किया है. जिनमें ग्वालियर (Gwalior) निवासी शिवेंद्र सिंह (Shivendra Singh) भी शामिल हैं. हॉकी के राष्ट्रीय सितारे शिवेंद्र (Hockey Player Shivendra Singh) को सरकार द्रोणाचार्य अवॉर्ड से सम्मानित करने जा रही है. इसकी सूचना मिलते ही शिवेंद्र सिंह (Hockey Coach Shivendra Singh) के घर-परिवार में खुशी का माहौल है. शिवेंद्र वर्तमान में भारतीय टीम के सहायक कोच के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं, वे अभी टीम के साथ स्पेन में हैं.
मेजर ध्यानचंद और कैप्टन रूप सिंह से मिली प्रेरणा
ग्वालियर के तानसेन नगर में जन्मे शिवेंद्र सिंह ने अपने खेल की शुरुआत ग्वालियर में ही की. शहर के गली-मोहल्लों में खेलते हुए उन्होंने अपनी प्रतिभा के दम पर ऐसी उड़ान भरी कि वह भारतीय टीम का हिस्सा बन गए. अपने जमाने में शिवेंद्र भारतीय हॉकी टीम के एक मजबूत पिलर थे. खेल प्रेमियों के दिलों पर राज करने वाले शिवेंद्र लंबे समय तक भारतीय टीम का हिस्सा थे और टीम को जीत दिलाने में अहम योगदान देते रहे.
उनके परिवार के लोग बताते हैं कि आज भले ही देश में हॉकी को वो मुकाम हासिल न हो, लेकिन एक युग में हॉकी ही भारत की पहचान थी. मेजर ध्यानचंद हों या कैप्टन रूप सिंह इनके खेल की जादूगरी की कायल पूरी दुनिया थी. शिवेंद्र के परिजन बताते हैं कि उन्हें हॉकी खेलने की प्रेरणा इन दोनों महान खिलाड़ियों से ही मिली और कड़े संघर्ष के बाद वे भारतीय टीम का हिस्सा बने.
परिवार में खुशी की लहर
शिवेंद्र सिंह को द्रोणाचार्य अवॉर्ड देने की घोषणा के बाद उनके परिवार में खुशी की लहर है. शिवेंद्र की मां राधा देवी का कहना है कि पहले तो वह बिना बताए खेलने चला जाता था, जिसके कारण घर पर डांट भी पड़ती थी, लेकिन जब वह अच्छा खेलने लगा तो परिवार ने भी उसे आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. बता दें कि शिवेंद्र अपनी प्रतिभा के चलते हॉकी में कई अवॉर्ड जीत चुके हैं.
वहीं शिवेंद्र के भाई का कहना है कि उन्हें ड्यूटी से वापस आने के बाद अवॉर्ड मिलने की जानकारी मिली. हालांकि उन्हें तब भरोसा नहीं हुआ, लेकिन जब टेलीविजन पर शिवेंद्र को द्रोणाचार्य अवॉर्ड मिलने की खबर देखी तब भरोसा हुआ. उन्होंने बताया कि अवॉर्ड मिलने की खुशी पर शिवेंद्र ने वीडियो कॉल के माध्यम से माता-पिता से बात कर खुशी जाहिर की. शिवेंद्र के भाई ने कहा कि हमारे परिवार में कोई खिलाड़ी नहीं था, जब उसने खेलना शुरू किया तो हम लोगों ने सोचा कि खेल कोटे से इसे कोई सरकारी जॉब मिल जाएगी, लेकिन शिवेंद्र ने इससे अलग बहुत कुछ पा लिया. उसने अपनी मेहनत से जो उपलब्धियां हासिल की हैं उससे हम सब गौरवान्वित हैं.
पहली बार में नहीं हुआ भरोसा
शिवेंद्र की मां राधा देवी भी अपने बेटे को द्रोणाचार्य अवॉर्ड मिलने से बहुत खुश हैं. उन्होंने बताया कि पूरा परिवार यह सूचना पाकर बहुत खुश है. वे कहती हैं कि उसने सचमुच कमाल कर दिया. अभी तक तो वह खेल के ही अवॉर्ड लाकर उन्हें देते थे, लेकिन अब उसने कोचिंग का द्रोणाचार्य अवॉर्ड भी ले लिया है. शिवेंद्र की मां ने बताया कि उन्हें इसकी सूचना शिवेंद्र ने रात को मैसेज करके दी थी. जिसके बाद मैंने अपनी बड़ी बहू और उसके पापा को बताया, लेकिन बाकी लोगों को इसके बारे में नहीं बताया. सोचा जब अखबार में आ जाए तब ही सच माना जाएगा. लेकिन टीवी से सबको पता चला, जिसके बाद बधाई देने के लिए लोगों के कॉल आने लगे.
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