Guru Nanak Jayanti 2025: हरदा में इस साल गुरु नानक देव जी का 556वां प्रकाश पर्व बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया. इस मौके पर सिख समाज ने शहर में भव्य नगर संकीर्तन जुलूस निकाला. जुलूस की शुरुआत रेलवे स्टेशन के पास स्थित गुरुद्वारा साहिब से हुई, जहां से पंज प्यारे की अगुवाई में श्रद्धालु नारे लगाते और भजन-कीर्तन करते हुए आगे बढ़े. जगह-जगह लोगों ने फूलों की वर्षा कर जुलूस का स्वागत किया.
पालकी यात्रा बनी आकर्षण का केंद्र
जुलूस में सजे हुए रथों और झांकियों ने माहौल को भक्तिमय बना दिया. आगे पंच प्यारे ध्वजा लेकर चल रहे थे, जबकि गुरु नानक देव जी की तस्वीर को बड़ी श्रद्धा के साथ पालकी में निकाला गया. इसके अलावा दसों गुरुओं की तस्वीरों वाली झांकियां और गुरु ग्रंथ साहिब की विशेष पालकी आकर्षण का केंद्र बनी रहीं. नगर के लोग मार्ग के दोनों ओर खड़े होकर ‘बोले सो निहाल, सत श्री अकाल' के जयकारों से पूरा वातावरण गुंजा रहे थे.
श्रद्धा और भक्ति से सराबोर रहा माहौल
नगर कीर्तन में बड़ी संख्या में महिलाएं, पुरुष और बच्चे शामिल हुए. महिलाएं भक्ति गीत और भजन गा रही थीं, जबकि पुरुष शब्द कीर्तन करते हुए आगे बढ़ रहे थे. हर चेहरे पर भक्ति और आस्था झलक रही थी. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी ने गुरु नानक देव जी की पालकी पर मत्था टेककर आशीर्वाद लिया. पूरे शहर में धार्मिक उल्लास का माहौल रहा.
गुरु नानक देव के उपदेश आज भी प्रासंगिक
गुरुद्वारे के ज्ञानी राजवीर सिंह ने इस अवसर पर कहा कि गुरु नानक देव जी ने जीवन भर प्रेम, सद्भावना और समानता का संदेश दिया. उन्होंने समाज को बताया कि ऊंच-नीच, भेदभाव और जातिवाद से ऊपर उठकर ही सच्चा धर्म निभाया जा सकता है. गुरु जी ने ‘पंगत और संगत' की परंपरा दी, जिससे सब एक साथ बैठकर भोजन करें और समानता की भावना बढ़े. उन्होंने नारी को सम्मान देने और अपनी कमाई का दसवां हिस्सा समाज की सेवा में लगाने की प्रेरणा दी.
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समाज में एकता और सेवा का संदेश
इस पावन अवसर पर सिख समाज ने सेवा और एकता का संदेश दोहराया. श्रद्धालुओं ने लंगर का प्रसाद ग्रहण किया और गुरु के उपदेशों को जीवन में अपनाने का संकल्प लिया. गुरुनानक देव जी के विचार आज भी इंसानियत की राह दिखाते हैं "नाम जपो, किरत करो और वंड छको", यानी ईश्वर का स्मरण करो, मेहनत से कमाओ और अपनी कमाई का हिस्सा जरूरतमंदों के साथ बांटो.
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