Ground Report: मध्य प्रदेश में कितने भिखारी? 12वीं पास से लेकर पोस्ट ग्रेजुएट तक, हर कोई मांग रहा भीख!

Beggars Free Campaign In MP: प्रदेश में भिखारियों में बड़ी संख्या में बच्चे शामिल हैं ,कुछ ने मजबूरी में भीख मांगना शुरू किया तो कुछ ने भिक्षावृत्ति को धंधा बना लिया है, इंदौर में होटल में आराम फरमाने वाले भिखारी भी पाए गए हैं. दिलचस्प बात यह है कि इनमें 12वीं फेल नहीं, 12वीं पास से लेकर ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट और डिप्लोमा धारी शामिल हैं.

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Beggars Free Madhya Pradesh: देश और प्रदेश को भिखारी मुक्त बनाने की दिशा में केंद्र और राज्य सरकारें लगातार प्रयास में हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भिखारी मुक्त भारत के सपने को साकार करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार लगातार कैंपेन चलाकर भिखारियों के पुनर्वास के प्रयास कर रही है. यह अलग बात है कि तमाम प्रयासों के बावजूद भिखारियों की तादाद जस के तस बने हुए हैं.

प्रदेश में भिखारियों में बड़ी संख्या में बच्चे शामिल हैं ,कुछ ने मजबूरी में भीख मांगना शुरू किया तो कुछ ने भिक्षावृत्ति को धंधा बना लिया है, इंदौर में होटल में आराम फरमाने वाले भिखारी भी पाए गए हैं. दिलचस्प बात यह है कि इनमें 12वीं फेल नहीं, 12वीं पास से लेकर ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट और डिप्लोमा धारी शामिल हैं.

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भोपाल में 90 साल की कमला बाई 20 साल से भीख मांगती हैं

प्रदेश में 90 वर्षीय महिला कमला बाई पिछले 20 सालों से भीख मांगती आई हैं. ज्यादातर वक्त लालघाटी के सिग्नल पर बीता कमला बाई को हर महीने 600 रुपए विधवा पेंशन भी मिलती है,सरकारी राशन भी फ्री मिलता है, बावजूद इसके भीख मांग कर गुजारा उनके जीवन का हिस्सा बन चुका है. कमला कहती हैं कि बिना भीख मांगे उनका गुजारा नहीं होता. चूंकि बूढ़ी हैं,काम नहीं कर सकती, इसलिए भीख मांगती हैं.

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गणेशा भीख मांग कर उठाती है परिवार के 4 सदस्यों का भार

भोपाल में गणेशा नामक एक छोटी सी बच्ची भी भीख मांगकर गुजारा करती है. उसके मुताबिक दिन भर में उसे 50-100 रुपये मिल जाते हैं. राजधानी भोपाल के गांधीनगर में रहने वाली गणेशा के घर में खाने वाले चार सदस्य हैं और उनके खाने का जुगाड़ उसके भीख के पैसों से ही होते हैं. मध्य प्रदेश में ऐसे सैकड़ों बच्चे हैं, जो भीख मांगने को मजबू हैं या उनसे भिक्षावृत्ति करवाई जा रही है.

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भीख मांग कर गुजारा करने वाली भोपाल की वयोवृद्ध महिला भिखारी कमला बाई का एक बेटा भी है. लेकिन जड़ी-बूटी बेचने वाला बेटा उनके भरण-पोषण में अक्षम है, इसलिए भीख मांगती हैं. कमला बाई दावा करती हैं, वो दिनभर में भीख में उन्हें 100 -150 रुपए ही मिल पाता हैं।

प्रधानमंत्री मोदी के सपने के सामने खड़े हैं 4 लाख 13 हजार 670 भिखारी

गौरतलब है प्रधानमंत्री मोदी के भिखारी मुक्त भारत के आगे खड़े हैं देशभर में मौजूद 4 लाख 13 हज़ार 670 भिखारी. आंकड़ों की बात करें तो अकेले मध्य प्रदेश में इनकी तादाद 28,695 है. इनमें खानाबदोश भी शामिल हैं. वहीं, पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा 81244 भिखारी हैं. दिलचस्प आंकड़ा यह है कि देशभर के 21 फीसदी भिखारी 12वीं पास हैं. इनमें ग्रेजुएट,पोस्ट ग्रेजुएट औऱ डिप्लोमा धारी भी शामिल हैं.

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जुलाई 2024 में राजधानी में शुरू हुआ भिक्षावृत्ति मुक्त भोपाल अभियान

रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई 2024 में भोपाल कलेक्टर के नेतृत्व में राजधानी में भिक्षावृत्ति मुक्त भोपाल बनाने की पहल शुरू की गई थी. पहल के दौरान कहा गया भीख मांगने वालों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सर्वेक्षण, पहचान, मोबिलाइजेशन, पुनर्वास और आजीविका के उपाय किए जाएंगे, लेकिन मुक्ति कैंपेन के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई.

भिखारी मुक्त भारत अभियान में आए रोड़ों में सिर्फ प्रशासन ही दोषी नहीं

हालांकि भिखारी मुक्त भारत अभियान में आए रोड़ों के लिए सिर्फ प्रशासन दोषी नहीं, देश के सबसे साफ शहर इंदौर में एक ऐसे गैंग को पकड़ा गया, जो दिन भर सड़कों पर भीख मांगता थे और रात में होटल में जाकर आराम फरमाता है. इंदौर के भवरकुंआ इलाके में एक 70 वर्षीय बुजुर्ग भिखारी महिला को ब्याज पर पैसे देते सुना गया. मंगलवारा थाना क्षेत्र में भीख मंगवाने के लिए एक महिला ने दिन दहाड़े दो वर्षीय बच्चे का अपहरण कर लिया.

बहुत सारे भिखारी सक्षम है, लेकिन आदतन भिक्षावृत्ति करते हैं 

महिला बाल विकास विभाग में परियोजना अधिकारी दिनेश मिश्रा बताते हैं कि, हमने कई भिखारी पकड़े हैं और जब उनकी हम रिपोर्ट तैयार करते हैं तब पता चलता है कि किसी के पक्के मकान है, तो किसी के बहु और बेटी बैंक में सर्विस कर रहे हैं, एक भिखारी के पास मौके पर 29,000 रुपए मिले, एक ब्याज पर भी पैसा चला रही है और ऐसे बहुत सारे भिखारी हैं जो सक्षम है, लेकिन आदतन भिक्षावृत्ति करते हैं.

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राजस्थान से बहुत सारे लोग भिक्षावृत्ति के लिए छोटे-छोटे बच्चे लेकर प्रदेश में आते हैं, उनसे भिक्षावृत्ति करवाते हैं, मध्य प्रदेश में ऐसे 22 लोगों को एक होटल से रेस्क्यू किया था. इसके अलावा एक पूरा गांव दो-तीन सालों से बसा था, जो भिक्षावृत्ति का काम करते हैं उनका भी रेस्क्यू किया गया 

स्माइल योजना के तहत चुने गए इंदौर, उज्जैन, खजुराहो और ओंकारेश्वर शहर

भिक्षावृत्ति मुक्त अभियान के लिए सरकार ने स्माइल योजना के तहत मध्य प्रदेश के इंदौर, उज्जैन, खजुराहो और ओंकारेश्वर को भिक्षावृत्ति से मुक्त करने के लिए चयन किया गया, लेकिन काम सिर्फ इंदौर में शुरू हो हो सका है. हालांकि मंत्री नारायण सिंह कुशावाहा दावा करते हुए कहते हैं कि भिक्षावृत्ति से लोगों को छुटकारा मिले और उन्हें खुशियां मिले इसके लिए सरकार लगातार काम कर रही है.

स्माइल योजना में भिखारियों को रोजगार से जोड़ने की कोशिश की जा रही है

सामाजिक न्याय विभाग के अनुसार केंद्र की योजना के अनुसार इंदौर, उज्जैन, खजुराहो और ओम्कारेश्वर को स्माइल योजना के तहत चिन्हित किया है, इन्दौर में तो काम भी शुरू हो गया है, उनके पुनर्वास का काम शुरू हुआ है. इंदौर में एक संस्था भी इस काम में आगे गई है और 6 महीने तक संस्था में रखकर भिखारियों को रोजगार से जोड़ने की कोशिश की जा रही है भिक्षावृत्ति से लोगों को छुटकारा मिले उन्हें खुशियां मिले इसके लिए हम लगातार काम कर रहे हैं.

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