Diwali 2024 Date: दिवाली का त्योहार आते ही पटाखों से होने वाले वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण एवं उससे पर्यावरण को होने वाले नुकसान पर देशभर में बहस होने लगती है. इसी बीच मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के छिंदवाड़ा (Chhidwara) जिले से 60 किलोमीटर दूर सौसर तहसील में ऐसे पटाखे तैयार हो रहे है, जिनसे प्रदूषण भी नहीं होगा और पर्यावरण को फायदा होगा. अब तक आपने पटाखों और फुलझड़ियों को जलते ही देखा होगा, लेकिन इस दिवाली आप बीज पटाखों को पेड़ की तरह लगा सकते हैं.
क्या है बीज पटाखे
प्रदूषण मुक्त दिवाली को बढ़ावा देने के लिए दो साल पहले शुरू हुई स्वयं सहायता समूह ग्रामआर्ट की ओर से बीज पटाखे तैयार किए जा रहे हैं. इन पटाखों को बनाने में न तो किसी प्रकार का हानिकारक कैमिकल का इस्तेमाल हो रहा और न ही प्लास्टिक का. लेकिन, आश्चर्य की बात ये है कि इन पटाखों को जब आप देखेंगे तो ये हुबहू पटाखे जैसे ही लगेंगे. लेकिन, ये पटाखे पर्यावरण के अनुकूल तैयार किए जा रहे हैं. इन पटाखों को छिंदवाड़ा जिले के सौसर तहसील की लगभग 20 ग्रामीण महिलाएं मिलकर तैयार करने में जुटी हुई है.
ऐसे तैयार होता है बीज पटाखा
ग्राम आर्ट स्वयंसहायता समूह की फाउंडिंग मेंबर श्वेता भट्टड़ ने बताया कि बीज पटाखों को तैयार करते वक्त उनके अंदर तरह-तरह के बीज डाले जाते हैं. जैसे चकरी के अंदर प्याज के बीज, रस्सी बम के अंदर रोजैल के बीज, बम की लड़ी-मूली का बीज, लाल चौलाई, हरी चौलाई और पालक, सरसो के बीज यानी प्रत्येक बम या फूलझड़ी में फूल से लेकर विभिन्न प्रकार की सब्जियों के बीज डाले गए हैं. फिलहाल 400 रुपये में इन पटाखों को खरीदा जा सकता है.
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प्रदूषण मुक्त दिवाली का लक्ष्य
श्वेता भट्टड़ ने बताया कि हमारा लक्ष्य प्रदूषण मुक्त दिवाली को बढ़ावा देना है. जिसके तहत हमने बीज पटाखे बनाने का फैसला किया. हमारे इस काम में छिंदवाड़ा जिले के ग्रामीणों का अहम योगदान है. उन्हीं की मदद से ये पटाखे तैयार किए जा रहे हैं. श्वेता भट्टड़ ने कहा कि ये काफी नया प्रयोग है और लोगों में इसको लेकर उत्सुकता है.
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