मध्य प्रदेश में झाबुआ की एक अदालत ने भ्रष्टाचार के एक मामले में एक तत्कालीन जिलाधिकारी, पांच अधिकारियों एवं एक प्रिंटिंग कंपनी के मालिक समेत कुल सात लोगों को दोषी ठहराया है. यह जानकारी एक अधिकारी ने रविवार को दी.
झाबुआ में कार्यालय जिला लोक अभियोजन अधिकारी द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि इस मामले में जगदीश शर्मा (तत्कालीन जिलाधिकारी झाबुआ), जगमोहन सिंह धुर्वे (तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत झाबुआ), नाथु सिंह तंवर (राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तत्कालीन परियोजना अधिकारी तकनीकी), अमित दुबे (तत्कालीन जिला समन्वयक), सदाशिव डाबर (तत्कालीन वरिष्ठ लेखाधिकारी, जिला पंचायत झाबुआ) एवं आशीष कदम ( जिला पंचायत झाबुआ में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तत्कालीन लेखाधिकारी) को दोषी ठहराया गया.
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विज्ञप्ति के अनुसार, विशेष न्यायाधीश राजेन्द्र शर्मा (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) ने अपने पद का दुरुपयोग करने व भ्रष्टाचार के मामले में इन सभी अधिकारियों को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं और भारतीय दंड संहिता (भादंसं) की धारा 120 (बी) (अपराधों की आपराधिक साजिश से संबंधित धारा) के तहत चार-चार वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5,000-5,000 रूपये के अर्थदंड तथा भादंसं की धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत तीन-तीन वर्ष के सश्रम कारावास और चार-चार हजार रूपये जुर्माने से दंडित किया है.
इसमें कहा गया है कि इनके अलावा, राहुल प्रिंटर्स के मालिक मुकेश शर्मा भोपाल को भी सात साल कारावास और 10,000 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई है. फरवरी 2010 में, मेघनगर निवासी राजेश सोलंकी ने मामला दर्ज कराया था कि 2008 में जगदीश शर्मा और अन्य ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया था और सरकारी प्रिंटिंग प्रेस के बजाय उच्च दरों पर निजी संस्थाओं से मुद्रण कार्य करवाया था.
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