Guna Custodial Death Case: मध्य प्रदेश में पुलिस की हिरासत में 26 वर्षीय देवा पारधी की कथित मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अब तक की सबसे सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी थी. यह गुना जिले के म्याना थाना क्षेत्र में देव पारधी की हिरासत में मौत से जुड़ा मामला है. कोर्ट ने दो फरार पुलिस अफसरों को गिरफ्तार न करने पर सीबीआई और राज्य सरकार के अधिकारियों को सख्त चेतावनी दी थी. जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने बेहद कड़े लहजे में कहा था कि अगर 7 अक्टूबर तक आरोपी पुलिस वालों को गिरफ्तार नहीं किया गया तो 8 अक्टूबर को सीबीआई के जांच अधिकारी और मध्य प्रदेश के गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होना होगा. वहीं अब बड़ा अपडेट सामने आया है. CBI ने इंदौर से फरार आरोपी उत्तम सिंह को गिरफ्तार कर लिया है. पिछले 1 साल से दोनों फरार चल रहे थे.
CBI ने घोषित किया था इनाम
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मध्यप्रदेश के दो फरार पुलिसकर्मियों संजीत सिंह मावई और उत्तम सिंह कुशवाहा की जानकारी देने पर दो-दो लाख रुपये के इनाम की घोषणा की थी. अधिकारियों ने बताया कि मावई घटना के समय नगर निरीक्षक और कुशवाहा सहायक उप निरीक्षक के पद पर कार्यरत थे. दोनों को देव पारधी की हिरासत में हुई संदिग्ध मौत के मामले में आरोपी बनाया गया है. पारधी को चोरी के आरोप में हिरासत में लिया गया था.
सीबीआई की प्रवक्ता ने कहा, “इन आरोपियों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए जा चुके हैं और इन्हें भगोड़ा अपराधी घोषित किया जा चुका है.” देव पारधी को चोरी के आरोप में उसके चाचा गंगाराम के साथ हिरासत में लिया गया था. पारधी की मां का आरोप है कि उसके बेटे को पुलिस ने प्रताड़ित कर मार डाला, जबकि पुलिस का दावा है कि उसकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई.
कोर्ट ने लगाई थी फटकार
आरोपी पुलिस अफसर संजीत सिंह मवाई और उत्तम सिंह कुशवाहा अप्रैल 2025 से फरार थे, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई 2025 को ही उनकी गिरफ्तारी का आदेश दिया था. कोर्ट सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि अगर आरोपी आम लोग होते तो उन्हें कब का पकड़ लिया गया होता. कोर्ट ने कहा अब हम एक ही बात सुनना चाहते हैं कि आरोपी पुलिस वालों को गिरफ्तार कर लिया गया है. कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि जब दोनों फरार अफसर अगस्त में जमानत याचिका दायर करने के लिए कोर्ट आए थे तब तक वे "लापता" कैसे बने रहे? जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि यह कोर्ट की अवमानना को और गंभीर बनाता है.
याचिकाकर्ता के वकील ने आरोप लगाया था कि सीबीआई और राज्य सरकार जानबूझकर समय बर्बाद कर रहे हैं ताकि गवाहों पर दबाव बनाया जा सके. सीबीआई की ओर से पेश हुए एएसजी राजा ठाकर्रे ने गिरफ्तारी के लिए और समय मांगा लेकिन अदालत ने 7 अक्टूबर की समय सीमा को अंतिम अवसर बताते हुए याचिका खारिज कर दी. इस मामले में अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होनी है.
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