Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के सतना जिले में सरकारी विभाग बिजली कंपनी के सबसे बड़े बकायेदार बनकर उभरे हैं. नवंबर 2025 तक विभिन्न शासकीय कार्यालयों पर 62 करोड़ रुपये से अधिक का बिजली बिल बकाया है. इस सूची में राज्य एवं केंद्र सरकार के अधिकांश प्रमुख विभाग शामिल हैं. बार-बार नोटिस जारी किए जाने के बावजूद वसूली की स्थिति बेहद कमजोर बनी हुई है और विभागों ने अब तक आधी राशि भी जमा नहीं की है.
जिले की 692 ग्राम पंचायतें बिजली बिल का भुगतान नहीं करने में सबसे आगे हैं. इन पर कुल 51.66 करोड़ रुपये का बकाया है, जो कुल देनदारी का लगभग 83% हिस्सा है. कई बार नोटिस के बाद भी पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग राशि जमा नहीं कर रहा.
प्रमुख राज्य स्तरीय बकायेदार
आंगनबाड़ी केंद्रों का 3.52 करोड़, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग का 3.26 करोड़, स्कूल शिक्षा विभाग का 2.52 करोड़, नगर निगम सतना का 86.22 लाख, हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर का 39.71 लाख,पीडब्ल्यूडी का 26.28 लाख, जनजातीय कार्य विभाग का 13.46 लाख, राजस्व विभाग का 11.65 लाख और पुलिस विभाग का 81 हजार रुपये बकाया है. इसके अलावा बीएसएनएल का 23.55 लाख और रेलवे का रेलवे 9.66 लाख रुपये बकाया है.
कर्ज बढ़ने की वजह क्या है?
जानकारी के अनुसार बिजली बिलों का भुगतान संबंधित विभागों को भोपाल से मिलने वाले फंड के माध्यम से होता है. लेकिन उच्च स्तर से फंड जारी होने में देरी हो जाती है, जिससे महीने-दर-महीने बकाया राशि बढ़कर करोड़ों में पहुंच जाती है. विद्युत वितरण कंपनी नियमित रूप से नोटिस भेजकर भुगतान की याद दिलाती है, पर अधिकांश विभाग समय पर प्रतिक्रिया नहीं देते.
विभागों को हर माह जा रही नोटिस
सतना सर्कल के अधीक्षण यंत्री पी.के. मिश्रा ने बताया कि सतना और मैहर, दोनों जिलों के शासकीय कार्यालयों का कुल बकाया लगभग 62 करोड़ रुपये है. उन्होंने कहा कि पंचायत विभाग पर 51.66 करोड़, स्कूल शिक्षा विभाग पर 2.52 करोड़ और आंगनबाड़ियों पर 3.50 करोड़ रुपये का बकाया है. सभी विभागों को प्रतिमाह भुगतान के लिए अवगत कराया जाता है.फिलहाल बिजली कंपनी ने विभागों को बकाया चुकाने के लिए कुछ और समय दिया है.
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