शराब घोटाला: छत्तीसगढ़ में ED का 3 कंपनियों पर एक्शन, जब्त की 68 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति

CG Liquor Scam: छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए तीन प्रमुख डिस्टिलरी कंपनियों - छत्तीसगढ़ डिस्टिलरीज लिमिटेड, भाटिया वाइन मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड और वेलकम डिस्टिलरीज प्राइवेट लिमिटेड की 68.16 करोड़ रुपये की संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया है.

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छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय ने एक बार फिर बड़ी कार्रवाई की है. ED के रायपुर जोनल ऑफिस ने राज्य की तीन प्रमुख डिस्टिलरी कंपनियों छत्तीसगढ़ डिस्टिलरीज लिमिटेड (CDL), भाटिया वाइन मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड (BWMPL) और वेलकम डिस्टिलरीज प्राइवेट लिमिटेड (WDPL) की करीब 68.16 करोड़ रुपये की संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क कर लिया है. यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून  के तहत की गई है.

अब तक 96.55 करोड़ की संपत्ति जब्त

ED के मुताबिक, इस नई कार्रवाई के बाद इन तीनों डिस्टिलरी कंपनियों के खिलाफ कुल कुर्की 96.55 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. जांच में सामने आया है कि ये तीनों कंपनियां छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में शामिल उस आपराधिक सिंडिकेट का अहम हिस्सा थीं, जिसमें वरिष्ठ अफसर, राजनेता और निजी कंपनियां शामिल थीं.

तीन हिस्सों में चला भ्रष्टाचार का पूरा खेल

ED की जांच में यह खुलासा हुआ है कि घोटाला तीन हिस्सों पार्ट-ए, पार्ट-बी और पार्ट-सी में चलाया गयाॉ.

पार्ट-ए

सरकार द्वारा इन डिस्टिलरियों से शराब खरीदने की कीमत यानी लैंडिंग रेट जानबूझकर बढ़ाई गई. इसके बदले में डिस्टिलरी कंपनियों ने हर केस पर 75 से 125 रुपये तक की अवैध कमीशन राशि सिंडिकेट को दी.

पार्ट-बी

डिस्टिलरियों ने रिकॉर्ड से बाहर जाकर बिना हिसाब की शराब तैयार की. इस शराब पर डुप्लीकेट होलोग्राम लगाए गए और अवैध बोतलों में भरकर इसे सरकारी शराब दुकानों के जरिए बेचा गया. इस प्रक्रिया में टैक्स और सरकारी गोदामों को पूरी तरह बायपास किया गया.

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पार्ट-सी

डिस्टिलरी कंपनियों ने बाजार में अपना दबदबा बनाए रखने और तय हिस्सेदारी पाने के लिए सिंडिकेट को हर साल मोटी रिश्वत दी.

तीन साल में 60 लाख से ज्यादा केस अवैध शराब की सप्लाई

जांच में यह भी सामने आया है कि अप्रैल 2019 से जून 2022 के बीच इन तीनों डिस्टिलरियों ने करीब 60 लाख 50 हजार 950 केस पार्ट-बी यानी अवैध शराब सिंडिकेट को सप्लाई की. इससे सरकार को भारी राजस्व नुकसान हुआ.

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2800 करोड़ से ज्यादा का घोटाला

ED की जांच के अनुसार, इस शराब घोटाले से राज्य सरकार को 2800 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ, जबकि उतनी ही बड़ी रकम बतौर अवैध कमाई आरोपियों की जेब में गई. इस पूरे सिंडिकेट की अगुवाई अनिल टुटेजा (पूर्व IAS), अनवर ढेबर और अरुण पति त्रिपाठी जैसे लोगों ने की.

380 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति जब्त, कई बड़े नामी लोग गिरफ्तार

अब तक ED इस मामले में 380 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्तियां कुर्क कर चुकी है. साथ ही कई बड़े नामों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें ये बड़े नाम शामिल हैं.

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  • अनिल टुटेजा (पूर्व IAS)
  • अरविंद सिंह
  • त्रिलोक सिंह ढिल्लन
  • अनवर ढेबर
  • अरुण पति त्रिपाठी (ITS)
  • कवासी लखमा (विधायक और तत्कालीन आबकारी मंत्री)
  • चैतन्य बघेल (पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे)
  • सौम्या चौरसिया (CM ऑफिस में डिप्टी सेक्रेटरी)
  • और निरंजन दास (IAS)

ED ने साफ किया है कि यह कार्रवाई अभी जारी जांच का हिस्सा है और आने वाले दिनों में इस घोटाले में और भी बड़े खुलासे और सख्त कदम उठाए जा सकते हैं. छत्तीसगढ़ का यह शराब घोटाला अब राज्य के सबसे बड़े भ्रष्टाचार मामलों में गिना जा रहा है, जिसने प्रशासन और राजनीति दोनों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.