दीवारों के पेंट घोटाले के बाद... अब अफसर खा गये काजू, बादाम, किशमिश

SHAHDOL NEWS:भदवाही पंचायत में जलगंगा अभियान के नाम पर अफसरों की आवभगत में 24 हजार रुपये के काजू-बादाम, फल और नाश्ता पर खर्च दिखाया गया है. पेंट घोटाले के बाद यह नया मामला शहडोल में प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है. जिला पंचायत ने जांच शुरू करने की बात कही है.

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MP NEWS: मध्यप्रदेश के शहडोल जिले में हाल ही में सामने आए स्कूल पेंट घोटाले की स्याही सूखी भी नहीं थी कि अब जल गंगा संवर्धन अभियान में काजू-बादाम घोटाले की एक नई इबारत लिख दी गई है. गोहपारू जनपद की भदवाही ग्राम पंचायत में जल चौपाल के बहाने पंचायत ने अफसरों की मेवों से आवभगत कर सरकारी खजाने को 24 हजार रुपये से ज्यादा का चूना लगा दिया.

मामला है शहडोल जिले के गोहपारू ब्लॉक की भदवाही ग्राम पंचायत का, जहां जलगंगा संवर्धन अभियान के तहत 25 मई को झुंझा नाला के स्टॉप डैम पर जल चौपाल का आयोजन हुआ. इस आयोजन में कलेक्टर, तमाम अधिकारी और ग्रामीणों ने मिलकर बोरी बंधान किया, पसीना बहाया और श्रमदान का फोटो खिंचवाया. लेकिन असली जलप्रवाह तो बाद में शुरू हुआ जब पंचायत ने इस जल अभियान को ‘मेवा अभियान' बना दिया. 

अधिकारियों की आवभगत में 5-5 किलो काजू-बादाम, 3 किलो किशमिश, बिस्किट, नमकीन, दूध, चाय, केला, अनार, सेव, अंगूर, चावल, तेल और घी का जो स्वागत पैकेज तैयार किया गया, उसका सरकारी बिल बना दिया गया पूरे 24 हजार रुपये का. अकेले काजू, किशमिश और चाय-नाश्ते में 19 हजार रुपये फूंक दिए गए और बाकी 5 हजार फल, चावल, तेल-घी में जोड़ दिए गए. जल संरक्षण की इस थाली में स्वाद तो भरपूर था लेकिन पारदर्शिता नदारद थी. 

सवाल यह है कि क्या सरकारी अभियान अब अफसरों की थाली सजाने के लिए है. क्या श्रमदान के बहाने घोटालों की नई परंपरा रची जा रही है. क्या यही वो नया मॉडल है जहां जनता जल बचाए और अधिकारी मेवा उड़ाएं. भदवाही में जो हुआ वह पूरे अभियान पर सवाल खड़े करता है. अगर सिर्फ एक पंचायत में 24 हजार का सत्कार बिल लग सकता है तो पूरे जिले में यह आंकड़ा किस स्तर तक गया होगा, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं.

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शहडोल जिला पंचायत के एडिशनल सीईओ ने बयान दिया है कि आयोजन में अधिकारी और ग्रामीण शामिल हुए थे, चाय-नाश्ते की व्यवस्था थी, लेकिन काजू-बादाम के बिल की जानकारी मिली है, मामला दिखवा रहे हैं. अब सवाल है कि क्या सिर्फ दिखवाने से जवाबदेही तय होगी या जिम्मेदारों पर कार्रवाई भी होगी. दीवारों के रंग से लेकर थालियों के स्वाद तक, शहडोल में भ्रष्टाचार हर रूप में सामने है और अब जनता पूछ रही है — जल बचाने के नाम पर अफसरों को मेवा क्यों.