MP News: बार-बार आगजनी के बाद भी लागू नहीं हुआ फायर सेफ्टी एक्ट, अब आग की भेंट चढ़ा लोकायुक्त कार्यालय

Fire Breakout in Bhopal: विंध्याचल भवन में आग बुझाने के लिए जो फायर एक्सटीन्गुइशेर लगे हैं, उसकी एक्सपायरी डेट निकल चुकी है. फायर हाइड्रेंट है ही नहीं. यूं तो राजधानी भोपाल में नगर निगम भवनों का फायर ऑडिट करता है. इनमें कमी मिलने पर जुर्माना भी लगाया जाता है, लेकिन दूसरों पर कार्रवाई करने वाले नगर निगम की खुद की बहुमंजिला इमारतों में ही फायर सिस्टम ध्वस्त है.

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Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में पिछले दो सालों में कई आग की कई बड़ी घटनाएं हुई. इस दौरान सरकारी दफ़्तर और मंत्रालय से लेकर सतपुड़ा भवन (Bhopal Satpura Bhawan Fire) तक आग की चपेट में आए. हरदा में पटाखा फैक्ट्री हो, या भोपाल-जबलपुर के अस्पताल, ये सभी भीषण आग की चपेट में आए, लेकिन आपको जानकर हैरत होगी कि इसके बावजूद राज्य में फायर सेफ्टी एक्ट नहीं है. सरकारी दफ्तरों में आज भी बदइंतजामी की भरमार है ... पेश है हमारी ये खास रिपोर्ट ...

10 साल में 14 पटाखा फैक्ट्रियों में हुए धमाकों में 180 की हुई मौत

ऐसा नहीं है कि मध्यप्रदेश में आगजनी की ये कोई पहली घटना है, बल्कि इसी वर्ष हरदा की पटाखा फैक्ट्री में हुए ब्लास्ट में सरकारी आंकड़े के मुताबिक 13 लोगों की मौत हो गई थी. वहीं, अगर पिछले 10 साल की बात करें, तो इस दौरान पटाखा फैक्ट्रियों में हुए 14 धमाकों में 180 लोगों की जान जा चुकी है.

इन सरकारी भवनों में बार-बार लगी आग

पटाखा फैक्ट्रियों के अलावा, सतपुड़ा भवन और वल्लभ भवन में दो-दो बार आग लग चुकी है. अब की बार लोकायुक्त कार्यालय आग की भेंट चढ़ गया. इस तरह पिछले एक साल में प्रशासनिक भवनों में आग लगने की ये तीसरी घटना है. सतपुड़ा में आग इतनी भयानक थी कि बिल्डिंग का स्ट्रक्चर तक कमज़ोर हो गया है. यहां सेना को मदद के लिए आना पड़ा था. वहीं, वल्लभ भवन में पांचवें फ़्लोर पर जहां आग लगी थी, वहां आज के दिन तक ख़ाक ही खाक है, लेकिन इन हादसों से किसी ने आज तक सबक़ नहीं लिया.

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फायर सेफ्टी की ऐसी है हालत

विंध्याचल भवन में आग बुझाने के लिए जो फायर एक्सटीन्गुइशेर लगे हैं, उसकी एक्सपायरी डेट निकल चुकी है. फायर हाइड्रेंट है ही नहीं. यूं तो राजधानी भोपाल में नगर निगम भवनों का फायर ऑडिट करता है. इनमें कमी मिलने पर जुर्माना भी लगाया जाता है, लेकिन दूसरों पर कार्रवाई करने वाले नगर निगम की खुद की बहुमंजिला इमारतों में ही फायर सिस्टम ध्वस्त है.

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एमपी में फायर एक्ट ही नहीं है

आपको बता दें कि 2016 में केंद्र के निर्देश के बाद भी मध्य प्रदेश में फायर एक्ट लागू नहीं किया गया है, जबकि 26 राज्यों में लागू हो गया है. 2020 में मध्यप्रदेश में फायर एक्ट का ड्राफ्ट बना, लेकिन सूत्र बताते हैं कि फायर सर्विसेज के संचालन को लेकर 2 विभागों में झगड़ा हो गया, जिसकी वजह से एक्ट अब भी राज्य में लागू होने का इंतज़ार कर रहा है. एक्ट लागू होने पर आपातकाल में फायर ऑफिसर को मजिस्ट्रियल पावर मिल जाती, जिससे राहत और बचाव के लिए निर्णय लेने में वे स्वतंत्र होते. हर जिले में अग्निशमन का अपना कार्यालय होता. जनसंख्या के आधार पर प्रदेश में फायर स्टेशन बनाए जाते, जिसका सीधा लाभ आगजनी के दौरान लोगों को मिलता, लेकिन एक्ट नहीं बनने से सभी कुछ अधर में है.

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फायर सेफ्टी इंचार्ज भी रोते हैं एक्ट का रोना

फायर सेफ्टी इंचार्ज  पंकज खरे ने बताया कि सतपुड़ा में आग लगी थी, तब हम मौके पर मौजूद थे. मौक़े पर पहुंचने पर हमें पता चला कि हमारे द्वारा दी गई NOC वहां है ही नहीं. न ही अग्निशमन के कोई इंतज़ाम हैं. इसलिए वहां आग तेज़ी से फैलती रही. मध्य प्रदेश में फ़ायर एक्ट नहीं है, जिसके चलते लोग बहुत ही लापरवाही करते हैं. अगर फ़ायर एक्ट आ जाता है, तो हम कड़ी कार्रवाई कर सकेंगे. हालांकि, सालों से अब तक इसका इंतज़ार खत्म ही नहीं हो रहा है.

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नगर निगम का ये है तर्क

वहीं, नगर निगम के कमिश्नर हरेंद्र नारायण ने बताया कि लगातार नगर निगम NOC और अन्य फ़ायर उपकरणों को लेकर औचक इंस्पेक्शन करता है. इस दौरान जहां पर भी कमियां पाई जाती है, उनके NOC निरस्त करने का भी काम किया जाता है.  जो भी गाइड लाइन बनाई गई है, उस हिसाब से ही परमिशन दी जाती है, लेकिन फ़ायर सेफ़्टी के सभी उपकरण हर दफ़्तर में मौजूद होना बेहद ज़रूरी है. नगर निगम कार्यालयों में पर्याप्त फ़ायर सेफ़्टी के उपकरण मौजूद न होने को लेकर हरेंद्र नारायण ने कहा कि ये सभी दफ़्तर अब पुराने हो गए हैं. जल्द ही नगर निगम अपने नए मुख्यालय में शिफ़्ट होना वाला है. वहां पर सभी पर्याप्त उपकरण मौजूद रहेंगे. हालांकि, पुराने दफ्तरों में भी जो हैंडफ़ुल फ़ायर एक्सटीन्गुइशेर मौजूद हैं.

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