Nagar Nigam Satna: पहली बार स्पीकर के खिलाफ कांग्रेसियों का 'अविश्वास', कलेक्टर को सौंपा आरोप पत्र

Satna Nagar Nigam: कलेक्ट्रेट में कांग्रेस शहर अध्यक्ष एडवोकेट मकसूद अहमद की मौजूदगी में नगर निगम में कांग्रेस के खेमे के 17 पार्षद पहुंचे. जबकि कांग्रेस के पार्षदों की संख्या 18 है. अविश्वास पत्र पर सभी 18 कांग्रेसी पार्षदों ने हस्ताक्षर किए हैं. कलेक्टर अनुराग वर्मा के सामने सभी पार्षद खड़े हुए और सभी का परिचय दिया गया. कलेक्टर ने पार्षद दल से कहा है कि वे इस पर नियमानुसार कार्रवाई करेंगे.

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Satna News: नगर पालिक निगम सतना (Nagar Nigam Satna) में सियासी पारा बढ़ा हुआ है. प्रदेश में संभवत: पहली बार ऐसा मौका है जब किसी नगर निगम स्पीकर (Nagar Nigam Speaker) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव (No-Confidence Motion) लाया गया. कांग्रेसी पार्षदों (Congress Councillors) ने कलेक्टर (Collector Satna) को लिखित पत्र देकर इस मामले में कार्रवाई करने की मांग की है. कांग्रेस के पार्षदों ने आरोप लगाया है कि नगर निगम स्पीकर किसी भी मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेते. कांग्रेसी पार्षदों ने नेता प्रतिपक्ष रावेंद्र सिंह मिथलेश के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट पहुंच कर कलेक्टर अनुराग वर्मा को नगर निगम अध्यक्ष राजेश चतुर्वेदी के खिलाफ अविश्वास जताया.

कितने पार्षद ने जताया विरोध?

कलेक्ट्रेट में कांग्रेस शहर अध्यक्ष एडवोकेट मकसूद अहमद की मौजूदगी में नगर निगम में कांग्रेस के खेमे के 17 पार्षद पहुंचे. जबकि कांग्रेस के पार्षदों की संख्या 18 है. अविश्वास पत्र पर सभी 18 कांग्रेसी पार्षदों ने हस्ताक्षर किए हैं. कलेक्टर अनुराग वर्मा के सामने सभी पार्षद खड़े हुए और सभी का परिचय दिया गया. कलेक्टर ने पार्षद दल से कहा है कि वे इस पर नियमानुसार कार्रवाई करेंगे.

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पुराने नियम के आधार पर लाया प्रस्ताव

गत माह कैबिनेट की बैठक में नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 43 (क) में संशोधन को मंजूरी दी गई. इसके जरिए नगरीय निकाय में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को बड़ी राहत दी गई है. इस नए नियम के तहत अब नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर हटाना आसान नहीं होगा. अब अविश्वास प्रस्ताव 3 साल के पहले नहीं लाया जा सकता, इसके अलावा अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए तीन-चौथाई पार्षदों की सहमति अनिवार्य होगी. परंतु इसका फिलहाल गजट नोटिफिकेशन नहीं हुआ है, जिसके चलते पुराना नियम ही लागू है. लिहाजा किसी अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए दो-तिहाई पार्षदों की सहमति जरूरी होती है. अभी तक यह समय सीमा 2 साल है.

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क्या है अविश्वास की वजह?

कांग्रेस पार्षदों ने कलेक्टर को सौंपे पत्र में कहा है कि परिषद अध्यक्ष द्वारा अपनी पदीय गरिमा के विपरीत कार्य किया जाता है. परिषद में अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं किया जाता. प्रत्येक बैठकों में पार्षदों द्वारा एजेंडा या अन्य प्रस्तावों मे की जाने वाली चर्चा के संबंध मे कार्य मिनट बुक में न तो उनकी बातो को लिखा जाता है और न ही किसी निर्वाचित पार्षद के वार्ड की जनसमस्याओ को अंकित किया जाता है. परिषद की द्वितीय बैठक में प्रस्तुत प्रस्ताव शमशान घाट नजीराबाद के नाम को परिवर्तित कर नामकरण का प्रस्ताव बहुमत प्राप्त न होने से गिरा दिया गया था, परन्तु उसे कार्य पुस्तिका में अंकित न कर मनमानी बातें अंकित किया गया. कार्य पुस्तिका को न लिखना, गलत टीप अंकित करना, नियम व परिषद की परम्परा के विपरीत कार्य किया जाता है. परिषद की बैठक की कार्यवाही को न तो कभी आगामी परिषद बैठक मे सुनाया जाता है और न ही पुष्टिकरण कराया जाता है.

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स्मार्ट सिटी के नाम पर भ्रष्टाचार की शिकायत

कलेक्टर को दिए गए पत्र में कहा गया कि स्मार्ट सिटी के नाम पर भ्रष्टाचार हुआ, सीवर लाइन की अनियमित खुदाई, पेयजल, सफाई, बिजली आदि के मामलों को बैठक में किसी पार्षद को अपनी बात रखने की अनुमति नहीं दी जाती. उतैली वार्ड नम्बर 22 में नारायण तलाब की मेड़ को फोड़कर जलमग्न कर दिया गया और दोषियों को चिन्हित व पीड़ितों की क्षतिपूर्ति हेतु आकस्मिक बैठक भी नहीं बुलाई और जन-असंतोष के राहत का कार्य परिषद में रख कर समुचित निर्णय नहीं कराया गया. परिषद की बैठक निर्धारित समय पर नहीं बुलाई जाती. आवश्यक एजेंडों को न रख कर मनमाना एजेण्डा जिसका जनसरोकार से कोई संबंध नहीं होता, उसे रख कर खानापूर्ति की जाती है.

ये पार्षद रहे मौजूद

कलेक्टर को अविश्वास पत्र सौंपने के दौरान मुख्य रूप से नेता प्रतिपक्ष रावेन्द्र सिंह मिथलेश, संजू यादव, सुनीता चौधरी, अर्चना गुप्ता, कमला सिंह, प्रवीण सिंह, माया देवी, तिलकराज सोनी, अमित अवस्थी सन्नू, कृष्ण कुमार सिंह, शहनाज बेगम, अशरफ अली बाबा, सुषमा तिवारी, मो तारिक, मो रसीद, मनीष टेकवानी, पंकज कुशवाहा, रजनी तिवारी शामिल रहे.

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