MP: जेल में बंद आरोपी को कलेक्टर ने हाईकोर्ट में बता दिया फरार, जानें फिर क्या हुआ ? 

MP News: मध्य प्रदेश के ग्वालियर जेल में बंद एक आरोपी को भिंड के कलेक्टर ने फरार बता दिया. इसके बाद हाईकोर्ट ने कलेक्टर से शपथ पत्र मांगा है. आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है ?

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Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के ग्वालियर (Gwalior ) जेल से छूटकर बाहर आए आरोपी को भिंड के कलेक्टर ने हाईकोर्ट में फरार बता दिया. इसका खुलासा तब हुआ जब आरोपी ने हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में एक याचिका दायर कर दी. मामला संज्ञान में आने के बाद अब हाईकोर्ट ने भिंड के जिला दण्डाधिकारी और कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव से उस मामले में शपथपत्र पर जवाब मांगा है. साथ ही आरोपी पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत की गई कार्यवाही का पूरा रिकॉर्ड भी पेश करने को कहा है. इसके बाद हड़कंप मच गया.

ये है मामला 

याचिकाकर्ता के एडवोकेट यश शर्मा ने सुनवाई के दौरान खुलासा किया कि जिला दंडाधिकारी भिंड ने आरोपी जीतेश को फरार बताया. जबकि वह 29 अप्रैल 2024 को जेल में बंद था. जीतेश को कोर्ट ने 2 मई को जमानत दी और 3 मई को वह जेल से रिहा होकर बाहर आया और भिंड कलेक्टर और जिला दंडाधिकारी ने 4 मई को उसे राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) में निरुद्ध करने का आदेश जारी कर दिया. जिसमें कहा गया कि उसके खिलाफ तीन माह के लिए यह कार्यवाही की जाए. 

इसको चुनौती देने के लिए जीतेश की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका दर्ज की गई. इसमें बताया गया कि इस मामले में पुलिस और प्रशासन गंभीर लापरवाही कर रहा है.

  29 अप्रैल को याचिका पर हुई सुनवाई में उसके खिलाफ मामले में कलेक्टर ने सिटी कोतवाली भिंड में दर्ज अपराध क्रमांक 106/24 का हवाला देते हुए उसे फरार बताया. जबकि उस दिन जीतेश जेल में बंद था. 

कोर्ट को नहीं दी जानकारी

बताया गया कि 1 अप्रैल 2024 को जितेश के खिलाफ रासुका की कार्यवाही शुरू की गई. लेकिन 2 मई को जब हाईकोर्ट में जितेश के जमानत आवेदन पर सुनवाई हुई तो कोर्ट को इस तथ्य की जानकारी नहीं दी गई कि पुलिस और प्रशासन उसके खिलाफ रासुका की कार्यवाही करने की तैयारी में जुटा है. इसके अलावा इस मामले में पुलिस ने जो पंचनामा प्रस्तुत किया उसमें पंकज भदौरिया और सुरेंद्र के हस्ताक्षर होना बताया . जबकि दोनों ने उनके हस्ताक्षर होने की बात खारिज कर दी. 

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कोर्ट ने सब इंस्पेक्टर नरेश निरंजन की एक रिकॉर्डिंग भी पेश की . जिसमें वह जीतेश के चाचा से कुछ डॉक्यूमेंट पर हस्ताक्षर को लेकर बात कर रहा है. वहीं दूसरी तरफ जीतेश के खिलाफ दर्ज प्रकरणों की जानकारी दी गई. 

हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि जब 2 मई को जीतेश की जमानत अर्जी पर सुनवाई हुई, तब सिंगल बेंच के समक्ष ये तथ्य नहीं रखा गया कि जीतेश के खिलाफ रासुका की कार्यवाही शुरू की जा चुकी है. इसके अलावा उसके खिलाफ दर्ज आपराधिक प्रकरणों की विस्तार से जानकारी भी पेश नहीं की गई. ऐसे में जिला दंडाधिकारी प्रकरण से जुड़े रिकॉर्ड के साथ एफिडेविट पर अतिरिक्त जवाब के साथ पेश करें. इस मामले में अगली सुनवाई 2 सितम्बर को होगी. 

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