विदिशा के संभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) हेमंत यादव ने बताया कि यह पक्षी पाकिस्तान, अफगानिस्तान, उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान की यात्रा करने के बाद लौटा है. वन विभाग ‘सैटेलाइट रेडियो कॉल” से इसकी गतिविधियों पर नजर रख रहा है. डीएफओ ने कहा कि ‘ट्रैकिंग' से गिद्धों के प्रवास और संरक्षण के बारे में जानकारी मिलती है और मारीच की हर गतिविधि पर नज़र रखी जा रही है.
घायल अवस्था में मिला था गिद्ध
हेमंत ने बताया कि यह पक्षी 29 जनवरी को सतना जिले के नागौर गांव में घायल अवस्था में पाया गया था. पहले मुकुंदपुर चिड़ियाघर और फिर भोपाल वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में इसका इलाज किया गया. दो महीने बाद 29 मार्च को इसे टैग लगाकर हलाली बांध से छोड़ा गया.
बहुत काम के होते हैं गिद्ध
एक विशेषज्ञ ने बताया कि ये पक्षी मृत पशुओं को खाते हैं, सड़ते हुए शवों से होने वाली बीमारियों को फैलने से रोकते हैं और पोषक तत्वों के पुनर्चक्रण में मदद करते हैं, जिससे मिट्टी और पानी की गुणवत्ता में सुधार होता है.
यूरेशियन ग्रिफॉन गिद्ध यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और एशिया के पहाड़ी, शुष्क क्षेत्रों में पाया जाता है. यह आमतौर पर 95 से 110 सेंटीमीटर लंबा होता है. इनके पंखों का फैलाव 2.5 से 2.8 मीटर तक होता है, जबकि वजन 6 से 11 किलोग्राम होता है. विशेषज्ञ ने बताया कि यह गर्म हवा के झोंकों में घंटों उड़ सकता है.
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