Garhkundar Fort: मध्य प्रदेश में ऐसे बहुत सारे किले हैं, जो अपने इतिहास, सुंदरता और भव्यता के लिए फेमस है, लेकिन प्रदेश में एक ऐसा भी किला है जो अपने अंदर समेटे रहस्यों के लिए जाना जाता है. लोगों को इसके आस पास पहुंचने पर पसीने छूटने लगते हैं. यह रहस्यमयी किला दूर से तो नजर आता है, लेकिन पास जाते ही गायब हो जाता है. इतना ही नहीं रात को इस किले से अजीबो-गरीब आवाजें भी आती हैं. ऐसा क्यों है इन सवालों के जवाब हम आपको इसी रिपोर्ट में देंगे.
देश का सबसे रहस्यमयी किला
बता दें कि यह किला मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले में मौजूद है और इसका नाम गढ़कुंडार किला है. यह किला ओरछा से सिर्फ 70 किमी दूर एक छोटे से गांव में स्थित उच्च पहाड़ी पर स्थित है. इस किले का इतिहास बहुत पुराना है. ये किला 5 मंजिला है, 3 मंजिल तो ऊपर हैं, जबकि 2 मंजिल जमीन के नीचे है. कहा जाता है कि इस किले में इतना खजाना है कि पूरा भारत अमीर हो सकता है. यह किला जिनागढ़ के महल के नाम से भी जाना जाता है.
लोगों को गुमराह कर देता है गढ़कुंडार का किला, दुसरे शहरों में निकलती है सुरंग
इतिहासकारों के मुताबिक, गढ़कुंडार का किला 1100 साल पुराना है. इतना ही नहीं ये किला दूर से तो दिखता है, लेकिन पास आते-आते वो गायब हो जाता है. यानी कि ये किला भूल-भुलैय्या की तरह है, जो लोगों को गुमराह कर देता है. दरअसल, इस किले तक जाने के लिए जो रास्ता जाता है, वो आपको किले की बजाए कहीं और लेकर चला जाता. इसके अलावा दिन में भी अंधेरा रहने के कारण ये किला काफी डरावना लगता है.
रहस्यमयी घटनाएं और डरावनी आवाजें
गढ़कुंडार किले के बारे में कहा जाता है कि कई साल पहले इस गांव में एक बारात आई थी. जब बारात इस किले के बेसमेंट में चले गए, तो वो गायब हो गए. इन बारातियों की संख्या करीब 70 थी, जिनका आज तक पता नहीं चल पाया है. इस घटना के बाद भी कई तरह की घटनाएं हुईं, जिसके बाद किले के नीचे जाने वाले सभी दरवाजों को बंद कर दिया गया. स्थानीय लोगों का कहना है कि रात को इस किले से अजीबो-गरीब आवाजें आती हैं.
चंदेलों की विरासत है गढ़कुंडार किला
इसे गढ़कुंडार का दुर्ग भी कहा जाता है. जानकारों की माने तो इस किले को चंदेल राजा यशोवर्मन ने नौवीं सदी (925 ई. से 950 ई.) में बनवाया था. इस किलों को दुश्मन से रक्षा के लिए बनवाया गया था. कहा जाता है कि अगर कोई किले के पास पहुंच भी जाए तो इसे जीतना आसान नहीं था. किले की ऊंची और मोटी दीवारों पर चढ़ना लगभग नामुमकिन था. वहीं दुश्मन के आते ही दुर्ग की रक्षा कर रही सेना परकोटे के छेदों से नीचे हमला बोल देती.
रहस्यों का खजाना है यह किला
दरअसल, गढ़कुंडार बेहद संपन्न और पुरानी रियासत रही है. यहीं वजह है कि यहां के राजाओं के पास कभी भी सोने, हीरे, जवाहरात की कमी नहीं रही. इन्हीं खजानों की रक्षा के लिए यहां ये किला बनवाया गया था. यहां चंदेलों-बुंदेलों और खंगार जैसे कई शासकों ने शासन किया है. इन दौरान कई विदेशी आक्रांताओं ने भी यहां लूटा. साथ ही स्थानीय चोर उचक्कों ने भी खजाने को तलाशने की कोशिश की.
कैसे पहुंचे गढ़कुंडार किले (How to reach Garh Kundar Fort)
आप यहां हवाई मार्ग, ट्रेन मार्ग और सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं. हवाई मार्ग से यहां पहुंचने के लिए आपको ग्वालियर एयरपोर्ट तक पहुंच सकते हैं. इसके बाद आप यहां से टैक्सी या कैब का इस्तेमाल कर गढ़कुंडार किले तक पहुंच सकते हैं. इसके अलावा आप ट्रेन के माध्यम से दतिया रेलवे स्टेशन पहुंच सकते हैं.
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