Betul News: बैतूल जिला पंचायत पर फायर फाइटर वाहनों का 20 लाख रुपये बकाया, निकाय मद से हो रहा मेंटनेंस

Fire Fighter Betul: बैतूल में सरकारी विभाग दमकल की गाड़ियों की मदद तो ले लेते हैं, लेकिन इसका भुगतान नहीं करते हैं. ऐसे में नगर पालिका के लिए फायर फाइटर वाहनों का संचालन मुश्किल बनते जा रहा है.

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Betul News: दमकल की गाड़ी के लिए नगर पालिका के पास फंड नहीं

MP News in Hindi: गर्मियों का मौसम शुरू होते ही फायर सीजन भी शुरू हो जाता है. ऐसे में किसी भी नगर पालिका का दमकल विभाग पूरी तरह से एक्टिव और फिट स्थिति में होना चाहिए. लेकिन, मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बैतूल (Betul) जिला में दमकल की गाड़ियों के लिए फंड की व्यवस्था सही से नहीं हो पा रही है. नगर पालिका (Nagar Palika) ग्रामीण क्षेत्रों में लगने वाली आग को काबू पाने के लिए अपने फायर फाइटर वाहनों (Fire Fighter Vehicles) को तो भेज देता है, लेकिन जिला पंचायत (Jila Panchayat) और जनपद पंचायतों से सेवा शुल्क की वसूली नहीं कर पा रहा है.

बैतूल नगर पालिका में दमकल की गाड़ियों के लिए पर्याप्त फंड नहीं

तीन लाख की आबादी पर चार दमकल की गाड़ी

फायर फाइटर वाहनों के मेंटनेंस से लेकर इस पर तैनात कर्मचारियों के वेतन भी निकाय मद से पूरे करने पड़ते हैं. लगभग तीन लाख की आबादी वाले नगरीय क्षेत्र में वैसे तो नगर पालिका के पास चार फायर फाइटर वाहन हैं, लेकिन इसमें से दो ही एक्टिव मोड में रहते हैं. बाकी दो वाहन तकनीकी खामियों की वजह से नगर पालिका परिसर में ही खड़े रहते हैं.

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दमकल की सेवा के लिए नगर पालिका के पास पैसों की कमी

नगर पालिका हर साल लिखता है पत्र

वित्तीय वर्ष 2017 से 2024-25 तक जिले के ग्रामीण इलाकों में आग बुझाने भेजे गए वाहनों की वसूली तकरीबन 20 लाख रुपये जिला पंचायत पर बकाया है. इसे लेकर नगर पालिका हर साल पत्र लिखती है. लेकिन, जिला पंचायत भुगतान नहीं कर रहा है. बावजूद इसके, नगर पालिका किसी भी तरह की जनहानि न हो, यह अपने फायर फाइटर वाहनो को यूं ही भेजकर कर्तव्य निभाते रहेंगे.

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सीएमओ ने कही ये बात

नगर पालिका सीएमओ सतीश वत्सल्य ने इस मामले पर सवाल किए जाने पर कहा कि नगर पालिका ही पूरे जिले में आग बुझाने का काम करती है. सभी विभाग इसमें सहयोग करते हैं. लेकिन, आर्थिक रूप से कई बार विभाग मदद नहीं कर पाते हैं. लेकिन, हमारी जिम्मेदारी बनती है कि आग बुझाने में मदद करें. दमकल गाड़ियों का मेंटेनेंस निकाय मद से किया जा रहा है. दुकान भाड़ा और लोगों द्वारा दिए जा रहे टैक्स से मदद लेते हैं.

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