मध्य प्रदेश के राजनीति में अपनी बेबाक शैली और सादगी भरे व्यक्तित्व के लिए पहचाने जाने वाले सतना के पूर्व विधायक और लोकतंत्र सेनानी संघ के वरिष्ठ नेता शंकरलाल तिवारी का रविवार को दिल्ली एम्स में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे और उनका इलाज एम्स में चल रहा था. उनके निधन की खबर से पूरे जिले में शोक की लहर फैल गई है.
शंकरलाल तिवारी का जन्म 8 अप्रैल 1953 को सतना जिले के चकदही गांव में हुआ था. वर्तमान में वह अपने पुस्तैनी मकान, सुभाष चौक, सतना में परिवार के साथ रहते थे. उनके परिवार में पत्नी सुषमा तिवारी, तीन पुत्र राजनारायण, आशीष और पुनीत तथा एक पुत्री विजयश्री शामिल हैं.
शंकरलाल तिवारी बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे और 1975 तक स्थानीय स्तर पर एक युवा और बेबाक नेता के रूप में प्रसिद्ध हो गए थे. आपातकाल के दौरान उन्हें मीसाबंदी के तहत 18 माह तक जेल में रखा गया और इस दौरान उन्हें रीवा, टीकमगढ़ और सतना की जेलों में प्रताड़ित किया गया. जेल से लौटने के बाद उन्होंने संघ और भाजपा की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई और संगठन में विभिन्न पदों पर कार्य किया.
शंकरलाल तिवारी ने पहली बार 1998 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ा. इसके बाद 2003, 2008 और 2013 में भाजपा से चुनाव लड़ा और लगातार जनता का अपार समर्थन पाकर सतना विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुए. वे अपनी साफ-सुथरी छवि, जनसेवा के प्रति समर्पण और निर्भीक वक्तव्यों के लिए विशेष रूप से जाने जाते थे. उनके निधन के साथ सतना और पूरे विंध्य क्षेत्र की राजनीति में एक युग का अंत माना जा रहा है. सामाजिक और राजनीतिक वर्गों में शोक की लहर है, और उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा.
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